शाहिद अंसारी
मुंबई:पुलिस थानों में शिकायत करने के लिए जन्ता को यह सोचना पड़ता है कि कौन से विभाग में और किस अधिकारी को शिकायत की जाए अकसर शिकायतकर्ता की शिकायत भी लेने से पुलिसकर्मी कतराते रहते हैं।इस बात को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने एक फरमान जारी करते हुए राज्य के हर पुलिस थानों के लिए कुछ नियम और कानून बनाए हैं।जिसको लेकर शिकायतकर्ता को अब जगह जगह पुलिस थानों के चक्कर काटन से मुक्ति मिलेगी।अब इस नियम के तहेत किसी भी शिकायत के लिए संबंधित पुलिस थानो को शिकायतकर्ता की शिकायत की स्तिथि 3 हफ्तों के अंदर उसे बतानी पड़ेगी।
मुंबई में समेत पूरे महाराष्ट्र के पुलिस थानों में ऐसे अधिकारियों को नियुक्त किया गया है जिन्हें शिकायतकर्ता सीधे सीधे अपनी शिकायत दे सकते हैं।जिन इलाकों में कमिशनर की नियुक्ति की गई है उन इलाकों में जन्ता की शिकायत के लिए एसीपी को तैनात किया गया है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस उप अधीक्षक को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है।अहब किसी भी पुलिस थाने की शिकायत आप संबंधित एसीपी/पुलिस उप अधीक्षक को अपनी शिकयत दे सकते हैं।यह शिकायत जन्ता एसीपी/पुलिस उप अधीक्षक को हाथ से,ई-मेल द्वारा,डाक द्वार भेज सकते हैं और इन अधिकारियों की यह जिम्मेदारी होगी कि जिस दिन शिकायत आई है उसी दिन उसकी रजिस्टर में एंट्री होगी और उस शिकायत पर नज़र डालने की जिम्मेदारी नियुक्त किए एसीपी/पुलिस उप अधीक्षक की होगी।शिकायतकर्ता की शिकायत जिस पुलिस थाने की होगी उस पर एसीपी/पुलिस उप अधीक्षक लिखित आदेश जारी कर कार्रवाई करने का आदेश जारी करेंगे।एसीपी/पुलिस उप अधीक्षक शिकायतकर्ता को उसकी वह कॉपी देंगे जो संबंधित विभाग को कार्वाई के लिए भेजेंगे ताकि शिकायतकर्ता को इस बात की जानकारी हो कि उसकी शिकायत कहां भेजी गई है। एसीपी/पुलिस उप अधीक्षक को जिस दिन शिकायतकर्ता ने अर्जी दी है उस दिन से 3 हफ्तों के अंदर उस पर क्या कार्रवाई हुई इसकी रिपोर्ट शिकायतकर्ता को दी जाएगी।अगर इस मामले में एसीपी/पुलिस उप अधीक्षक जवाब नहीं दे रहे हैं तो उसके लिए उनके वरिष्ठ अधिकारियों से इसकी शिकायत की जा सकती है।अगर यहां भी सुनवाई नहीं हुई तो मंत्रालय के गृह विभाग में इसकी शिकायत की जासकती है इस शिकायत के बाद कार्रवाई की सुनवाई 15 से 20 दिनों के अंदर ही होगी और इसकी जानकारी शिकायतकर्ता को दी जाएगी।3 हफ्तों के अंदर अगर शिकायतकर्ता की शिकायत का जवाब नहीं मिलता तो उसके लिए एसीपी/पुलिस उप अधीक्षक को लिखित रूप में उन्हें ताकीद करेंगे ताकि कार्रवाई की जासके।ग्रामीण क्षेत्रों में किसी भी तरह के लड़ाई झगड़े होने पर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया जासकता है और इसके लिए उन्हें 10 से 15 दिनों के भीतर ही जवाब देना होगा।सरकार ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि पुलिस कमिशनर और एसपी के ज़रिए इस कानून को लेकर लोगों मे जागरुकता फैलाने के लिए बाकायदा जन्ता दरबार या वर्कशाप के ज़रिए लोगों को जागरुक कर।
पूर्व आईपीएस अधिकारी और वकील वाईपी सिंह ने कहा कि गृह विभाग का यह सरकुलर जिसमें 3 हफ्तों के अंदर की मियाद दी गई है यह गैर संविधानिक है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 7 दिनों के भीतर पुलिस विभाग को जवाब देना चाहिए इस कानून को जारी करने के साथ साथ गृह विभाग को यह भी जारी करना चाहिए कि इस पर कितना अमल किया जारहा है नहीं तो यह भी हर सरकुलर के जैसे ठंडे बस्ते मे चला जाएगा।
राज्य सरकार की इस कोशिश से यकीनन उन लोगों को राहत मिलेगी जो अपनी शिकायतों की स्तिथि जानने के लिए आरटीआई का सहारा लेते थे और उसके लिए भी पुलिस का मात्र जवाब यही होता है कि जांच चल रही है लेकिन अब खुद पुलिस को 3 हफ्तों के अंदर ही शिकायतकर्ता को जवाब देना होगा।हालांकि इस से पहले भी इस तरह के कई कानून आए लेकिन उन पर सरकारी कर्मचारी अमल करने के बजाए रद्दी की टोकरी में फेक दिए।उनमें जन्ता के लिए सब से बड़ा हथियार आरटीआई के रूप मे सामने आया है लेकिन आज भी राज्य के कई ऐसे विभाग हैं जो आरटीआई को भी सिरे से नज़र अंदाज़ कर रहे है इस काननून के ज़रिए सरकार ने अपने गले का फंदा फिर एक बार सरकारी अधिकारियों के गले मे डाला है इस पर कितना अमल होगा यह तो वक्त ही बताएगा।
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