बॉम्बे लीक्स ,उत्तर प्रदेश
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ हत्याकांड ने न केवल यूपी बल्कि देश की राजनीति को गरमा दिया है। मामला तब और तूल पकड़ता जा रहा है कि ,जब दोनों भाइयों ने अपनी हत्या होने की शंका जाहिर कर दी थी ,तो ऐसे हालात में भी इतने बड़े माफिया राजनेता को योगी सरकार ने प्रोटेक्शन क्यों नही दिया।सवाल यह भी बार बार खड़ा हो रहा है कि दोनों भाइयों को बार-बार चिकित्सकीय परीक्षण कराने की वजह क्या थी।सवाल यह भी है कि बिना औचित्य के कॉल्विन अस्पताल में दोनों भाइयों को चिकित्सकीय परीक्षण के लिए ले जाने के असल कारण क्या था।जानकारो के मुताबिक अतीक का कत्ल एक राजनीतिक हत्या है।क्योंकी जिस तरीके से कहा जा रहा है कि अतीक का आईएसआई कनेक्शन था ,तो ISI कनेक्शन होने के बावजूद भी अतीक को दो दिनों से एक साधारण सी सुरक्षा में इधर उधर घूमना सरकार के लिये सवाल खड़े करना है।क्योंकि जब अतीक का पाकिस्तान कनेक्शन सामने आया था,तब तो सरकार को चाहिए था कि वो अतीक को सख्त प्रोटेक्शन के बीच रखती ,क्योंकि अतीक से काफी राज उगलवाये जा सकते थे।लेकिन ऐसा नही हुआ बल्कि उसकी प्रोटेक्शन में लापरवाही बरती गई या फिर राजनीतिक हत्या कराई गई यह एक सवाल खड़ा होता है।
गौरतलब है कि अतीक और अशरफ दोनों भाइयों की हत्या को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है, तो योगी सरकार ने किरकिरी से बचने के लिये इस मामले में जांच टीम गठित कर दी है।वहीं अब इस बात की चर्चा जोरो पर है कि जल्द ही अशरफ की एक गुप्त चिट्ठी मुख्य न्यायधीश और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास पहुंच सकती है।बताया जा रहा है कि चिठ्ठी में उसका नाम है जिसने अशरफ और अतीक पर हमला करवाया है। दरअसल यह बात कोई हवा हवाई नही बल्कि अतीक के वकील विजय मिश्रा ने इस बात की पुष्टि की है।उन्होंने कहा कि जल्द ही योगी आदित्यनाथ के पास एक सीलबंद चिट्ठी पहुंचेगी। इसमें अतीक और अशरफ को मरवाने वाले का नाम लिखा होगा। मिश्रा के मुताबिक अशरफ ने मुझसे बोला था अगर उसकी हत्या हो जाती है तो यह बंद लिफाफा चीफ जस्टिस और सीएम योगी आदित्यनाथ पास पहुंचा दिया जाए।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीते 29 मार्च को अशरफ को पुलिस एक मुकदमे की पेशी के दौरान प्रयागराज में थी। इसके बाद वह वापस आधी रात को बरेली जिला पहुंचता है। इस दौरान अशरफ ने पत्रकारों से कहा था कि एक पुलिस अधिकारी ने उसको धमकी दी है कि अगले दो सप्ताह में हत्या कर दी जाएगी। ऐसा हुआ तो उस अधिकारी का नाम लिखा बंद लिफाफा अदालत के सामने खुलेगा। हाईकोर्ट का आदेश है कि किसी भी केस की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कराई जा सकती है। फिर भी उसे और उसके भाई को जेल से निकाला गया। जेल में हत्या की आशंका को लेकर अशरफ ने कहा था कि मुझे जेल में नहीं बल्कि बाहर खतरा है और अंत में हुआ भी वही।बताना जरूरी है कि जिस माफिया अतीक की पेशी के दौरान सुरक्षा में एक हजार से अधिक पुलिस-पीएसी और आरएएफ के जवान लगाए जा रहे थे, जेल से बायोमीट्रिक लॉक वाली प्रिजन वैन में लाया जाता था।उसकी सुरक्षा इतनी कड़ी कर सी गई थी कि परिंदा भी आस पास पर नही मार सकता था।ऐसे में हत्या के महज दो दिन पहले आखिर क्या वजह थी कि अतीक और अशरफ को प्रयागराज के धूमनगंज पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया।जिसके बाद धूमनगंज पोलिस थाने की साधारण सी सुरक्षा में अतीक और अशरफ को घुमाया जाता रहा।पुलिस साधारण सी जीप में लेकर दोनों को घूमती रही। उमेश पाल हत्याकांड से जुड़े मामले की जांच पड़ताल के लिए भी दोनों भाईयो को कसारी-मसारी के जंगल में भी लेकर भटकती रही।यही नही इस दौरान एक ही हथकड़ी की चेन में दोनों भाइयों के हाथ बांध कर घुमाया जाता रहा।बता दें कि सीजेएम कोर्ट ने दोनों की रिमांड मंजूर करते हुए अपने आदेश में लिखा है कि न्यायिक अभिरक्षा से विवेचक की पुलिस कस्टडी में लेने से पहले और फिर पुलिस अभिरक्षा से न्यायिक अभिरक्षा में सौंपते समय दोनों का चिकित्सकीय परीक्षण और कोरोना जांच कराई जाएगी। लेकिन, तीन दिन से लगातार रात को पुलिस चिकित्सकीय परीक्षण के लिए लेकर अतीक-अशरफ को पहुंचती रही।ऐसे में अहम सवाल उठता है कि अशरफ की चिट्ठी जब सीएम योगी ओर चीफ जस्टिस तक पहुँचती है तो वो कौन सा अधिकारी होगा, जिसका नाम अतीक अशरफ हत्याकांड का गवाह बनेगा।
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