बॉम्बे लीक्स ,महारास्ट्र
मुंबई : बागी एकनाथ शिंदे ने शिवसेना पर स्वयं का दावा ठोकते हुए पार्टी की सभी पुरानी कार्यकारिणी बर्खास्त करते हुए नई कार्यकारिणी की घोषणा कर दी है।खबर के मुताबिक शिवसेना से बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे ने अपने समर्थक विधायकों के साथ एक बैठक करते हुए पार्टी की पुरानी राष्ट्रीय कार्यकारिणी भंग करने की घोषणा जारी कर दी।
बताया जा रहा है कि शिवसेना के कई सांसद भी इस बैठक का हिस्सा बने है।वहीं कार्यकारिणी भंग किय्ये जाने के बाद उद्धव ठाकरे की पुरानी शिवसेना की तरफ से पर इसपर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है।एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में खड़ी हुई शिवसेना की नई कार्यकारिणी में दीपक केसरकर को प्रवक्ता चुना गया है।जबकि रामदास कदम और आनंदराव अडसुल को नेता चुना गया है।
यशवंत जाधव, गुलाबराव पाटिल, उदय सामंत, शरद पोंकशे, तानाजी सावंत, विजय नाहटा, शिवाजीराव अधराव पाटिल को उपनेता चुना गया है।एकनाथ शिंदे द्वारा पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी को भंग किये जाने के बाद उद्धव ठाजरे की शिवसेना ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप ने वरिष्ठ नेता रामदास कदम और पूर्व सांसद आनंदराव अडसुल को शिवसेना से निकाल दिया। शिवसेना सांसद विनायक राउत ने इसकी जानकारी दी।
बता दें कि आज शिंदे गुट की हुई मीटिंग में दोनों नेता शामिल हुए थे जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है।देखा जाए तो महारास्ट्र जारी सियासती उतार चढ़ाव के बीच शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे काफी बारीकी से कदम बढ़ा रहे है।ठाकरे पार्टी में बचे-खुचे पदाधिकारियों को चिन्हित कर रहे हैं। इसी के मद्देनजर ठाकरे ने अभी सिर्फ शिवसेना दो वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ अहम कदम उठाया है।
ठाकरे ने रामदास कदम और आनंदराव अदसुल को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाकर एक मंझे हुए सियासत के पैंतरे पर काम किया है।ठाकरे ने दोनों नेताओं के ऊपर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप के तहत बाहर का रास्ता दिखाया है। वही बताया यह भी जा रहा है कि इन सभी गतिविधियों से पूर्व ही रामदास कदम ने अपना इस्तीफा मातोश्री में पहुंचा दिया था।
वहीं रामदास के बेटे योगेश कदम पहले ही शिंदे गुट से जुड़कर अपना नजरिया पेश कर चुके है।वहीं बागी हुए एकनाथ शिंदे ने भी सियासत में नया पैंतरा इस्तेमाल करते हुए शिवसैनिको को नाराज़ नही होने दिया।क्योंकि शिंदे ने ठाकरे परिवार को शिवसेना से अभी अलग नही किया है।शिंदे की बनाई गई नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा में एकनाथ शिंदे को शिवसेना का नया नेता जरूर चुना गया। लेकिन उद्धव ठाकरे के पास मौजूद शिवसेना पार्टी प्रमुख पद को शिंदे की कार्यकारिणी में भंग नही किया गया।
एकनाथ शिंदे की तरफ से जारी नई कार्यकारिणी में पार्टी प्रमुख के पद को लेकर कोई चर्चा नही की गई।शिवसेना में जारी सियासी उलटफेर के बीच उद्धव ठाकरे के सामने शिवसेना के अस्तित्व को बचाने का सवाल उठने लगा है। इसी के तहत उद्धव पार्टी की ओवरहॉलिंग करने में जुटे हुए हैं। उनके सामने फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती बीएमसी के चुनाव हैं। इसके बाद 2024 में होने वाले आम चुनावों पर भी उद्धव की नजर होगी। बता दें कि सोमवार को ही उद्धव ने महाराष्ट्र के कई जिलों में 100 से अधिक पदाधिकारियों की नियुक्ति की है।
उद्धव ने मुंबई, पालघर, यवतमाल, अमरावती समेत कई अन्य जिलों में 100 से ज्यादा पदाधिकारी नियुक्त किए हैं। शिवसेना के मुखपत्र सामना में इसकी घोषणा की गई है।
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