बॉम्बे लीक्स ,महारास्ट्र
मुंबई : महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार के गिरने और शिंदे सरकार के बनने के बाद सियासी तल्खी जारी है।एक तरफ शिवसेना में बड़ी बगावत के बाद एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के सीएम बन गए हैं और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम की कुर्सी संभाल रहे हैं। इसके बाद भी शिवसेना की अंदरुनी कलह समाप्त नहीं हुई है।
विधायकों के बाद अब बड़ी संख्या में सांसदों के भी पार्टी नेतृत्व से बगावत के कयास लग रहे हैं।इस बीच नए घटनाक्रम के तहत पार्टी ने सांसद भावना गवली को लोकसभा में शिवसेना के चीफ व्हिप के पद से हटा दिया है। उनकी जगह पर उद्धव ठाकरे के करीबी कहे जाने वाले राजन विचारे को यह जिम्मेदारी दी गई है।
शिवसेना के संसदीय दल के नेता संजय राउत ने संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी को लिखे पत्र में पार्टी के इस फैसले की जानकारी दी है।वही शिवसेना के बागी गुट ने भाजपा के साथ मिलकर महाराष्ट्र में नई सरकार बना ली है। नई सरकार के शपथ लेने के बाद संजय राउत कह रहे हैं कि पार्टी के जो लोग जेल के अंदर हैं, उन्हें जल्द से जल्द जमानत मिलनी चाहिए। गलत इल्जाम में उन्हें जेल में बंद किया गया है।
राउत ने संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी को लिखे पत्र में कहा, ‘‘आपको सूचित किया जाता है कि शिवसेना संसदीय दल ने राजन विचारे, सांसद (लोकसभा) को भावना गवली, सांसद (लोकसभा) के स्थान पर लोकसभा में तत्काल प्रभाव से मुख्य सचेतक नामित किया है।
संजय राउत शिवसेना संसदीय दल के नेता है।गवली महाराष्ट्र में यवतमाल-वाशिम लोकसभा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं।वह शिवसेना के उन सांसदों में से एक हैं जिन्होंने सुझाव दिया था कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में विद्रोह के बीच शिवसेना को फिर से भाजपा के साथ गठबंधन कर लेना चाहिए।
वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रपति चुनाव को लेकर भी शिवसेना में एक मत नही है।उद्धव ठाकरे गुट ने भी एनडीए उम्मीदवार मुर्मू के पक्ष में मतदान करने की बात ककही है।ऐसे में शिवसेना के सांसदों के रवैये से साफ है कि राष्ट्रपति चुनाव में यदि शिवसेना विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का समर्थन करती है।
ऐसे में ठाकरे को आशंका है कि बगावत दिखेगी और क्रॉस वोटिंग हो सकती है। 16 में से करीब 12 सांसद द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में वोट डाल सकते हैं। ऐसा होता है तो फिर यह शिवसेना के संसदीय दल में भी बड़ी टूट की शुरुआत होगी।
कुछ दिन पहले ही शिवसेना के 30 से ज्यादा बागी विधायकों ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में भाजपा के साथ राज्य में नई सरकार का गठन किया है। नई सरकार के गठन से पहले शिवसेना उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के गुटों में बंटी दिखी। एक तरफ जहां उस समय के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपनी महाअघाड़ी सरकार को बचाने के लिए बागी विधायकों को वापस आने के लिए अल्टीमेटम दिया था वहीं दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे गुट ने बयान जारी करके उद्धव ठाकरे से नाराजगी की बात कही थी।
बागी विधायकों ने उस दौरान कहा था कि उद्धव ठाकरे ने अपने विधायकों की तुलना में कांग्रेस और एनसीपी को ज्यादा समय दिया है। हम अब इस गठबंधन के साथ नहीं रहना चाहते। एकनाथ शिंदे ने बागियों के साथ दो तिहाई से ज्यादा का आंकड़ा होने के साथ ना सिर्फ राज्य में नई सरकार बनाने का दावा किया था बिल्क उन्होंने शिवसेना पार्टी पर भी अपना दावा ठोंक दिया था।
एकनाथ शिंदे गुट का कहना था कि लोकतंत्र में हर चीज का निर्धारण बहुमत के मुताबिक होता है। आज हमारे पास आंकड़े हैं इसलिए शिवसेना हमारी हुई। हालांकि, अभी तक इस बात का फैसला नहीं हो पाया है कि आखिर शिवसेना पर किसका अधिकार होगा। क्या उद्धव ठाकरे अपने पिता द्वारा खड़ी की गई पार्टी का अधिकार अपने पास रख पाने में सफल होंगे या फिर एकनाथ शिंदे आंकड़ों के आधार पर पार्टी की कमान संभालेंगे।
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