बॉम्बे लीक्स , राजस्थान
बीजेपी ने इस साल के आखिर में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर गुरुवार को चुनाव प्रबंधन समिति और संकल्प (घोषणा) पत्र कमेटी के गठन की घोषणा की।बीजेपी की स्टेट इलेक्शन मैनेजमेंट और मेनिफेस्टो कमेटी में राजे को जगह नही दी गई।ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चा है कि राजस्थान में वसुंधरा राजे के लिए क्या बचा है।माना जा रहा है कि राजस्थान में भाजपा वसुंधरा राजे को साइडलाइन करके किसी नये फॉर्मूले पर मैदान में उतरने की रणनीति पर तत्पर है।
गौरतलब है कि राजस्थान के चुनावी साल विधानसभा चुनाव की तैयारिया जोरो पर है।चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने स्टेट इलेक्शन मैनेजमेंट और मेनिफेस्टो कमेटी की लिस्ट जारी कर दी है।लिस्ट में राजस्थान की फायर ब्रांड नेता और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को कोई पार्टी ने कोई जगह नहीं दी।जिसके बाद कमेटियों में वसुंधरा राजे को जगह नहीं दिए जाने का मामला उठा, मामले के तूल पकड़ने के बाद बीजेपी ने अपनी तरफ से सफाई दे दी।पार्टी का कहना है कि राजे एक जानी-मानी नेता और राजस्थान में बड़ा चेहरा हैं।ऐसे में उनका नाम लिस्ट में न होने का मतलब नही निकाला जाना चाहिये क्योंकि उनको रोल में कुछ और दिया जा सकता है। लिहाजा उन्हें ऐसी कमेटियों में शामिल करने की जरूरत नहीं।बता दें कि बीजेपी ने राजस्थान से पहले मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए भी स्टेट इलेक्शन मैनेजमेंट कमेटी का ऐलान किया।पार्टी के तर्क से उलट मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बड़े चेहरों को कमेटियों में शामिल किया गया है।देखा जाए तो पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया के अलावा प्रदेश के कई और बड़े नेताओं का नाम इन दोनों समितियों में शामिल नहीं है।जिसमें बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पार्टी इन चार्ज अरुण सिंह, गजेंद्र शेखावत, सतीश पुनिया और नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौर शामिल नहीं है। राज्य के चुनाव तक यह देखना दिलचस्प होगा कि वसुंधरा राजे का इस्तेमाल पार्टी कैसे करती है।अगर उन्हें साइडलाइन किया जाता है तो उनकी जगह कौन लेगा?दरअसल बीजेपी विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ेगी। पीएम मोदी इस साल की शुरुआत से अब तक 6 बार राज्य का दौरा कर चुके हैं।हालांकि, सिर्फ मोदी फैक्टर ही किसी राज्य का चुनाव जीतने के लिए काफी नहीं है। हिमाचल और कर्नाटक चुनावों के नतीजे के बाद बीजेपी ये अच्छी तरह से समझ चुकी है।ऐसे में राजस्थान का फॉर्मूला एक सामूहिक नेतृत्व का फॉर्मूला रहेगा। इस फॉर्मूले पर काम भी शुरू हो हो गया है. सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। जोशी साधारण व्यक्तित्व और सादगी की सियासत के लिए जाने जाते हैं। इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे में टकराव की स्थिति में बीजेपी की छवि को नुकसान पहुंच रहा था।राजस्थान को लेकर बीजेपी का संदेश साफ है। अगर वसुंधरा राजे चेहरा नहीं हैं, तो और कोई भी नहीं है।बीजेपी के लिए पार्टी सर्वोपरी और सर्वप्रथम है।
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