मुंबई : कलाई में कलावा है , माथे पर तिलक है , हाथों में पूजा की थाली है और पूजा भी की जा रही है पूजा करने वाला किस मजहब का है यह जानना जरूरी नहीं बल्कि वह एक उम्मीदवार है यह काफी और यह सियासत में जायज़ है तभी तो वोटों के जखीरे को अपनी झोली में जमा करने के लिए मजहब की दीवारों को खुद फांद के यह जनाब इस भक्ति में अपने वोटों की शक्ति खोज रहे हैं
इनका नाम हारून खान है यह नाम सुन कर आप सदमे में चले गए होंगे नाम जो हमने कहा यही है हारून खान वर्सोवा असेंबली हल्के से शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट से बतौर उम्मीदवार महाराष्ट्र एसेंबली चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
जबकि उनके खिलाफ भारती लावेकर bjp से बतौर उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं और मजलिस इतिहादुलमुस्लीन से रईस लश्करिया खड़े हैं। इसके अलावा भी कई उम्मीदवार वर्सोवा इलाके से अपनी किस्मत आज़मा रहे हैं।लेकिन इन सब के बीच 3 उम्मीदवारों की लड़ाई वोटर्स के बीच है।
हारून खान वर्सोवा असेंबल हल्के से इस महाराष्ट्र एसेंबली में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं हैरानी इस बात की है कि हारून खान का मौलाना सज्जाद नोमानी ने समर्थन किया है हालांकि मौलाना को हारून खान के इस कैरेक्टर के बारे में पता है या नहीं हमें नहीं मालूम जबकि हमने मौलाना नोमानी से हारून खान समेत उन सभी उम्मीदवारों के बारे में जानने की कोशिश की जिनका उन्होंने समर्थन किया है लेकिन हैरानी इस बात की कि मौलाना ने इस बारे में कुछ भी कहने से बचते नजर आए।
सन 2019 के रिकॉर्ड के मुताबिक वर्सोवा में वोटर्स की तादाद 277510 थी हालांकि इनमें से वोट सिर्फ 118526 लोगों ने ही दिया था यानी 42.7 फीसद जबकि यहां से 5186 वोटों से भारती लेकर ने फतेह हासिल की थी।
इस इलाके में एक लाख से ज्यादा मुस्लिम वोट हैं जो कि 42% के आस पास हैं।यही वजह है कि हर सियासी पार्टी इन वोटों को अपनी झोली में जमा करने की जी तोड़ जद्दोजहद कर रही है। हारून खान उद्धव ठाकरे ग्रुप से हैं जो मजहब की दीवार तोड़ कर अपने वोटर्स के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं जबकि बीजेपी की भारती लावेकर और मजलिस के उम्मीदवार रईस लश्करिया अपनी अपनी आइडियोलॉजी पर कायम हैं।
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