वह पिछली आघाड़ी सरकार की स्वार्थ आधारित जल्दबाजी की राजनीति थी जिस कारण मराठा समाज को अपेक्षित आरक्षण नहीं मिल पाया था। 2014 के लोकसभा चुनावों में हार के बाद महाराष्ट्र में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए आनन-फानन में कांग्रेस नेतृत्व की सरकार ने मराठा समाज को आरक्षण दिये जाने संबंधी एक ऐसा अध्यादेश जारी किया जिसे खामियों के कारण न्यायालय ने निरस्त कर दिया। तभी कहा गया था कि सरकार ने आरक्षण के प्रति जानबूझकर अगंभीरता का रुख अपनाया था। आरोप को इसलिए खारिज नहीं किया जा सका कि तत्कालीन सरकार ने वर्षों की नींद के बाद जिस प्रकार अचानक अध्यादेश जारी किया उसकी कानूनी और तकनीकी खामियां कोई भी समझदार परख सकता था। बावजूद इसके सिर्फ विधान सभा चुनाव में मराठा समर्थन प्राप्त करने के लिए सरकार ने दोषयुक्त अध्यादेश जारी कर दिया था। नती जतन मराठा समाज आरक्षण से वंचित रह गया।प्रशंसनीय है कि महाराष्ट्र की नई भाजपा नेतृत्व की सरकार इन खामियों को दूर कर मराठा समाज के लिए आरक्षण की मांग को स्वीकार करने की दिशा में संकल्पित है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने साफ कर दिया है कि मराठा समाज को आरक्षण देने के प्रति सरकार कटिबद्ध है। वर्षों पुरानी समाज की मांग की पूर्ति की जाएगी। अब अपेक्षा की जा सकती है कि राज्य सरकार पूर्व के अध्यादेश के मसौदे की खामियों का बारीकियों से अध्ययन कर उन्हें दूर करेगी और न्यायिक आवश्यकताओं को पूरा करते हुए न्यायालय की पुष्टि सुनिश्चित करेगी।फडणवीस सरकार का इसलिए भी अभिनंदन कि उसने मराठा समाज के लिए सिर्फ आरक्षण ही नहीं बल्कि उसके सर्वांगीण विकास की दिशा में भी सार्थक कदम उठाए जाने का संकेत दिया है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने घोषणा की है कि मराठा समाज के चहुंमुखी उत्थान के लिए एक पृथक अनुसंधान संस्था का गठन किया जाएगा। यही नहीं, युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री ने अन्ना साहब महामंडल के पुर्नगठन की भी घोषणा की है।तद हेतु 200 करोड़ रुपये का प्रावधान कर सरकार ने मराठा समाज के उत्थान के प्रति अपने समर्पण को चिंहित कर दिया है। राजनीति से पृथक पूरे प्रदेश के हर क्षेत्र- वर्ग का उत्थान विकास तभी संभव है जब दलगत राजनीति की संकुचित विधारधारा से अलग संपूर्णता में विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाये। युवा मुख्यमंत्री फडणवीस चूँकी ऐसे दृष्टिकोण के धारक है, महाराष्ट्रवासी अपने सर्वांगीण विकास के लिए आश्वत हो सकते हैं। फडणवीस की पहल का अनुसरण देश के अन्य राज्यों को भी करना चाहिए। इस कटु सत्य से पूरा देश परिचित है कि यह दलगत संकुचित राजनीति ही है जिस कारण आज तक देश का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया। विकास के मार्ग में दल, जाति या संप्रदाय के आधार पर लिए गए निर्णय रुकावट ही पैदा करते आये हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री फडणवीस ने प्रधान मंत्री मोदी के ‘सबका साथ-सबका विकास’ के उदघोष को अंगीकार करते हुए विकास के प्रति जो सर्व मान्य पारदर्शी कदम उठाया है, वह निश्चय ही सभी के लिए अनुकरणीय है।
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