मुंबई:छगन भुजबल और समीर की गिरफ्तारी के बाद लोगों की निगाहें फिलहाल टिकी हुई हैं उन लोगों पर जदिन लोगों ने भुजबल के काले कोरबार को सफेद करने का ठेका ले रखा है।लेकिन ताज्जुब इस बात का कि अबतक इन लोगों पर ना तो ऐंटी करप्शन ब्युरो और ना ही ED ने किसी तरह का कोई शिकंजा कसा है।भले ही ED भुबजबल को गिरफ्तार कर के अपनी पीठ थपथपाने की कोशिश की है लेकिन उन मास्टरमाइंड यानी जिन लोगों ने भुजबल के काले धन को सफेद किया उनको ढील दे रखी है इसी लिए अबतक कानून का शिकंजा इनकी गिरेबान तक नहीं पहुंच पाया।
भुजबल को लेकर जिस तरह से ED और ऐंटी करप्शन ब्युरो ने फुर्ती दिखाई शूरू में ऐसा लग रहा था कि बस सरकार अगर इजज़त दे दे तो भुजबल ऐंड कंपनी को सलाखों के पीछे पहुंचाने में इनका अहम रोल रहेगा।लेकिन कार्रवाई का यह दायरा दिखाने के लिए कुछ था और अंदर कुछ और चल रहा है।
दरअसल डीजी प्रवीण दिक्षित ने लंबे समय से कार्रवाई करने का बिगुल बजाया था।लेकिन मामला दर्ज होने के बाद से छापेमारी में जो सुस्ती देखने को मिली वह बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है।दरअसल मामला दर्ज होने के बाद ही छगन भुजबल राज्य के मुख्यमंत्री से मिले और फिर एसीबी ने मामला दर्ज करने के बाद छापेमारी में जो समय लगाया या देर लगाई उसका सीधे सीधे फाएदा छगन भुजबल ने उठाया।क्योंकि जब एसीबी की टीम ने भुजबल के ठिकानों पर छापेमारी की तो वहां उनके हाथ सिर्फ दीवार और फर्नीचर के अलावा कुछ नहीं था।यहां तक इन जगहों पर जहां छगन भुजबल ने ऐंटिक सामान रखे थे वह तक गायब करदिया गए।
भुजबल ने छुपाए सुबूत
हालांकि छोटे से छोटे केसों मे एसीबी हमेशा छापेमारी की कार्रवाई तुरंत करती है ताकि देरी करने में आरोपी इसका फाएदा ना उठाले।लेकिन भुजबल जैसे संवेदनशील और बड़े मामले में एसीबी के अधिकारी छापेमारी के छटपटा रहे थे लेकिन तत्तकालीन डीजी प्रवीण दिक्षित ने तुरंत कार्रवाई के लिए मना कर भुजबल को राहत दी।और उससे ज्यदा फाएदा वह चार्टेड अकाउंटेट ने उठाया जिन्होंने भुजबल की काली कमाई का सफेद करने का ठेका उठाया था इसी लिए आजतक कोलकाता कनेक्शन बेनकाब होने का बाद भी कोई भी चार्टेड़ अकाउंटेंट एसीबी की गिरफ्त मे नहीं आसका और ना ही ED की गिरफ्त में आया।
रोपोश हुए चार्टेड अकाउंटेंट
दरअसल कार्रवाई के बाद से यह सारे चार्टेड अकाउंटेट अपना अपना ठिकाना बदलना शूरू किया कई लोग भुजबल की गिरफ्तारी के बाद से रोपोश होचुके हैं।और अब वह ED की पहुंच से बाहर हैं।कोलकाता में देश भर के चार्टेड अकाउंटेट बैठ कर पूरे देश का काला धन सफेद कररहे हैं। कोलकाता में बैठे सीए का काम काले धन को सफेद करने का है और यह काम मात्र छगन भुजबल का ही नहीं बल्कि माया नगरी के और भी कई सफेद पोशों की काली कमाई को कोलकाता के ही चार्टेड अकाउंटेंट की गैंग नें सफेद किया है।लेकिन मामला फिलहाल भुजबल का चल रहा है इसलिए उसपर सेंट्रल ऑब्ज़र्वर ने शुरू से ही बैखौफ होकर पड़ताल की और कई अहम खुलासे भी किए।
बोरीवली टू बंगाल
हवाले के जरिए मुंबई से कोलकाता पैसे पहुंचाने में मुबंई के बोरीवली के रहने वाले चार्टेड अकाउंटेंट का नाम जांच मे सामने आया है।वोरीवली जहां से बैठ कर काले धन को सफेद करने के ज्ञान बांटे जाते हैं और यहीं से शूरू होती है काला धन को सफेद करने की प्रक्रिया।भुजबल की काली कमाई को सफेद करने में कोलकाता के जिन चार्टेड अकाउटेंट के नाम सामने आए हैं उनकी तादाद खासी है।लेकिन इनमें से कुछ ऐसे हैं जिन की गिरफ्तारी कभी भी होसकती है जो भुजबल की काली कमाई के इस खेल के मास्टरमाइंड हैं।जल्द ही सेंट्रल ऑब्ज़र्वर पर उन सारी कंपनियों के नाम और उन लोगों के नाम भी प्रकाषित किए जाऐंगें जिनके ज़रिए भुजबल की कंपनियों में शेयर खरीदे गए।मास्टरमाइंड की फहरिस्त में जो सबसे पहला नाम है वह है कोलकाता का रहने वाला चार्टेड अकाउंटेंट संजीव जैन।
