Bombay Leaks Desk
मुंबई:अरुण गावली के जीनव पर आधारित फिल्म डैडी जल्द ही रीलीज़ होने वाली है लेकिन रियल लाइफ़ और रील लाइफ़ में ज़मीन आसमान का फ़र्क है रील लाइफ़ में अरुण गावली के उस किरदार को उजागर किया गया है जिसके बारे में बच्चा बच्चा जानता है।लेकिन अरुण गावली और उनकी पत्नी आशा गावली की प्रेम कहानी शायद बहुत ही कम ही लोगों को पता है।
रील और रियल लाइफ़ के बीच में अपराध की दुनिया के दबंग अरुण गावली और उनकी पत्नी आशा गावली की ज़िंदगी हमेशा हचकोले खाती रही उनकी जिंदगी के वह हिस्से जिसे खुद आशा ने नहीं बल्कि अरुण गावली की प्रेमिका ने महसूस किया।जुर्म की दुनिया का एक गैंगिस्टर भी मुबब्बत मे गिरफ्तार हो जाता है।Bombay Leaks के एडिटर शाहिद अंसारी से हुई विशेष बात चीत के कुछ अंश जिनमें अरुण गावली की मुहब्बत की वह दास्तां उनकी रियल लाइफ़ की पत्नी आशा गावली ने बयान किया जो आज तक किसी ने नहीं सुनी।
अरुण गावली के जेल जाने के बाद आपको किन दिक्कतों का सामना करना पड़ा ?
(हंसते हुए) कैसा लगता है एक पत्नी का पति जब उससे दूर रहता है तो कैसा लगता है यह बताना बहुत मुश्किल है उनके न होने पर सब मुझे संभालना पड़ता है दिक्कत भी होती हैं परेशानी भी होती हैं।ऐसा लम्हे बहुत से हैं जब मैं उनके बिना दिक्कत महसूस करती हूं अपने आप को अकेला महसूस करती हूं।अभी तो मेरी बेटी नगर सेवक है हम जब उनसे मिलने जाते हैं तो सब मशविरा लेते हैं बिना उनके हम कुछ नही करते।
उस दौर की बात बताइए उनका व्यवहार आपके साथ कैसा था आपकी पहली मुलाकात कब और कहां हुई ?
उस दौर की बात वह वक्त और यह वक्त बहुत बड़ा फासला था मैं यहां रहती थी वह गरीब थे उनमें प्यार बहुत था अभी सब कुछ हैं मगर उनका प्यार नही है।मेरी दादी यहां (भाइखला) रहती थी तब मेरी उनसे पहचान हुई पहली बार हम मुंबई में 1982 में मिले थे महालक्ष्मी मंदिर के पास उन्होंने मुझे बुलाया था मैं पहुंच गई मैं यहा रहती थी हमारा खुद एक मंदिर था वह और मैं यहां मिले और उन्होंने मुझे कहा महालक्ष्मी मंदिर आओ मैं उन्हे रोज़ देखती थी ऐसा कुछ नही था हम एक दूसरे को देखते थे जबसे मंदिर का काम शुरू किया तभी हमारी पहचान हुई मैं सातवीं पढ़ी फिर मेरी दादी के घर मुंबई आगई और खुद यहीं बस गई पहले गावली के दिल में फिर मुंबई में बस गई।जब यह मिलने बुलाए तो बहुत डर लगा यह सोच रही थी कि क्यों बुला रहे उनके दिल में जो भाव था उनके मन में क्या था पता नही था वहां उन्होंने मुझ़े प्रपोज़ किया उन्होंने कहा कि मैं तुम से प्यार करता हूं मैंने कोई जवाब नहीं दिया उसी दौरान मुझे प्यार हो गया।मैंने उस दौरान उन्हें कोई जवाब नही दिया फिर हम एक साल बाद मिले इस दौरान वह मेरा इंतेजार करते रहे मैं वापस आई ओर फिर मिलने का सिलसिला आगे बढा उस दौरान जब मैं गांव में थी एक साल में मुझे कोई समझ नही थी और ना उनसे प्यार था मैं उस वक्त काफी छोटी थी अपने परिवार के साथ थी उतना समझ नही थी मेरे अंदर मुझे गावली के बारे में कुछ पता नही था लेकिन गीता के पैदा होने के बाद पता चला की गावली का और उनकी गैंग के बारे में।