शाहिद अंसारी
मुंबई:आरबीआई की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ कि बैंक मे चल रहे भ्रष्टाचार को लेकर आरीबीई ने गहराई से जांच करते हुए कहा कि बैंक ने आरबीआई के निर्देशों और नियमों की अवमानना की है।आरबीआई ने अपनी जांच मे कहा कि बैंक ने बैंकिंग ऐक्ट 1949 (AACS) का उल्लघन किया है जिसकी वजह से इस कानून के तहेत बैंक को दंडित किया जा सकता है।आरबीआई ने बैंक के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स की मान्यता के बाद इसका जवाब मांगा है जिसके लिए आरबीआई ने बैंक को 21 दिन का समय दिया था और 21 दिन में जवाब न मिलने पर बैंक पर आर्थिक दंड की प्रक्रिया को आरबीआई अपने द्वारा बनाए नियमों के हिसाब से पूरी करेगी।
जांच रिपोर्ट जिसमें लिखा है कि बैंक की क्षेत्री शाखा जिनमें नल बाजार,पनवेल,अब्दुर्रहमान स्ट्रीट,फव्हारा गाँधी रोड और हैदराबाद ब्रांच के लाएसेंस न होने के बावजूद पांच जगहों पर आरबीआई द्वारा बनाए गए नियमों का उल्लघन करते हुए बैंकिंग कारोबार चालू रखे गए हैं। जिसकी वजह से बैंक से आरबीआई ने 5 लाख रूपए का दंड वसूल किया।बैंक ने आरबीआई की ताकीद के बाद भी 31 मार्च 2014 तक करोड़ों रूपए इधर उधर किए जिनमें मध्य प्रदेश स्टेट इंडस्ट्रियल डेवल्पमेंट कार्पोरेशन(MPSIDC) में 828.57 लाख,रिलाइंस इनफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड में 2000.00 लाख और शाह ग्रुप में 3506.47 लाख निवेश किए।इसमें से शाह ग्रुप के कई बंद खाते भी शामिल हैं।
आरबीआई ने इन नियमों का उल्लघन देख बैंक से आर्थिक दंड वसूल किया।31 मार्च 2014 तक कई कंपनियों को बैंक की ओर से व्यक्तिगत कर्ज़ की जो सीमा थी उसे नज़र करते हुए करोड़ों रूपए दे दिए जिसका कोई हिसाब किताब ही नहीं इनमें हैदराबाद समेत कई जगहें शामिल हैं।जिनमें रावस ग्रुप,एफए इंडरप्राइजेज,एफए इनफ्रास्ट्रक्चर,शादान एजुकेश्नल सोसायटी समेत कई कंपनिया शामिल हैं।
इस के अलावा बैंक के डायरेक्टर और उनके रिश्तेदार भी इस भ्रष्टाचार में शामिल हैं जिनमें बैंक के डायरेक्टर जो ज़ीशान मेंहदी हैं वह खुद कई कपंनियों कंपनियों के पार्टनर हैं इनकी जब आरबीआई ने जांच की तो उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।और आज वही डायरेक्टर फिर से बैंक में कबज़ा जमाए बैठे हैं।बैंक द्वारा हाउसिगं इडंस्ट्री बिल्डरों ने भी बैंक के डायरेक्टरों की मिलीभगत की वजह से बैंक को करोड़ों का चूना लगाया है जिसमें आरबीआई की जांच में तकरीबन 40 करोड़ से भी ज़्यादा रूपए का भ्रष्टाचार सामने आया है।
सब से खास बात तो यह है कि आरबीआई की ओर से जारी की गई गाइडलाइंस में केवाईसी के नियमों को संशोधन ही नहीं किया गया इसमें क्पंयुटर में किसी तरह के जानकारी मेंटटेन करने की जो स्विधा होती है वह तक नहीं है इससे भ्रष्टाचार और ब्लैक लिस्टेड कंपिनियों और लोगोंके बारे में जानकारी नहीं मिलती इससे बैंक को भ्रष्टाचार करने में आसानी होती है और वह लोग आसानी से बच जाते हैं।आरबीआई की ओर से नियुक्त किए गए जांच अधिकारी पीआरपी सिंह ने यह जांच की थी।
आरबीआई की ओर से जो जांच की गई उससे पता चलता है कि बैंक का भविष्य खतरे में है और इसका भी हाल मेमन बैंक के जैसे होने वाला है जिसके डायरेक्टर इमरान फर्नीचरवाला ने बैंक को करोड़ों के चूने लगाए।
बॉम्बे मर्कंटाइल बैंक के डायरेक्टर के ऊपर सीबीआई और पुलिस में कई भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हुए हैं क्योंकि बैंक की आड़ से इन लोगों ने अपनी अपनी तिजोरी भरी है जिसकी वजह से आरबीआई को गंभीर कदम उठाने पड़े।आरबीआई की रिपोर्ट में जिस तरह से बैंक के डायरेक्टरों और बैंक पर टिप्पणी की गई है उस हिसाब से या तो बैंक जल्द ही बंद होगी या तो इसे आरबीआई अपने कबज़े में ले ली गी।और मेमम बैंक के तर्ज़ परर ग्राहकों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है इसलिए खातेदारों को चाहिए कि वह अपनी जमां पूंजी इस बैंक से जितनी जल्दी हो सके निकाल कर किसी दूसरी बैंक में जमां करदें क्योंकि बैंक पर जब आरबीआई का शिकंजा कसेगा तो बैंक के चेयरमैन और डायरेक्टर तो अपने हाथ खड़े कर लेंगे और ग्राहकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
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