शाहिद अंसारी
मुंबई: भारत में महिलाओं का पीछा करने में पिछले तीन वर्षों में महाराष्ट्र सब से आगे है पीछा करने वालों पर कार्रवाई करने कर लिए जो नियम और कानून बनाया गया है उसे निर्भया कांड के बाद सख्त किया गया ताकि इस तरह की वारदातों में कमी आए लेकिन आंकड़े बिल्कुल अलग है।यह भी कयास लगाया जा रहा है कि पहले महिलाओं से जुड़े मामलों में गंभीरता नहीं दिखाई जाती थी लेकिन अब मामले ज्यादा दर्ज हो रहे इसलिए आकड़े उसी के अनुसार हैं।
पिछले तीन सालों में सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए हैं पूरे राज्य में यह संख्या 3,783 का रही। जबकि दिल्ली के में वारदातों की संख्या 2,500 है तेलंगाना में 2,288, उत्तर प्रदेश में 1,837 और आंध्र प्रदेश में पीछा करने के दर्ज हुए मामले 1,694 रहे।देश भर में पीछा करने के मामलों में 67 फीसदी मामले पांच राज्यों के हैं।
4 अगस्त को हरियाणाके चंडीगढ़ में बीजेपी के सुभाष बराला के बेटे विकास बराला के ज़रिए आईएस अधिकारी की 29 साल की बेटी 29 वर्षीय बेटी वर्णिका कुंडू का सड़क पर पीछा किया गया था जिसके बाद देश भर में इस वारदात को लेकर जमकर निंदा की गई।पिछले तीन वर्षों में चंडीगढ़ में पीछा करने के 38 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें 41 गिरफ्तारियां हुई हैं।हालांकि आंकड़ों पर नज़र डालें तो पता चलेगा कि पिछले तीन सालों में पीछा करने के मामले में 52 फीसद इजाफा हुआ है।
महिलाओं के मुद्दों को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ने वाली पूर्व आईएस अधिकारी मशहूर वकील आभा सिंह ने कहा कि “ महिलाओँ से जुड़े मामलों की शुरूआत ही पीछा करने से होती है अक्सर के इस तरह के मामलों को अभिवावक और खुद पुलिस गंभीरतासे नहीं लेते जिसके बाद फिर एसिड अटैक , चाकू से हमला जैसी वारदातों से महिला को दो चार होना पड़ता है 2013 में नियम बनने के बाद कई लोगों ने इसको लेकर मजाक भी उड़ाया लेकिन सच में इस कानून को देखते हुए पुलिस और अभिवावक को गंभीर होने की ज़रूरत है तब जाकर ही इस कायदे का सही इस्तेमाल होगा और महिलाओं का पीछा करने वालों पर और उनपर हो रहे अत्याचार पर लगाम लग सके गीं । ”
महाराष्ट्र महिला आयोग की चेयरमैन सुशीबेन शाह ने बात करते हुए कहा कि “ यह बहुत ही चौंका देने वाली बात है कि महाराष्ट्र में सब से अधिक मामले दर्ज हैं लेकिन पीड़ित के साथ पुलिस का रवय्या भी कुछ बेहतर नहीं होता अक्सर मामलों में पुलिस खउद पीड़िता को उपदेश देने लगती है वह मामले दर्ज करने के बजाए पीड़ित से ही उलटे सीधे सवाल करते हैं जिसकी वजह से मामला नही दर्ज किया जाता या पीड़िता खुद परेशान होकर मामला नहीं दर्ज करवाती इसलिए राज्य सरकार , महाराष्ट्र महिला आयोग और पुलिस हर एक को गंभीर होने की ज़रूरत है। ”
लेकिन यह सुन कर आपको हैरानी ज़रूर होगी कि साल 2016 में महिलाओं का पीछा करने के 7,132 मामले दर्ज किए गए हैं। यह आंकड़े 2014 के मुकाबले में 52 फीसदी ज्यादा हैं जबकि 8 अगस्त 2017 को गृह मंत्रालय के राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहिर ने लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी है कि भारत में पिछले 3 सालों में पीछा करने के कम से कम 18,097 मामले सामने आए हैं और कुल 20,753 लोगों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचाया गया।हालांकि कनविक्शन रेट बहुत ही कम रहा है क्योंकि ऐसे मामले कोर्ट में पहुंचने तक कमज़ोर पड़ जाते हैं और इसका फाएदा सीधे सीधे आरोपी उठा लेता हैं साल 2014 में कनविक्शन रेट 34.8 फीसदी रहा जबकि साल 2015 में 26.4 फीसदी और साल 2016 में 24.7 फीसदी रहा।
मनोचिकित्सक डाक्टर माचिस वाला का कहना है कि “ महाराष्ट्र का जो आकड़ा है इसमें इस बात को लेकर चौंकने की बात नही ंहै बल्कि इस से यह पता चलता है कि महाराष्ट्र में महिलाएं जागरुक हो चुकी हैं और वह पुलिस थानों तक मामले दर्ज करने के लिए पहुंचती हैं इसलिए मामला अधिक से अधिक रिकार्ड किया जा रहा है हालांकि दूसरे राज्यों में महिलाओं का पीछा करके उनका अपहरण कर लिया जाता है और मामले तक दर्ज नहीं होते।इसके साथ साथ मुंबई में या पूरे महाराष्ट्र की अगर बात की जाए तो आज भी गली नुक्कडो़ं पर भी मोजूद लोग महिलाओं की एक आवाज़ पर मदद के लिे तय्यार हो जाते हैं और खुद महिलाऐं भी कभी कभी अपनी जूतियों से पीटती हैं हालांकि दूसरे राज्यों में इस तरह की हरकत फुटपाथ पर रहने वाले युवक इस तरह की हरकतें करते हैं जो कि मुफ्त मे लुत्फ़ के चक्कर में किसी भी महिला का पीछा करने लगते हैं।”
सब से चौंका देने वाली बात तो यह है कि निर्भया कांड के बाद जिस तरह से दिल्ली में महिलाओं के लिए सख्त नियम और कानून बनाए गए उसके बाद से वहां पीछा करने के सब से ज्यादा मामले दर्ज किए गए साल 2015 में दिल्ली में पीछा करने के सबसे ज्यादा अपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं दिल्ली के लिए ये आंकड़े 12.1 फीसदी रहे। इस संबंध में 4.2 फीसदी के साथ तेलंगाना दूसरे औऱ 2.7 फीसदी के साथ हरियाणा तीसरे स्थान पर रहा है।
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