हफ्ते में एक बार हम हैंगिंग गार्डेन में मिलते थे आधा एक घंटे बैठते थे और वापस आ जाते थे उस दौरान श्याम नाम का एक बंदा था वह था।वह हमारे लिए एक दूसरे के संदेश पहुचाता था और फिर हमारे बीच में भगवान था।मैं घर वालों से बहुत डरती थी इसलिए कि अगर पता चला तो रिश्ता टूट जाएगा।मुझे बहुत प्यार था इसलिए घर वालों को कभी नही बताई।विवाह के एक साल पहले तक प्यार और फिर शादी।मेरी शादी मेरे घर वाले दूसरी जगह कर रहे थे मैंने उसे तोड़कर इनके पास आ गई।मैंने उनसे कोई वादा नही की मैंने कभी नही सोचा था कि मैं इनसे इतना प्यार करूंगी।प्यार में कोई वादा नही होता मैं यही समझी हमेशा।पहली बार जब वह गांव में आए तो वह पांचपीर की दगराह आए 2 दिन के लिए।लेकिन मुझे नही पता था कि वह मेरे लिए आए मेरे घर वालों को नही पता था।मेरे भाई और गावली की दोस्ती थी वुह मुझे बोले कि मैं तुम्हारे मां बाप को बताता हूं।मैंने उन्हें मना कि क्योंकि मुझे डर था कि मेरे बाप मना कर देंगे मैंने बिना घर वालों को बताए मुंबई आई और फिर यहां उनसे शादी की।बस एक प्यार था जो मुझे उन तक खीच लाया एक तरह से समझो भाग के आई।जब गीता पैदा हुई तो मेरे भाई को और सबको पता चला की मेरी शादी हो चुकी है।हमारी शादी महालक्ष्मी मंदिर में हुई वह मुझे बोले किसी को साक्षी मानना है उन्होंने कहा मंदिर और यहां का समुंद्र हमारा साक्षी है मैंने उन्हें कहा मुझे किसी को नही बुलाना उस दौरान वह मिल में काम करते थे।और हमारे यहां गाय का दूध भी वह बेचते थे उस वक्त हम बहुत गरीब थे हम बहुत कठिनाई से ऊपर आए जिसके लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा मुझे मुंबई के कुलाबा डोंबीवली कुर्ला सब जगह रहने के लिए बहुत धक्के खाने पड़े।जब गीता 3.5 साल की हुई तो वह जेल से छूट के बाहर आए।तब तक मुझे गावली के बारे में कुछ नही पता था।बहुत समय बीत गया जब मुझे उनके बारे में पता चला।हमें और परिवार को सच्चाई बोलने की सज़ा मिल रही थी।हमें बहुत लोग तकलीफ देते रहे बहुत से लोग तो भगवान के घर चले गए।मुझे और उन्हें बहुत तकलीफ दी गई 26 साल शादी को होगए लेकिन उनकी पूरी लाइफ अंदर बीती।वापस आए और अंदर बाहर करते रहे फिर इसी तरह औलादें होते गईं।लेकिन कभी वह घर नही रहे।पहली बार वह 8 साल बाहर रहे आमदार रहते हुए भी उन्हें परेशान कर रहे इस तरह से सताना गलत है हम तो आज भी भगवान पर भरोसा रखते हैं जीना चाहिए।यह संसारिक हैं मरने के बाद भी एक दुनिया है।इसलिए हम यह सब भोग रहे।उन्होंने भगवान ने मुझे भटकने नही दिया मैंने हिम्मत से काम लिया मेरे सारे बच्चे।
क्या आपने कभी आम पति पत्नी के जैसे अपनी जिंदगी गुज़ारी है ?
जेल से आते जाते रहेंगे जिस तरह से आम पति पत्नी अपनी जिंदगी गुजारते वैसे हमने कभी अपनी जिंदगी नही बिताई क्योंकि हमेशा कोई ना कोई परेशानी होती रही मैंने हमेशा एक ख्वाब देखा कि वह जेल से आऐंगे तो हम इस तरह से जिंदंगी गुजारेंगे लेकिन कभी ख्वाब पूरा नही हुआ।मैं बहुत से लोगों के नाम बता सकती हूं लेकिन उससे उन्हें और हमारे परिवार को तकलीफ होगी हम जज पर भरोसा करते लेकिन वह भी आज कुछ नही।
जेल जब आप जाते थे उनसे मिलने तब कैसा माहौल होता था ? गीता के पैदा होने के बाद कब आपने उनके परिवार को बताया ?
