बॉम्बे लीक्स ,बिहार
नालंदा : देश में जहां एक तरफ अज़ान लाउडस्पीकर हनुमान चालीसा विवाद के बीच नफरत फैलाने की साजिश रची जा रही हो।तो वहीं इस सैकड़ो सालों से भाईचारे और मोहब्बत के बोये हुए बीजों से मेल जेल रखने की परंपरा का दस्तूर जारी है।
हिंदुस्तान के इसी नक्शे पर एक ऐसा गाँव है जहां सैकड़ो साल पुरानी मस्जिद को आबाद रखने की बीड़ा गाँव के ही हिन्दू भाईयों ने सदियो से उठा रखा है।बताया जा रहा है कि 200 साल से ज्यादा पुरानी ख़दीमी मस्जिद की ज़िम्मेदारी गाँव के हिंदु भाइयों ने उठाया रखी है।क्योंकि उस गाँव मे दूर दूर तक मुसलमान नही है।लेकिन गाँव की इस ख़दीमी मस्जिद में भोर से लेकर शाम तक कि अज़ान होती है।मस्जिद में मौजूद मजार पर चादर और फूल भी चढ़तें है।पाँचो समय लाउडस्पीकर पर होने वाली अज़ान की आवाज़ों को सुने बिना गाँव का दिन अच्छा नही जाता।
आइये जानते है कि देश में ऐसी कौन से जगह है जहां आपसी भाईचारे और सौहार्द की मिसाल के लिए मुस्लिमो के मस्जिद की ज़िम्मेदारी हिन्दू भाई उठाते है।हिंदुस्तान आपसी अमन चैन और सौहार्द के नाम पर दुनिया भर में अपनी पहचान स्थापित कर चुका है।लेकिन आज का परिदृश्य कुछ और ही बताने के लिए खड़ा हुआ है।जहां चंद नेताओं ने देश में नफरत को इतना ज़्यादा बढ़ावा दे दिया है विदेशों तक इसकी आवाज़ सुनाई देने लगी है।
धर्म के ठेकेदार आपस में छोटी-छोटी बातों लड़ने के लिए तैयार खड़े हैं।लेकिन आज हम बात करेंगे शिक्षा के नाम पर पिछड़ा राज्य कहा जाने वाला बिहार की।जहां एक ऐसा गाँव बसा है,जहां नफ़रत नहीं मोहब्बत के बीज बोये जाते हैं। आपको यक़ीन नहीं हो रहा होगा लेकिन हक़ीक़त में एक ऐसा गांव है जहां एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है फिर भी उस गाँव की मस्जिद में वीरान नही कहा जाता क्योंकि उस मस्जिद में हिंदू भाइयों के चलते पांचो वक़्त की नमाज़ अदा की जाती है।जी हां बिहार के नालंदा जिले का एक गांव हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल बनकर खड़ा है।
यह जानकर किसी को भी आश्चर्य होगा कि इस गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है, लेकिन यहां स्थित एक मस्जिद में नियमानुसार पांच वक्त की नमाज अज़ान के साथ अदा की जाती है।इस मस्जिद और मजार से जुड़े है हर रीति रिवाज का सारा कुछ कर्तव्य हिंदू समुदाय के लोग करते है।सद्भावना की यह अनूठी मिसाल बिहार के नालंदा जिले के बेन प्रखंड के माड़ी गांव से जुड़ी हुई है।जहाँ एक भी मुस्लिम नही लेकिन वहाँ बसा हुआ गांव का पूरा हिन्दू समुदाय मस्जिद से जुड़ा हुआ है।ऐसे में यह मस्जिद मुसलमानों की अनुपस्थिति में उपेक्षित नहीं है।
गाँव का हिन्दू समुदाय इस मस्जिद में पांचों वक्त नमाज अदा करने की व्यवस्था करता है।ईद बख़रीद के मौकों पर मस्जिद का रख-रखाव, रंगाई-पुताई का जिम्मा भी हिंदू समुदाय मिलकर करता है।गांव वालो के मुताबिक कभी वर्षों पूर्व यहां मुस्लिम परिवार रहा करता था। लेकिन समय के साथ साथ धीरे-धीरे उनका पलायन तो।हो गया लेकिन उनकी मस्जिद मौजूद रही।जिसके बाद गांव के हिन्दू भाइयों ने मस्जिद को अब तक वीरान नही होने दिया।गांव वालों के मुताबिक गांव के हिंदुओं को अजान नही आती है।ऐसे में पेन ड्राईव की मदद से समय समय पर अजान की रस्म को अदा किया जाता है।
गांव वालों का कहना है कि यह मस्जिद उनकी आस्था से जुड़ी हुई है।यही गांव वालों की आस्था इस मस्जिद से इतनी जुड़ी है कि पूरा का पूरा गांव किसी शुभ कार्य से पहले इस मस्जिद में दर्शन के बाद ही वो मंदिर में दर्शन करते है।आस्था बताती है कि उनकी हर मुरादे इसी मस्जिद से ही पूरी होती है।गांव की पुरानी सबसे ख़दीमी मस्जिद को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी किसी के पास नही है।जानकारी यह भी नही है कि मस्जिद का निर्माण कब और किसने कराया।लेकिन गाँव के बुजुर्गों का कहना है कि उनके पूर्वजों के मुताबिक करीब 200-250 साल पुरानी यह मस्जिद है।मस्जिद के परिसर में ही एक मजार भी है किसकी है इस बारे में भी कोई स्पष्ट जानकारी नही।
लेकिन मौजूद मजार पर गांव वाले चादर और फूल जरूर चढ़ाते है।आस्था बताती है कि कभी भी गाँव के किसी परिवार के घर अशुभ होता है तब वह परिवार मजार की ओर ही दुआ मांगने पहुंचता है।बताया गया कि मस्जिद और मजार से गाँव में खुशियां मिलती है।यही से ही गांव वालों की परेशानी दूर होती है।माड़ी का यह मस्जिद और यहां लोग सच में बहुत बड़ी मिसाल पेश कर रहे हैं।हालांकि इस प्रखंड के माड़ी गांव में पक्की सड़क, बिजली, शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं अच्छी है। गांव के लोगों का रहन-सहन भी काफी बेहतर है।
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