बोरीवली के बाद कोलकाता के जिस सीए का नाम भुजबल ऐंड कंपनी के साथ सामने आया इसका नाम संजीव जैन है।पेशे से चार्टेड अकाउंटेंट ठिकाना कोलकाता के नंदराम सेन स्ट्रीट है।संजीव जैन तक हवाले से करोड़ों रूपए मुबंई के चार्टेड अकाउंटेंट ने पहुंचाए और संजीव जैन ने उसी पैसे से भुजबल की कंपनी में सस्ते शेयर को करोड़ों मे खरीदे।गैर कानूनी को कानूनी बनाने के लिए उसकी अदायगी चेक से की गई।ताकि भुजबल की काली कमाई इसी आड़ से सफेद होजाए।संजीव जैन भुजबल के कोलकाता कनेक्शन का मास्टर माइंड हैं जिसने कोलकाता के लोगों के नाम पर फर्ज़ी कंपनियां खोली और उनके अकाउंट में हवाले के ज़रिए मंगाए हुए करोड़ों रूपए जमां कर भुजबल की कंपनियों में शेयर की खरीदी की।
ताज्जुब इस बात का कि जब मुबंई ऐंटी करप्शन ब्युरो की टीम कोलकाता के इस मास्टर माइंड को बयान देने के लिए तलब करना चाहा तो उस दौरान ऐंटी करप्शन ब्युरो के अधिकारियों को नागपुर में मौजूद एक सीए ने फोन पर धमकी दी और यह बयान देने के बजाए रफू चक्कर होगया।
चार्टेड अकाउंटेंट राजेश कुमार केजरीवाल
नाम भले ही केजरीवाल हो लेकिन काम बहुत ही घिनावला है।पेशे से चार्टेड अकाउंटेंट,टैक्स कंसलटेंट,इंकम टैक्स कंसलटेंट,सर्विस टैक्स कंसलटेंट और कोलकाता के ही रहने वाला है।भुजबल की काली कमाई को सफेद करने की फहरिस्त में चार्टेड अकाउंटेंट राजेश कुमार केजरीवाल का भी नाम सामने आया है।कोलकाता के खलत गोस लैन में रहने वाले राजेश कुमार केजरीवाल की भी यही कहानी है।इसके पास भी मुबंई में मौजूद इसी सीए गैंग के दूसरे सीए ने हवाले से कोरड़ों रूपए भेजे और कोलकाता मे बैठकर इसने उस हवाले के पैसे से भुजबल की ही कंपनी के कौड़ी के भाव के शेयर करोड़ों में खरीदकर भुजबल की काली कमाई को सफेद किया।
चार्टेड अकाउंटेंट चंद्रशेखर सारदा
कोलकाता की जस्टिस द्वारिका प्रसाद रोड पर रहने वाले चार्टेड अकाउंटेंट चंद्रशेखर सारदा भी भुजबल की काली कमाई को सफेद करने की फहरिस्त मे शामिल है।
इन सबका काम यही है कि ब्लैक मनी को कैसे व्हाइट किया जाए ताकि जांच एजेसिंयों को और सरकार को इसकी भनक तक ना लगे।क्योंकि भारत मे ही रहकर काले धन को सफेद करने उतना आसान नहीं है और उससे भी बड़ी मुश्किल यह है कि अब देस से बाहर काली कमाई को पहुंचाना भी एक मुश्किल काम है।ऐसे में देश भर के इन चार्टेड अकाउंटेंट नें एक गैगं बनाई जिसके तार मुंबई कोलकाता दिल्ली और देश के कई बड़े शहरों से जुड़े हुए हैं।
कैश कमाई को हवाले के ज़रिए कोलकाता पहुंचाना और और वहां से बैठ कर कोलकाता की कंपनियों में उसे निवेश करना।और फिर उसी कंपनियों के ज़रिए संबंधित व्यक्ति की कंपनी मे कोड़ियों के भाव के शेयर को करोड़ों मे खरीद कर काली कमाई की इंट्र कर उसे सफेद किया जाता है।
मुंबई ऐंटी करप्शन ब्युरो ने जब इस मामले कीछानबीन की और कोलकाता जैसे ही पहुंची इन लोगों में खलबली मच गई।कई लोगों तो बयान देने और पकड़े जाने के डर से भाग खड़े हुए।
भुजबल का कोलकाता का ब्लैक ऐंड व्हाइट कनेक्शन यह खबर जनवरी में चार्टेड अकाउंटेट में प्रकाषित की गई थी।उसके बाद से ही कोलकाता नागपुर और मुबंई मे मौजूद चार्टेड अकाउंटेंट के बीच खलबली मच गई।हालांकि यह मामला अब ED के समक्ष है और समीर और छगन भुजबल की गिरफ्तारी भी होगई है लेकिन अबतक चार्टेड अकाउंटेंट की यह गैंग जांच एजेंसियों की पहुंच से बाहर है।भुजबल का कोलकाता कनेक्शन बेनकाब होने के बाद यह बात अब साफ होगई है कि पूरे में देश में इस समय आतंकवाद और अंडरवर्ल्ड से ज़्यादा खतरनाक चार्टेड अकाउंटेंट की यह गैंग है जो भारत में ही रहकर सफेद पोशों के काले धन को सफेद करने में बड़ी महारात रखते हैं जिनपर शिकंजा कसना बेहद ज़रूरी है।इनकी गिरफ्तारी को लेकर हमने ED के अधिकारी सत्त्यबरत कुमार से बात कर यह जानने की कोशिश की कि आखिर इनकी गिरफ्तारी कब ही लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।अब ऐसे मे जब यह सच्चाई सामने आई तो देखने वाली बात यह होगी इन्हें ACB की तरह ED कितना छूट देती है और यह कबतक बचते रहेंगे रहेंगे।
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