शाहिद अंसारी
रायगढ़:रायगढ़ ऐंटी करप्शन ब्युरो स्पेशल कोर्ट ने रायगढ़ के तत्कालीन डी.वाई एसपी सुनील कलगुटकर के ज़रिए रिश्वतखोरी के मामले में कर्जत तालुका के ग्राम सेवक और राजेंद्र हीलम (प्राइवेट पर्सन) पर लगे रिश्वतखोरी के आरोप से मुक्त करते हुए ऐंटी करप्शन ब्युरो के डी.वाई एसपी सुनील कलगुटकर को फ़र्ज़ी केस दर्ज करने का मास्टरमाइंड करार दिया।अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि सुनील कलगुटकर ने प्राइवेट आदमी को फंसाने के लिए सरकारी कर्मचारी को बली का बकरा बनाया।सुनील कलगुटकर वही एसीबी अधिकारी हैं जिन पर एंटी करप्शन ब्युरों में रहते हुए गैर कानूनी तरीके से हिरासत में लेने और वसूली के आरोप लगे हैं।Bombay Leaks ने कलगुटकर के ज़रिए अपहरण और वसूली को बेनक़ाब किया था जिसके बाद ऐंटी करप्शन ब्युरो ने जांच करते हुए कलगुटकर का तबादला कर दिया।फिलहाल कलगुटकर के खिलाफ़ ह्युमन राइट्स कमीशन ने जांच की है और जल्द ही इस पर फैसला आने वाला है।कलगुटकर ने सिंचाई घोटाले की भी जांच की है और इस जांच के दौरान ही कलगुटकर के खिलाफ़ अपहरण और वूसली के लगे आरोप सच साबित हुए।
घटना साल 2014 की है जब 2 प्राइवेट लोगों के स्यासी लड़ाई में ऐंटी करप्शन ब्युरो रायगढ़ के डी.वाई.एस.पी सुनील कलगुटकर ने एक शख्स को फाएदा पहुंचाने के लिए कर्जत तालुका के ग्राम सेवक अशोक रवंडल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा कर मामला दर्ज करवा दिया।कलगुटकर की गढ़ी कहानी के मुताबिक शिकायतकर्ता निलेश देशमुख कर्जत के लालवानी फार्म हाउस में काम करने वाले ने फार्म हाउस में बाँध काम करवाने के लिए ग्राम पंचायत से एनओसी मांगी थी और उस दौरान ग्राम सेवक अशोक रवंडल को आवेदन दिया और उस दौरान उसी ग्राम पंचायत मे काम करने वाली महिला सरपंच संगीता हेलम के पति राजेंद्र हेलम (प्राइवेट पर्सन) भी मौजूद थे।शिकायतकर्ता के मुताबिक इस एनओसी के लिए सरपंच संगीता हेलम के पति राजेंद्र हेलम (प्राइवेट पर्सन) ने एनओसी देने के लिए उनसे 20 हज़ार रूपए रिश्नत की मांग की जबकि ग्राम सेवक अशोक रवंडल ने शिकायतकर्ता से 15 हज़ार की रिश्वत और एक लैपटॉप की मांग की इस शिकायत के बाद रायगढ़ के डी.वाई.एस.पी सुनील कलगुटर ने शिकायतकर्ता की शिकायत पर जाल बिछाया और लेकिन कामयाब नहीं हुआ।
कलगुटकर के मुताबिक 6 मार्च 2014 को शिकायतकर्ता की शिकायत पर 15 मार्च को सुनील कलगुटकर ने कर्जत पुलिस थाने में 2 लोगों के खिलाफ़ रिश्वतखोरी का मामला दर्ज करवा दिया।जिनमें प्राइवेट पर्सन राजेंद्र हेलम जबकि ग्राम सेवक अशोक रवंडल का नाम था।
मामले की सुनवाई के दौरान कलगुटकर का पहला झूट उस वक्त पकड़ा गया जब बचाव पक्ष ने कोर्ट को बताया कि कलगुटकर के मुताबिक 5 फ़रवरी 2014 को शिकायतकर्ता एसीबी कार्यालय अलीबाग रायगढ़ आया था लेकिन शिकायतकर्ता के मोबाइल लोकेशन से कलगुटकर का झूट पकड़ा गया और पता चला कि सुबह से लेकर शाम 4 बजे तक शिकायतकर्ता कर्जत में ही था वह एसीबी कार्यलय गया ही नहीं।कलगुटकर ने अपनी शिकायत में बताया था कि शिकायतकर्ता 11 बजे सुबह उनके कार्यालय में शिकायत करने आया था।शिकायतकर्ता की सीडीआर से पता चला कि उस दिन कई बार कलगुटकर के फोन और लैंडलाइन पर बात किया था।
अपने ऑर्डर में कोर्ट में जो सच्चाई बयान की है वह यह है कि शिकायतकर्ता निलेश देशमुख और राजेंद्र हेलम के बीच साल 2008 में ग्राम पंचायत के चुनाव को लेकर मतभेद था और राजेंद्र हेलम ने 2008 के चुनाव में ही शिकायतकर्ता निलेश देशमुख को अपने इलाके में चुनाव प्रचार नही करने दिया और साल 2013 के चुनाव में शिकायतकर्ता निलेश देशमुख के भाई ने ग्राम पंचायत के चुनाव मे निर्दली उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया और राजेंद्र हेलम ने भी नामांकिन दाखिल किया इस बात को लेकर शिकायतकर्ता निलेश देशमुख ने राजेंद्र हेलम पर दबाव डाला कि वह अपना नमांकन वापस ले।राजेंद्र हेलम ने अपना नामांकिन वापस नहीं लिया और नतीजा यह निकला कि शिकायतकर्ता निलेश देशमुख के भाई को मुंह की खानी पड़ी।इस चुनाव का बदला लेने के लिए शिकायतकर्ता निलेश देशमुख ने डीवाई एस.पी सुनील कलगुटकर की मिलीभगत से राजेंद्र हेलम को झूटे केस मे फंसाया।चूंकि राजेंद्र हेलम प्राइवेट पर्सन थे इसलिए कलगुटकर ने उन्हें फंसाने के लिए सराकारी कर्मचारी अशोक रवंडल को बली का बकरा बनाया।क्योंकि ऐंटी करप्शन ब्युरो के कानून के मुताबिक किसी भी प्राइवेट व्यक्ति पर ऐंटी करप्शन ब्युरो रिश्वतखोरी की कार्रवाई नही कर सकती।
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