बॉम्बे लीक्स ,महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में एक बार फिर से सियासी उलटफेर के आसार बनते नजर आ रहे हैं।केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ एनसीपी नेता शरद पवार के करीबी जयंत पाटिल की मुलाकात के बाद अनुमान लगाया जाने लगा कि शरद पवार गुट के नेता जल्द ही बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। जानकारी के मुताबिक ऐसा कहा जा रहा है कि पाटिल ने शनिवार (5 अगस्त) को अमित शाह से मुलाकात की थी।अब इस मामले पर जयंत पाटिल ने जवाब देते हुए सभी अटकलों को खारिज कर दिया।
गौरतलब है कि शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा (NCP) से अजित पवार के नाता तोड़ने और आठ अन्य विधायकों के साथ सत्तारूढ़ भाजपा-शिंदे सेना सरकार में शामिल होने के लगभग एक महीने बाद, अब विधायक दल के नेता और राज्य इकाई के प्रमुख जयंत पाटिल के एनसीपी प्रमुख के भतीजे के साथ शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जयंत पाटिल ने अजित पवार और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के साथ संभावित कदम को लेकर मीटिंग की है। हालांकि पाटिल का कहना है कि वह ऐसा कोई कदम उठाने नहीं जा रहे हैं।पाटिल ने पुणे में अमित शाह के साथ अपनी कथित मुलाकात की अफवाहों का स्पष्ट रूप से खंडन करते हुए कहा कि यह आपको किसने बताया कि मैं अमित शाह से मिला आपको उन लोगों से पूछना चाहिए जो यह सब कह रहे हैं।कहा कि उस दिन मैं शरद पवार के आवास पर था तो किसी से मिलने का कोई सवाल ही नही खड़ा होता।कहा कि शनिवार की रात मैंने अनिल देशमुख और राजेश टोपे सहित पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों के साथ बैठक की जो रविवार (6 अगस्त) तड़के तक जारी रही।पाटिल के मुताबिक सुबह पार्टी के आंतरिक मामलों को लेकर मेरी फिर शरद पवार से मुलाकात हुई।ऐसे में मैं अमित शाह से कहां से मिल सकता था? सांगली के इस्लामपुर वालवा निर्वाचन क्षेत्र से सात बार के विधायक जयंत पाटिल ने स्पष्ट किया कि हम सभी पवार और विपक्षी महा विकास अघाड़ी के साथ है।देखा जाए तो जब से अजित पवार ने विद्रोह का नेतृत्व किया और उनके समूह ने पार्टी के नाम के साथ-साथ चुनाव चिन्ह पर भी दावा किया, तब से विधायक दल पर पूर्ण नियंत्रण हासिल करने के लिए विधायक दल के नेता का पद महत्वपूर्ण हो गया है। हालांकि पाटिल पहले स्पीकर राहुल नार्वेकर को पत्र लिखकर अजित पवार और आठ अन्य को अयोग्य ठहराने की मांग कर चुके हैं।जयंत पाटिल पहले ही स्पीकर राहुल नार्वेकर को पत्र लिखकर अजित पवार और आठ अन्य को अयोग्य ठहराने की मांग कर चुके हैं।हालांकि देखा जाए तो एनसीपी की राज्य इकाई के प्रमुख ने सरकार में शामिल होने को लेकर उनके और सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों के बीच कथित बैठकों पर कोई टिप्पणी नहीं की है। दिलचस्प बात यह है कि अजित पवार ने राज्य इकाई प्रमुख के रूप में पाटिल के पांच साल से अधिक के कार्यकाल को अपने चाचा से अलग होने के बहाने के रूप में इस्तेमाल किया था। दोनों नेताओं को पार्टी के भीतर प्रतिस्पर्धी के तौर पर देखा जाता रहा है। बगावत के बाद से ही पाटिल शरद पवार के साथ बने हुए हैं।
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