शाहिद अंसारी
मुंबई: तलोजा जेल में अबूसलेम पर तीसरी आँख का पहरा नहीं है यानी सलेम की बल्ले वह सीसीटीवी की नज़रों से दूर है उसे जेल में मुबाइल फोन भी इस्तेमाल करने के खूली छूट दी गई है और मुबाइल के नेटवर्क दुरस्त रहे उसके लिए जेल के वरिष्ठ अधिकारियों ने घटिया किस्म के नेटवर्क जैमर लगाए हैं जो जैमर की तरह दिखाई तो देते हैं लेकिन किसी काम के नहीं हैं यही नहीं सलेम को जेल में वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत से वीआईपी सुविधा मुहय्या कराई जाती हैं ऐसा हम नहीं बल्कि इसी जेल में कुछ दिनों पहले तैनात जेलर हीरालाल जाधव ने किया है।जाधव ने इसका खुलासा करते हुए राज्य सरकार के अतिसंवेदन शील विभागों को शिकायत की है जिसकी कापी Bombay leaks के हाथ लगी है।इस शिकायत पत्र में जाधव ने कई अहम खुलासे करते हुए जेल विभाग के अदना से आला अधिकारियों की पोल खोल दी है।
जाधव ने कहा कि जेल में कई जगहों पर अब तक सीसीटीवी नहीं लगाए गए और उसके पैसे भी अदा किए जा चुके हैं और पूरे जेल में घटिया किस्म के जैमर लगा कर खानापुरी की गई है हालांकि उन्होंने इसके लिए बाकायदा फंड भी एकट्ठा किया था उन्होंने कहा कि तलोजा जेल में कुल 74 कैमरे लागने के प्रस्ताव पास हुआ लेकिन अबतक 69 कैमरे ही लगाए गए जबकि पैसे 74 कैमरे के पेड किए गए हैं इनमें एक कैमरे की कीमत 4 लाख है और इसका ठेका निक्सी कंपनी को दिया गया है ताज्जुब इस बात का कि लगाए गए 69 कैमरे में मात्र 9 से 10 ही चालू है।
जाधव ने बातचीत में कहा कि मालेगांव ब्लास्ट के जो आरोपी हैं उन्हें वीआईपी सुविधा नहीं दी गई थी जिसके बाद वरिष्ठ अधिकारी स्वाती साठे ने उन्हें स्वीधा मुहय्या कराने के लिए कहा लेकिन जब उन्होंने इंकार किया तो उन्हें तलोजा जेल से ही निकालने की ठान ली गई।जाधव ने कहा कि जेल में लखन भैय्या हत्या कांड में जो आरोपी पुलिस वाले थे उनको बेहतर स्वीधा देने और घर का खाना देने के लिए एक बहुत बड़े अधिकारी ने उन्हें बार बार फोन किया लेकिन उन्होंने उनकी बात नहीं सुनी जिसकी रिकार्डिंग उनके पास है अधिकारी को इस बात को लेकर बहुत गुस्सा था जो उन्होंने उनकी बात नही मानी इसलिए उनके खिलाफ़ षडयंत्र रच कर उन्हें उनके ओहदे से हटाया गया।
अपनी शिकायत में उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों के दवाब और कामों को लेकर उन्होंने इंकार किया जिसको लेकर उनके खिलाफ़ साजिश रचते हुए सब से पहले उनके खिलाफ़ बेनामी शिकायत की गई और फिर उनके खिलाफ़ महिला कांस्टेबल से झूटी शिकायत कर उन्हें सस्पेंड किया गया इस अर्ज़ी के बाद स्वाती साठे ने उनकी बदली का प्रस्ताव भेजा और इनके पास जो गंभीर जांच थी वह भी छीन ली गई।अपनी शिकायत में जाधव ने कहा कि 27 सितंबर 2016 को मेरे रिश्तेदार मुझ से मिलने के लिए घर पर आए थे उस वक्त मैं घर पर ही था और मेरे रिश्तेदार ने दरवाज़ा खोल कर मेरे सिपाही को गाड़ी पार्क करने के लिए कहा उस वक्त मैं हाजिर नहीं था उसके खिलाफ सिपाही पर दवाब बना कर उनके रिश्तेदार के खिलाफ़ भी मामला दर्ज करवा दिया गया।
उन्होंने कहा कि मैं घर पर नहीं था तो मेरा निलंबन पत्र घर के अंदर के हिस्से में लगाया गया था जिसको लेकर उन्होंन जबरन घर में दाखिल होने के लेकर कोर्ट में शिकायत की है निलंबन के बाद उनके घर का तकरीबन 2 दिनों तक लाइट पानी बंद कर दिया गया ताकि मैं पूरी तरह से परेशान हो जाओं।सितंबर,अक्तूबर,नबंवर 2016 उन्हें निर्वाह भत्ता नहीं मिला उनका कहना है कि मुझे गलत तरीके से सस्पेंड किया गया इसलिए पूरा वेतन मिलना चाहिए।वरिष्ठ अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि उनके गिरफ्तारी पूर्व ज़मानत को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों ने एड़ी चोटी का ज़ोर लगाया और इससे काम नहीं चला तो झूटी शिकायतों का सिलसिला शूरू किया ताकि मेरी गिरफ्तारी पूर्व ज़मानत रद्द हो जाए और मैं जेल चला जाऊं।उन्होंने कहा कि मेरा घर थाना जेल के एरिया में है जिस महिला ने मुझपर झूटा आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया है उसे भाइखला जेल से थाना लाया गया और नितन वायचल (डीवाईएसपी थाना जेल)को पूना से थाना लाया गया और यह दोनों उनके खिलाफ़ अलग अलग कैदियों और कर्मचारियों से झूटी शिकयात लेकर वरिष्ठ अधिकारियों ऊपर भेज कर उन्हें खुश कर रहे हैं इनके तबादले कर इन्हें थाने लाने के लिए स्वाती साठे ने मेरे विरुद्ध षडयंत्र रचने और झूटा मामला दर्ज करने के लिए यह प्लान बनाया है।दोनों ही पुलिसकर्मी साठे के इशारे पर काम करते हैं इसी लिए मुझे फंसाने के लिए साठे ने इन्हें चुना।
वायचल के पास जांच की जो फाइलें आई हैं वह उन्होंने खुद के कबजे में रखे हुए हैं वह आफिस में नहीं है।शिकायतकर्ता अमित मिश्रा के द्वारा जो प्रजा चौधरी ने रिश्नत ली थी उसकी शिकायत की गई थी उसमें इस बात का उल्लेख किया गया था कि उनसे 2000 रूपए की रिश्वत ली गई और उसकी बाकायदा वीडियो रिकार्डिंग भी मौजूद है और ऐंटी करप्शन ब्युरो को यकीनन शिंकाज कसने वाला है इसलिए उसे बचाने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों मे एक सोची समझी साजिश के तहेत कहानी तय्यार की है इस कहानी में कहा गया है कि 2000 रूपए की जो रिश्नत है वह रिश्नत नहीं बल्कि वह वकालत नामा के पैसे लिए और यह कहकर उसे बचाया गया है और रिश्वतखोरी को सरकारी पैसे लेने मे बदल दिया गया।हमने इन मामलों को लेकर आइ.जी जेल राजवर्धन सिन्हा से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने किसी तरह का कोई जवाब नहीं दिया।
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