शाहिद अंसारी
मुबंई:मुबंई पुलिस चाहे तो कुछ भी हो सकता है अगर पुलिस चाह ले तो बेगुनाह को भी फांसी के तख्ते तक पहुंचाने के लिए सुबूतों के अंबार लगा सकती है और पुलिस चाह ले तो हत्यारे को भी बचा सकती है।घटना मुबंई के शिवड़ी पुलिस थाने की है।जब पुलिस वालों ने हत्या के एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया लेकिन उसी समय एक वरिष्ठ अधिकारी की ऐंट्री पुलसि थाने में होती है और वह अधिकारी पुलिस के ज़रिए गिरफ्तार किए गए आरोपी पर कार्रवाई न करने के लिए और उसे पुलिस थाने से जाने का आदेश देता है।जाहिर सी बात है कि वरिष्ठ अधिकारी के ओहदे और पावर के डर से छोटे अधिकारियों की क्या मजाल कि हत्या के आरोपी को गिरफ्तार करें सुनकर ताज्जुब ज़रूर होगा लेकिन ऐसा ही हुआ इस मामले में।
घटना 11 अगस्त 2015 की है जब शिवड़ी पुलिस थाने के पुलिस वालों ने ज़ाहिद अली उर्फ जावेद शब्बीर अहमद को 2013 में हुई एक हत्या के मामले में गिरफ्तार किया था।गिरफ्तारी के कुछ ही देर बाद तत्कालीन पोर्ट ज़ोन के डीसीपी किरन चव्हान पुलिस थाने आए और दूसरे वरिष्ठ अधिकारी का नाम लेकर पुलिस थाने में मौजूद पुलिस वालों को आरोपी को छोड़ने के लिए और किसी तरह की कार्रवाई न करने के लिए कहा। चव्हान के इस आदेश का पालन पुलिस वालों को करना पड़ा और गिरफ्तार किए गए हत्या के इस आरोपी को बिना कार्रवाई के छोड़ दिया गया।
2013 के इस केस में जांच के बाद जब कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई तब इस आरोपी का नाम सामने आया।जिसके बाद पुलिस इसे तलाश कर रही थी लोकिन यह हमेशा पुलिस की पहुंच से बाहर रहा।खास बात तो यह है कि इस आरोपी पर मुबंई भर में 9 मामले हैं और मुंबई पुलिस की गुंडा लिस्ट मे यह आरोपी पहले नंबर पर है।इन में भाईखला पुलिस थाने,यलोगेट पुलिस थाने,शिवड़ी हैं जिनमें चोरी हत्या और ड्रग्स के मामले दर्ज हैं।डीसीपी किरन चव्हान ने हत्या के इस आरोपी पर मेहरबानी दिखाते हुए उसे अपनी पावर और दबदबे की वजह से जाने तो दिया लेकिन इस दौरान कुछ ऐसे सबूत उन्होंने छोड़ दिए जिसकी वजह से अब उन्हें इस मामले में जवाब देना भारी पड़ रहा है।
और उन्ही सुबूतों के आधार पर शिवड़ी पुलिस थाने के एक अधिकारी ने इस मामले को लेकर उनकी शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों से कर दी।आरोपी को छोड़ने का आदेश देने के बाद घटना के कुछ ही दिनों बाद चव्हान ने शिवड़ी पुलिस थाने से इसी आरोपी के पकड़े और छोड़े जाने को लेकर जवाब तलब किया ताकि किसी तरह की कोई जांच हो तो वह बच निकलें।लेकिन उनके इस सवाल पर शिवड़ी पुलिस थाने ने उनके द्वारा आरोपी के ऊपर की गई मेहरबानी और बचाने के लिए उनके द्वारा दिया गया आदेश का उल्लेख कर दिया।जिसके बाद उनकी बोलती बंद होगई।ताज्जुब इस बात का कि अब तक उनके खिलाफ़ वरिष्ठ अधिकारियों ने किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की।
दरअसल डीसीपी किरन चव्हान ने जब इस आरोपी को छोड़ने का आदेश जारी किया उस दौरान वह मुंबई पुलिस के एक ऐसे वरिष्ठ अधिकारी से फोन पर बात कर रहे थे जिनका कुछ ही महीने पहले एक बड़ी घटना में नाम सामने आया है।मामले की गंभीरता को देख राज्य सरकार ने उस केस को सीबीआई के हवाले किया था जिसके बाद सीबीआई ने उनका बयान भी दर्ज किया था।किरण चव्हान ने उस दिन 3 बजे से लेकर 5 बजे तक इस अधिकारी से कई बार बात चीत की और उसके बाद ओरोपी को छोड़ दिया गया।सोने पर सोहागा यह कि जिस दौरान यह बातचीत हो रही थी तब उसी पुलिस थाने मे मौजूद एक पुलिस कर्मी इसे रिकार्ड कर लिया।खास बात तो यह कि उसी दिन सुरक्षा को लेकर स्थानी पुलिस थाने के साथ किरन चौव्हान ने एक मीटिंग रखी थी लेकिन इस आरोपी को छोड़ने को लेकर उन्होंने इस मीटिंग को भी कैंसल कर दिया। इस बारे में डीसीपी किरन चव्हान से बात की गई तो उन्होंने इस मामले में बात करने की कोशिश की तो उन्होंने किसी तरह का जवाब देने में लाचारी ज़ाहिर की फ़िलहाल वह मुंबई के जोन 12 में डीसीपी के ओहदे पर तैनात हैं।ऐसे में सोचने वाली बात यह है कि क्या स्कॉटलैंड यार्ड वास्तव में पावर और ओहदे के दम पर कुछ भी कर सकती है।
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