जब उनसे मिलने जेल जाती थी तो उन्होंने कहा कि मेरे परिवार को बता दो क्योंकि एक बच्ची है।मैंने और उन्होंने परिवार को बतादिया लेकिन बताने के बाद किसी ने परेशान नही किया मैंने मेरे बाप को 6 साल बाद बताई जब उन्हें पता चला तो कोई बवाल नही हुआ क्योंकि बच्ची थी मेरे साथ।
क्या आप अपने आप को गावली की पत्नी होना गर्व की बात समझती हैं वह आपके लिए क्या हैं ? आपके परिवार के बारे में बताइए ?
मेरे लिए ऐसा पति मिलना किस्मत की बात है उनसे दूर रहना बहुत तकलीफ होती है मेरे मां बाप ने कभी इस शादी को लेकर नही डांटा वह मुझे तलाश करते थे लेकिन जब पता चला तो कुछ नही बोले मैं घर में सातवे नंबर पर थी।हम 5 भाई 4 बहनें थे सब लोग वडगांव पीर में थे।दो भाई मुंबई में थे वह एक सब्जी बेचता था और एक भाई मज़गांव डाक में काम करता था।
आप उन्हें कौन कौन से काम में सहयोग करती थीं ?
हमने जबसे पार्टी बनाई उस दौरान से मैं उनका हाथ बटाना शुरू किया बच्चों की शिक्षा में अगर वह होते तो और अच्छे से पढ़ाते थे।मुझे इंग्लिश में दिक्कत होती थी रोज़ पुलिस घर आती थी। रात में भी इन सब से बच्चे डरते थे।तब मुझे बच्चों के लिए तकलीफ और डर के जीना पडता था।बच्चे बहुत डरते थे पुलिस हमेशा सताती थी।
अबतक ज़िंदगी का सब से खतरनाक दिन कौन सा था ?
परमवीर सिंह जब यहां आए हम वह दिन कभी नही भूल सकते वह दिन मेरी जिंदगी का सब से खतरनाक था।हम उस घर में सिसक के जिए हमने अपनी आंखों से ऐसा खून देखा।हर जगह घर में खून ही खून था ऊपर वाले का करम है कि उस समय मेरे बच्चे स्कूल में थे।मैं अकेले थी मुझे पुलिस वाले पकड़ के रखे थे और ऊपर घर में इंकाउंटर कर रहे थे वह पुलिस वाले कैसे बने हैं जो किसी को भी मार देते हैं।मारना उसको चाहिए कि जो क्रुर अपराध करते हैं लेकिन मेरी लाइफ में हजारों लोगों को यह मार दिए ऐसा नही करना चाहिए।मेरे लिए तो वह भगवान हैं जिनका मैं हमेशा उसका शुक्रिया अदा करती हूं।हम अलग अलग मज़हब से होते हुए मुझे सब लोग सवाल पूछते थे बावजूद इसके हम अलग मज़हब के होते हुए भी अडजेस्ट हो गए।उनके प्यार की वजह से मेरे मन में जीने की इच्छा पैदा हुई वह मेरे पति होने के साथ साथ मेरे गुरू भी हैं।मेरी कल्पना हैं उनकी विचार धारा बहुत सुंदर है जब जब मैं उनसे मिलने जाती हूं उनकी बातें सुनती हूं बहुत अच्छा लगता था मुझे हिम्मत मिलती है।
पहली बार वह कब आप से जुदा हुए ?
सबसे पहली दफा मुझे कुछ समझ में ही नही आया वह बोले कि मैं थाने जा के आता हूं और वह साढ़े तीन साल बाद वापस आए।मैं बहुत रोई मेरा जीना मुश्किल होगया था लोग बोलते थे कि बीस साल बाद आऐंगे मैं खुदकुश करने के लिए भी सोची लेकिन हिम्मत नहीं की।
गीता के पैदा होने के बाद ज़िंदगी में क्या बदलाव आया ?
गीता के आने के बात बहुत अच्छा हुआ ज़िंदगी में एक बदलाव आया गीता के आने के बाद घर भी खरीदे गीता लक्षमी थी हमारे घर के लिए।मैं पहली गिरफ्तारी के बाद क्राइम ब्रांच जाती थी पुलिस वालों से बहुत झगड़ा करती थी।आर्थर रोड में हफ्ते में एक बार मुलाकात होती थी।
उस दौरान और अभी गावली को खाने में क्या पसंद है या जेल आप कौन सा खाना ले जाती थीं ?
