विशेष संवाददाता
कौशाम्बी:घटना उत्तर प्रदेश के सराय आकिल पुलिस थाने की है जहां आरोपियों को बचाने के लिए पुलिस ने पत्रकारों को ही पीटना शुरू कर दिया।दर असल सियाराम (BLO) को पीटे जाने के बाद टीचरों ने सराय आखिल पुलिस थाने का घिराव किया जिसके बाद पुलिस ने लाठी चार्ज शुरू कर दिया घटना स्थल पर खबर कवरेज करने के लिए कुल 3 पत्रकार पहुंचे जिनमें दैनिक जागरण से कनित्कर अग्रहरी,अमर उजाला से हरिहरनाथ शुक्ला और और न्युज़ नेशन न्युज़ चैनल से ऐमान अहमद ने घटना स्थल की फोटो ग्राफी और वीडियो ग्राफी करने लगे।लेकिन उसी दौरान चरवा थाने के इंचार्ज सुनील कुमार दुबे ने दो आरोपियों को जिनके नाम ज्ञानेंद्रे कुमार और विजय कुमार को बचाने के लिए सराय आकिल पुलिस थाने पहुंचे लेकिन जैसे ही उन्होंने पत्रकारों को देखा वह आग बगोला होगए।और उन्होंने शांती पूर्वक घेराव करने वाले टीचर्स को पकड़ पकड़ कर पीटना शुरू कर दिया जिसके बाद वहां भगदड़ मच गई।इस भगदड़ का फाएदा उठाते हुए उन्होंने पत्रकारों को भी पीटना शुरू कर दिया घटना पर मौजूद दैनिक जागरण के पत्रकार कनित्कर अग्रहरी कहते हैं कि उन्होंने हम से कहा कि पत्रकार इस तरह पत्रकारिता करते हैं वह मुझे गवारा नहीं मुझे यह बिल्कुल पसंद नहीं कि पत्रकार खबर कवर करने के लिए पुलिस थाने आऐं।उन्होंने बदतमीज़ी की सीमा को पार करते हुए कहा कि पत्रकार हो या यूपी का डीजी मेरा कुछ नहीं उखाड़ सकते।
दरअसल 21 फरवरी को 2 बजे सियाराम (BLO) को किसी ने फोन कर बुलाया और उसके बाद उनके साथ मारपीट की गई।ओरोप था कि कई लोगो के नाम वोटिंग लिस्ट से काटा गया।सियाराम ने सरायआकिल पुलिस थाने में इन सब के खिलाफ़ मामला दर्ज करवा दिया जिसके बाद चायल क्षेत्र के सी.ओ जांच करने के लिए आए।जहां सिया राम ने अपना बयान दर्ज करवाया और वापसी में बिन्नई गांव के पास उन्हें वही लोगों ने फिर से मारा जिनके खिलाफ़ उन्होंने पहले से शिकायत दर्ज कराई थी।
इस घटना के बाद से ही पूरे राज्य में पत्रकारों ने जमकर विरोध किया है जल्द ही इस मामले में लखनऊ में मौजूद पत्रकार राज्य के डीजी और मुख्यमंत्री से मिलकर संबंधित अधिकारी के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की मांग करेंगे और पत्रकारों के साथ हो रहे अन्याय को लेकर सख्त से सख्त कानून बनाए जाने की मांग की है।इस वारदात के बाद पुलिस को लेकर लोगों में यह सवाल उठ रहे हैं कि जो पत्रकार समाज को आइना दिखाने का काम करते हैं अगर पुलिस उनके साथ इस तरह का बरताव करती है क्योंकि उनकी आरोपियों से साठगाँठ रहती है तो भला पुलिस जनता के साथ कैसे पेश आती होगी।
इस बारे में चरवा के एसओ सुनील कुमार दुबे से बात की गई तो उन्होंने कहा कि दरअसल बंदोबस्त मे तैनात थे और उन्होंने पत्रकारों को केवल यह कहा है कि कुछ बात चीत है और भीड़ न लगाऐं जिसको लेकर उन्हें यह बात नागवार गुज़री हमने किसी का फोन और कैमरा नही तोड़ा।
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