शाहिद अंसारी
मुंबई : महाराष्ट्र ह्युमन राइट्स कमीशन ने मुंबई पुलिस द्वारा एक ही आरोप में तीन पुलिस थानों में 13 दिनों के अंदर तीन मामले दर्ज करने वाले 3 सुपारीबाज़ पुलिस थानों को आड़े हाथ लेते हुए राज्य सरकार को यह आदेश दिया है कि वह उनके खिलाफ़ जांच कर सख्त कार्रवाई करें आदेश जारी करते हुए पीड़ित को एक लाख रूपए का मुआवज़ा भी अदा करने के लिए कहा।
शिकायतकर्ता देवीला मेहता ने अपनी शिकायत में बताया कि उनके बेटे और दूसरे एक व्यापारी के बीच ज्वेलरी के कारोबार को लेकर विवाद चल रहा था। जिसके चलते व्यापारी शिकायतकर्ता ने जूलाई 2015 में एक ही मामले में मुंबई के तीन सुपारीबाज़ पुलिस थानों में तीन एफआईआर दर्ज कराई जिसमें डी.बी मार्ग , एलटी मार्ग और गामदेवी तीनों पुलिस थाने शामिल हैं। पीड़िता कहती हैं कि ज्वेलरी के कारोबार को लेकर आपसी विवाद चलने के बाद उनके बेटे के खिलाफ़ धड़ाधड़ तीन मामले दर्ज किए गए और जूलाई में उनके बेटे राजीव मेहता को डीबी मार्ग पुलिस थाने ने गिरफ्तार किया। वहां से न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद 4 अगस्त 2015 को गामदेवी पुलिस थाने ने उन्हें गिरफ्तार किया। इस गिरफ्तारी के बाद उनके घर में जबरन घुस कर उनसे सादे कागज़ पर दस्तेखत कराया गया हालांकि वह कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रही हैं। जबरन दस्तेखत कराने के समय उनकी बहू को गामदेवी पुलिस थाने के पीएसआई आकाश पवार ने देना बैंक में बुलाया और जैसे ही वह बैंक पहुंची तो आकाश पवार ने उन्हें परेशान करना शुरु कर दिया। इधर बैंक में एक सुपारीबाज़ पुलिस टीम मौजूद थी जबकी दूसरी सुपारीबाज़ टीम के इंचार्ज पीआई चिमटे और उनकी टीम उनके घर पहुंची। घर में पहुंच कर धमकाते हुए उनसे सादे कागज़ पर दस्तेखत कराया और कहा कि अगर दस्तेखत नहीं किया तो उनके बेटे को जिसे उन्होंने गिरफ्तार किया है उसका वह मुंह नहीं देख पाऐंगी। उनकी बहू किसी तरह से अपने आप को सुपारीबाज़ पुलिस टीम के चंगुल से छुड़ा कर जब बैंक से घर पहुंची तो घर पर पुलिस वालों ने अंदर से घर बंद किया था और इस जबरन दस्तेखत कराया और बाहर से उनकी बहू ने जब शोर मचाया तो वह दस्तेखत किया हुआ कागज लेकर चले गए।
पुलिस ने ह्युमन राइट्स कमीशन को बताया कि वह उनके घर में तलाशी लेने गए थे और उन्होंने पंच की दस्तेखत के साथ कुछ बरामदगी की बात बताई लेकिन हैरान कर देने वाली बात यह है कि उसमें जिस घर से बरमादगी की बात कही उस परिवार के सदस्यों की वहां दस्तेखत ही नहीं है जिसके बाद उनकी यह कहानी झूटी साबित हुई। अपने आदेश में ह्युमन राइट्स कमीशन ने लिखा है कि उन्होंने तत्कालीन डीसीपी ज़ोन 2 संदीप कर्निक को कई बार हाजिर होने के लिए बुलाया लेकिन वह कभी नहीं आए।राज्य मानवाधिकार आयोग ने जोन दो के डीसीपी से जांच कर मामले की रिपोर्ट देने को कहा लेकिन उन्होंने गांवदेवी पुलिस के सीनियर इंस्पेक्टर को मामले की जांच करने को कहा और उसी अधिकारी ने जांच कर रिपोर्ट सौंपी जो आरोपों के घेरे में था। राज्य मानवाधिकार आयोग ने इस बात पर हैरानी जताई। बार-बार बुलाए जाने के बाद डीसीपी आयोग के सामने नहीं पहुंचे तो आयोग ने स्पेशल इंस्पेक्टर जनरल पुलिस को मामले की जांच के आदेश दिए। जांच में साफ हुआ कि पुलिस ने न सिर्फ नियम कानून बल्कि मानवाधिकारों का भी उल्लंघन किया है। राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष एस आर बन्नूरमठ ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह मामले की जांच कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे और पीड़ित व्यापारी की मां इस मामले की शिकायतकर्ता को एक लाख रुपए का मुआवजा दे।
मुंबई के सारे पुलिस थानों में से कुछ पुलिस थाने सुपारी लेकर मामला दर्ज करने के लिए मशहूर हैं उनमें डीबी मार्ग और एलटी मार्ग सब से आगे है हालांकि इन्ही पुलिस थानों के एक सीनियर पीआई जो कि शादीशुदा होते हुए एक महिला के साथ पुलिस थाने के पास की ही एक बिल्डिंग में लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं और उनकी गर्लफ्रेंड के कहने पर उसके ही बिल्डिंग में रहने वाले एक सीनियर सिटीज़न के खिलाफ़ पिछले साल रेप का मामला दर्ज करवाया था जिसे उसी पुलिस थाने के पुलिस वालों ने गिरफ्तार किया था जिसके बाद वह ज़िल्लत बर्दाश्त नहीं कर सके और उनकी हार्ट अटैक से मौत हो गई Bombay Leaks पर जल्द ही इस सीनियर पीआई की रासलीला की ख़बर प्रकाशित की जाएगी।
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