शाहिद अंसारी
मुबंई: शिर्डी यात्रा के लिए बीजेपी एम.एल.ए. राम कदम द्वारा 25000 लोगों को मुफ्त यात्रा करवाने के नाम पर तकरीबन 2 करोड़ रूपए खर्च किए इस बात को देख विक्रोली रहिवासी मुहसिन शेख ने राम कदम की शिकायत इंकम टैक्स में की है।मुहसिन के मुताबिक बीजेपी सरकार ने नोटबंदी लागू की लेकिन इसका असर बीजेपी के किसी भी नेता पर दिखाई नहीं पड़ता वह आज भी लाविश लाइफ़ स्टाइल जी रहे हैं और जनता खुदकुशी करने पर मजबूर है।दूसरी सबसे खास बात तो यह है कि शिर्डी (धर्म कर्म) के नाम पर 25000 लोगों को भेजकर चुनाव में अपनी रोटियां सेकनी कोशिश की है क्योंकि राम कदम को पता है कि फ़रवरी में मनपा चुनाव होने वाले हैं और इसका फ़ायदा सीधे सीधे बीजेपी को होगा।इसलिए मैंने चुनाव आयोग में भी शिकायत दर्ज कराई है।
शिकायतकर्ता का कहना है कि राम कदम द्वारा 8 जनवरी 2017 को 25000 लोगों को शिर्डी की यात्रा मुफ्त में करवाने का एलान किया गया।इस तरह से 25000 लोगों के लिए तकरीबन 556 बस भेजी गई हैं और इस तरह से एक व्यक्ति पर शिर्डी की एक दिन की यात्रा का खर्च 800 रूपए होता है जिसमें खाना और यात्रा दोनों शामिल है।अगर उसका हिसाब लगाया जाए तो यह खर्च 2 करोड़ से भी ज़्यादा तक पहुंचता है।
हैरान कर देने वाली बात यह है कि एक तरफ नोटबंदी को लेकर आम आदमी परेशान है वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के नेता पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है।आरबीआई के अनुसार 30 दिसंबर तक पैसे निकालने को लेकर जो सीमा निर्धारित की गई थी वह मात्र 2000 रूपए थी ऐसे में यह सवाल उठता है कि शिर्डी यात्रा के नाम आखिर इतने रूपए राम कदम के पास आए कहां से आए।हमने इस बारे में राम कदम का पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन उन्होंने फ़ोन नहीं उठाया।
हल ही में सुप्रीम कोर्ट ने धर्म कर्म की आड़ लेकर वोट मांगने वालों को लेकर एक आदेश जारी किया है धर्म, जाति के नाम पर राजनीति करने वाले दलों को सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा झटका दिया है।सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संवैधानिक पीठ ने अपने एक फैसले में कहा कि प्रत्याशी या उसके समर्थकों द्वारा जाति, धर्म, भाषा, समुदाय के नाम पर वोट मांगना गैरकानूनी है।पीठ ने कहा चुनाव एक धर्मनिरपेक्ष पद्धति है इस आधार पर वोट मांगना संविधान की भावना के विरूद्ध है।सुप्रीम कोर्ट ने पक्ष-विपक्ष की दलीलों को सुना और कहा कि चुनाव में धर्म का इस्तेमाल करना गैरकानूनी है।सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला उस समय पर दिया है जब उत्तर प्रदेश, पंजाब सहित देश के कई राज्यों में चुनाव होने हैं।पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा हमारा संविधान धर्मनिरपेक्ष है उसकी इस प्रकृति को बनाए रखना चाहिए एजेंट या उम्मीदवार धर्म का इस्तेमाल चुनाव दौरान नहीं कर सकते हैं।बावजूद इसके कई नेता जनका को लुभाने के लिए कोई न कोई रास्ता ढूंड निकालते हैं।
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