शाहिद अंसारी
मुंबई : मंगलवार को नागपाड़ा पुलिस थाने के अंतर्गत उर्दू टाइम्स अख़बार के कार्यालय पर तकरबीन 20 लोगों ने हमला कर के अखबार कार्यालय में चल रहे काम काज पर रोड़ा अटकाने की कोशिश की जिसके बाद अख़बार का काम काज प्रभावित हो गया। जानकारी में पता चला कि इन हमलावरों में शिवसेना पार्टी की कार्यकरता आशा मामीडी ने अंजुमन बाशिंदगान बिहार के अध्यक्ष महमूद हकीमी को तलाश करने के बहाने वहां पहुंची थीं। हकीमी ने नागपाड़ा पुलिस थाने में मौजूद पुलिस अधिकारी शबाना शेख के बारे में अपशब्दों का उपयोग किया था।
मामले को लेकर उर्दू टाइम्स ने नागपाड़ा पुलिस थाने में हमलावरों के खिलाफ़ शिकायत की लेकिन नागपाड़ा पुलिस थाने के सीनियर पीआई ने जांच और कार्रवाई का लॉलीपॉप देते हुए उन्हें चलता किया। वजह साफ़ है कि हमला करने से पहले सारे लोग खुद नागपाड़ा पुलिस थाने में मौजूद थे और पुलिस को इस बात की जानकारी थी और बसवत की दबंगई की वजह से मिडिया वालों पर ज़ुल्म करना झूटे केस दर्ज कर उनकी हत्या की प्लानिंग करना यह कोई नई बात नहीं है। पत्रकरों को परेशान करने के लिए वह अखबारों के लाएसेंस रद्द कराने और स्वरचित बसवत दंड सहिंता के तहेत गैर कानूनी नोटिस भेजने में भी वह माहिर समझे जाते हैं। हालांकि मामला कोर्ट में पहुंचने पर इनकी जमकर थू थू होती है। इसलिए इस बात में कोई शक नहीं कि इसके पीछे खुद बसवत का ही हाथ हो।
सब से पहली बात यह कि इन सब के लिए नागपाड़ा पुलिस थाना मौजूद है जो कि कार्रवाई के मामले में मुंबई का सब से तेज़ तर्रार पुलिस थाना माना जाता है और उसके सीनियर पीआई संजय बसवत का शुमार खुद दबंग सीनियर पीआई के रूप में होता है। वह खुद शबाना शेख के बारे में महमूद हकीमी द्वारा अपशब्दों का उपयोग किए जाने के लिए कार्रवाई के लिए सक्षम हैं। लेकिन यहां सब से अहम सवाल यह उठता है कि क्या शबाना शेख खुद इस मामले में किसी तरह की शिकायत करती हैं या वह इस मामले से या इस राजनीती से खुद को दूर रखना चाहती हैं। हालांकि हमने शबाना शेख से इस मामले को लेकर बात करनी चाही लेकिन उन्होंने मामले को लेकर बात करने से साफ़ इंकार किया।
ताड़देव डिवीज़न के एसीपी नागेश जाधव ने बताया कि शबाना शेख को मुंबई के नागपाड़ा पुलिस थाने में आए हुए महेज़ चंद दिन ही हुए। इससे पहले वह मुंबई के स्पेशल ब्रांच और ट्राफिक पुलिस में कार्यरत थीं। मुस्लिम होने के वजह से और उनके पब्लिक रिलेशन बेहतर होने की वजह से वह बहुत ही कम समय में जनता के दिल में जगह बनाने में कामयाब हो गई हैं। इस से पहले वह चर्चा में तब आई थीं जब उन्हें बीच सड़क पर बाइक से चलते समय तत्कालीन मुंबई सीपी सत्यापाल सिंह ने अपनी कार के कांच नीचे कर सलाम किया था क्योंकि उनके बेहतर काम के सत्यपाल सिंह खुद काएल थे। नागपाड़ा में उन्हें जनसंपर्क अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया गया है इसके साथ साथ वह पास्पोर्ट , और महिलाओं से जुड़े मामलों की जांच करती हैं। नागपाड़ा इलाके में पास्पोर्ट को लेकर उनकी फास्ट वर्किंग को लेकर इलाके के लोगों ने मात्र एक महीने के अंदर ही उन्हें अपने पलकों पर बिठा लिया। इसलिए जब महमूद हकीमी ने उनके बारे में अपशब्दों का उपयोग किया तो लोगों को तकलीफ़ हुई। लेकिन तांडव करने वाले वह लोग थे जो इस आंड से अपनी रोटी सेकने मे लगे थे।
महमूद हकीमी के ज़रिए उनके बारे में बोले गए अपशब्द को लेकर लोगों में गुस्सा ज़रूर है लेकिन उर्दू टाइम्स के कार्यालय पर तांडव करने वाले जो लोग थे वह लोग बाकायदा एक मिशन के तौर पर शबाना शेख को मोहरा बना कर किसी के इशारे पर पहुंचे थे जिसका पता लगाना बहुत ज़रूरी है। हकीमी पर कार्रवाई अगर करनी है तो खुद उसके लिए मुंबई पुलिस सक्षम है किसी नेता नगरी या छुटपुटिया नेताओं को किसी पुलिस अधिकारी को लेकर कार्रावाई करने और किसी मीडिया के कार्यालय में गुंडई करने का ठेका उन्हें किस ने दे दिया है वह खुद कानून अपने हाथ में कैसे ले सकते हैं ?
दरअसल यह तमाशा मात्र शबाना शेख को लेकर नहीं बल्कि शबाना शेख की आड़ में पुलिस विभाग की सहानुभूति पाने के लिए वह लोग इसके पीछे माने जाते हैं जो कि उर्दू टाइम्स की प्रतिद्वंदियों की फहरिस्त में हैं। जिनमें उनके ही घर के उनके भतीजे जिन्होंने चंद दिन हुए एक उर्दू अखबार शुरु किया और इलाके का ही के धर्म का ठेकेदार बाबा बंगाली जिसकी कभी उर्दू टाइम्स में लंबी चौड़ी फोटो पब्लिश की जाती थी। बीते 2 महीने से उसकी फोटो नहीं छापी गई और उसे चमकिशगिरी करने का मौका नहीं मिली। जिसके बाद सब बहती गंगा मे हाथ धोने के लिए शबाना शेख को मोहरा बना कर मीडिया हाउस पर पहुंच कर तांडव कर के यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि आज के दौर में नागपाड़ा में जब तक दबंग सीनियर पीआई संजय बसवत हैं तब तक मीडिया वालों की ऐसी ही बैंड बजाई जाएगा। हालांकि आज तक वबसवत ने उन लोगों के खिलाफ़ किसी तरह का मामला नही दर्ज किया जिन लोगों ने उर्दू टाइम्स के दफ्तर पर तांडव किया।
हालांकि राज्य सरकार ने इसी साल मीडिया संस्थानों पर और मीडियाकर्मियों पर हमले को लेकर नया नियम पारित किया है लेकिन बसवत ने उस नियम को दरकिनार करते हुए उन लोगों के खिलाफ़ कार्रवाई नहीं की।हमने बसवत से इस मामले को लेकर उनका पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन उन्होंने पिछले 3 दिनों से फोन नहीं उठाया।
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