मैं उस दौरान उनके लिए खाने में सादा खाना दाल चावल मेथी की सब्जी ज्यादा चटपटा खाना नही खाते थे जब मैं उनके लिए खाना बनाती थी कि यही सोचती थी कि वह अच्छा बने मैं हमेशा यही सोच के बनाती थी खाना बनाते वक्त उनके बारे में सोचती थी और यह कयास लगाती थी कि वह खाऐंगे और उंगलियां चाटते रह जाऐँगे।
आपकी सास का आपके पास क्या रवय्या था ?
मैं अपनी सास के साथ एक बहू के रूप में रही वह गीता को देख के खुश हो गई थीं वह गीता को देख कर भी कभी झगड़ा नही किए उन्होंने कोई नाराज़गी नहीं ज़ाहिर ककी।एक बहू के रूप में अचानक मेरी इंट्री पर थोड़ा मेरी सास बोली कि शादी के पहले बोलना चाहिए था मेरी सास ने कहा मैं करवा देती शादी।
ऐसी कौन सी ख्वाहिश है जो अभी पूरी नहीं हुई ?
जब लड़के हुए तो गावली ने कहा कि हम फिर से एक बार तरीके से शादी करेंगे। हमारी ख्वाहिश है कि हम एक बार फिर से शादी करें जबसे वह अंदर गए हम सब सोचे थे कि हमारे बच्चे बोले की हम फिर से शादी के सात फेर लें।हम चाहते हैं कि हमारे परिवार हमारे बच्चे हों और हम फिर से सात फेरे लें।
आप को वह किस समय सब से ज़्यादा पसंद करते थे ?
नवरात्री के दौरान मैंने उनके सामने गरबा किया मुझे बहुत मजा आती थी उनके सामने खेलती थी गरबा हम गरबा के दौरान 9 दिन सब कुछ भूल जाते हैं हम अगले साल का इंतेजार करते हैं। पहली बार चुनाव का मशविरा उन्होंने मुझसे लिए मैंने हां की लेकिन जब भी चुनाव आता है हमें लोग परेशान करने लगते हैं।
राजनीति को लेकर आपकी आगे की रणनीति क्या है ? प्रतिद्वांदियों को कौन सी बात चुभती है ?
हम पूरे महाराष्ट्र मे अपनी सीटें लाना चाहते थे हम चुनाव लड़ें पार्टी बनाए इस वजह से हमें सब परेशान करते थे।गावली की बात ही कुछ और है हर शख्स उनसे प्रभावित हो जाता है हर नेता सोचता है कि गावली आगे बढ़ जाएगा अगर वह 10 से 15 साल हों तो वह मुख्यमंत्री बन जाते वह मुझे कहा करते थे।ओ सुनो वह हमेशा सबकी मदद करते थे मैं देखती थी वह पूरा टाइम जनता को देते थे अपने घर अपने परिवार के लिए वक्त नही देते थे मुझे गुस्सा भी आता था लेकिन मैं बरदाश्त करती थी मैं अपनी ख्वाहिशों को मार देती थी।वह हर एक की मदद करते थे उनके पास जो भी आता है खाली हाथ नही जाता अभी भी वह जेल में हैं लेकिन हर एक की मदद करते हैं उनके जैसा संत भी ऐसा नही करता लेकिन वह हमेशा रात में भी सबको समय देते और पूजा करते थे।कई बार उन्हें लोग घर मे मारने आए लेकिन कोई ना कोई वजह से बच जाते थे।खून से बहुत डरती थी 10 से 15 साल यही सब चला मैं बहुत डरती थी मेरा मन बहुत डरता था।
पहली बार सब से ज़्यादा समय आपको उन्होंने कब दिया ?
वह अंदर हैं लेकिन मालिक उन्हें अच्छा रखे तड़ीपार के बाद वह जब वडगांव पीर में वह दिन मेरे बहुत अच्छे थे कम से कम मेरे पास थे।वह 8 महीने मेरे गांव में ही थे पूरे मेरे गांव के सब लोग आते थे उनके पास।वहां भी लोग उन्हें घेरे रहते थए वहां भी वह दरबार सजाते थे।यहां कोर्ट में भी जनता आती है बस इतना था कि गांव मे जब थे तो मुझे काफी समय देते थे।उनके साथ 8 महीने मुझे माइके में रहकर बहुत सुख मिला क्योंकि वह मेरे साथ थे यह उनका तडीपार का दौर था।
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