
इंस्पेक्टर बासित अली सय्यद
शाहिद अंसारी
मुंबई: जिस कौम के युवकों की पुलिस विभाग में नौकरी करने की मात्रा दाल में नमक के बराबर हो उन्हें ऐसी हालत में राज्य के डीजी की तरफ़ से बेहतर काम और ईमानदारी के लिए चुना जाना यह पुलिस विभाग नहीं बल्कि उस कौम के लोगों के लिए गर्व की बात होनी चाहिए है जो कि पुलिस की नौकरी करने से दूर भागते हैं और हमेशा पुलिस के ज़रिए नाइंसाफी का रोना लिए बैठते हैं।यही नहीं अक्सर के कुछ पुलिस वाले खुद को एक विशेष तबक़े से सम्बंध रखने के लिए विभागी भेदभाव का रोना रोते हैं उनके मुंह पर एक ज़ोरदार तमाचा है जब राज्य के डीजी के ज़रिए इस साल 45 मुस्लिम पुलिस वालों को पुलिस महासंचालक सम्मान चिन्ह से नवज़ा गया।राज्य भर के 700 से भी ज़्यादा अदना से आला पुलिस अधिकारियों की इस फ़हरिस्त में मुस्लिम पुलिस वाले जिन्हें महासंचालक सम्मान चिन्ह से नवाज़ा गया उनकी संख्या 45 के आसपास है इनमें पुलिस विभाग के अदना ओहदे से लेकर आला अधिकारी शामिल हैं।
क्यों दिया जाता है महासंचालक सम्मान चिन्ह
राज्य भर से हर साल उन पुलिस वालों का चयन किया जाता है जिनकी छवि साफ़ सुथरी होती है उनके काम को ही उनकी पहचान दी जाती है अपराधिक मामलों को लेकर उन्हें चुटकी बजाते हल करने की सलाहियत और आरोपियों को धर दबोचने उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाने के साथ साथ मामले में चार्जशीट कैसे दाखिल की जाए ताकि आरोपी को सज़ा मिले और वह सलाखों के पीछे पहुंच जाए इसके साथ साथ जनता के साथ उनके बेहतर रिश्ते जो कि केस को हल करने लॉ ऐंड ऑर्डर को बेहतर बनाने में मदद मिलती है उनके ऊपर करप्शन के आरोप न लगे हों इस तरह के बेहतर कार्य के लिए राज्य के डीजी की ओर से उन्हें चुना जाता है और महासंचालक सम्मान चिन्ह से सम्मानित किया जाता है।
क्या कहते हैं सम्मानित पुलिस वाले
हमने कई ऐसे पुलिस वालों से बातचीत की जो कि बातचीत के दौरान भावुक होगए उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग को हमेशा जनता कई आरोपों के साथ याद करती है लेकिन उसके बाद भी हम अपने काम को लेकर पूरी ईमानदारी से लगन के साथ करते हैं इसी लिए राज्य के डीजी के ज़रिए हमें सम्मनित किया जा रहा है यह हमारे लिए गर्व की बात है कि पुलिस विभाग में हमारी संख्या भले दाल में नमक के बराबर हैं लेकिन ईमानदारी को लेकर अगर विभाग के वरिष्ठ अधिकारी हमें सम्मानित करते हैं तो इससे हमारा मनोबल बढ़ता है।सम्मान चिन्ह पाने वाले मुंबई के डीबी मार्ग पुलिस थाने में तैनात बतौर इंस्पेक्टर बासित अली सय्यद से हमने जब संपर्क किया तो पहले तो उन्होंने बात चीत से इंकार किया लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि विभाग में तो न कोई मज़हब होता है ना कोई भेदभाव यहां तो बस वर्दी और उसके फ़र्ज़ को समझते हुए हर काम में ईमानदारी,पब्लिक रिलेशन,अवाम की मदद,उनसे बेहतर रिश्ते इन सब का ख्याल रखना चाहिए और हम यह करते हैं।हमारे पास कोई पीड़ित आता है तो हमारे लिए वह पीड़ित है ना कि वह किसी जाति विशेष से सम्बंध रखता है बिल्कुल ऐसे ही आरोपियों को पकड़ने के बाद हम यह नहीं देखते कि वह कौन है हमारी नज़र में पीड़ित पीड़ित है और आरोपी आरोपी है हमारी कोशिश यही रहती है कि पीड़ित को न्याय मिले और आरोपी को सज़ा।
सम्मानित मुस्लिम पुलिस वाले
बरकत मुजावर,सादिक अली सय्यद,सलीम बागवान,सय्यद शौकत अली,बासित अली सय्यद,आबेद सय्यद,इलियास सय्यद,अबुदल गफूर खान,सय्यद इस्माईल,सय्यद अतहर,मुहम्मद गौसुद्दीन,सलीम पठान,सय्यद अफसर,मुहम्मद फहीम इनामदार,शेख मुहम्मद,मुहम्मद सलीम शेख,बशीर शेख,मुहम्मद मुईनउद्दीन,शेख मकसूद,बशीर शेख,अकील शेख,सय्यद मुजीब अली,शाकिर जिनेडी,अलीमुद्दीन शेख,शेख इक्बाल,इरफान अज़ीम,अब्दुल मुबीन,अल्ताफ शेख,रऊफ इनामदार,सय्यद अनवर अली,शेख रशीद ,मुजफ्फर अली सय्यद,सलीम काज़ी,जमील खां पठान,साजिद खान,जमील मोमिन,सादिक अली तंबोली,आसिफ तंबोली,जमील खान,अलीम काज़ी,रफीक शेख,तौसीब शेख,मज़हर खान,मूसा सय्यद हैं।इनमें अदना से आला हर तरह के ओहदे वाले पुलिसकर्मी शामिल हैं।
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