बॉम्बे लीक्स , राजस्थान
राजस्थान के चुनावी संग्राम में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी अपनी सियासी पतंग से राजनीति के पेंच लड़ाते हुए नजर आने वाले हैं।उन्होंने राजस्थान के रण में कूदने का ऐलान कर दिया है।सवाल ये कि उनकी पार्टी के चुनाव लड़ने से किसे फायदा होगा और किसे नुकसान।
राजस्थान में चुनाव लड़ने का आधिकारिक एलान भले ही ओवैसी ने हैदराबाद से किया हो लेकिन राजस्थान में उनका भ्रमण महीनों से चल रहा है।जयपुर से लेकर नवलगढ़ और फतेहपुर तक में वो अपनी जनसभाओं में भीड़ इकठ्ठा कर ताकत भी दिखा रहे हैं और मुस्लिमों के मुद्दे भी जमकर उछाल रहे हैं।वो कहते हुए नजर आ रहे हैं।“जुनैद हो या नसीर इंशाअल्लाह मजलिस इनकी माली इम्दाद करेगी उनकी बेवाओं के अकाउंट में मजलिस माली इम्दाद करेगी। मैं आपसे वादा कर रहा हूं…..हम उन खानदानों के साथ थे, हैं और रहेंगे।जिन 40 सीटों पर AIMIM की नजर है उनमें टोक सिटी, मेवात की कामां, किशनगढ़ बास की तिजारा, शेखावटी की सीकर, जयपुर की हवामहल, किशनपोल, आदर्शनगर, कोटा उत्तर और सवाईमाधोपुर की सीटें भी शामिल हैं।इन 40 सीटों पर औसतन 15 से 16 मुस्लिम उम्मीदवार हर बार जीतते रहे हैं और राजस्थान में मुस्लिम वोटर को अपने पक्ष में करने के लिए ओवैसी करोली, जोधपुर हिंसा से लेकर जुनैद औऱ नासिर की हत्या का मुद्दा जमकर उछाल रहे हैं।राजस्थान की जिन 40 मुस्लिम प्रभावित सीटों पर ओवैसी का फोकस है उनका मौजूदा समीकऱण कांग्रेस के पक्ष में है।पिछले विधानसभा चुनाव में 29 सीटें कांग्रेस को मिली थीं।7 सीटं बीजेपी के खाते में गई थीं और 4 सीटें अन्य को मिली थीं। आंकड़ें साफ-साफ गवाही दे रहे हैं कि राजस्थान में मुस्लिम बहुल इलाकों में कांग्रेस को वोट जमकर मिला था औऱ अब अगर मुस्लिम वोटर ने ओवैसी पर भरोसा दिखाया तो सीधा सीधा नुकसान कांग्रेस को होगा हालांकि कांग्रेस AIMIM की संभावित चुनौती को नकार रही है।बीजेपी कांग्रेस के आरोप को नकार रही है और ओवैसी और कांग्रेस के विचारों के तार जोड़ रही है।राजस्थान बीजेपी प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने कहा, “हमारी सोच उनके साथ कहीं मिलती नहीं है। कांग्रेस की सोच ओवैसी के साथ मिलती है।इसलिए हमारी और उसकी समानता हो नहीं सकती।हम राजस्थान में मजबूत स्थिति में है और अकेले दम पर चुनाव में जीत हासिल करेंगे। राजस्थान में बारी-बारी से कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी के पास सत्ता का रिवाज रहा है लेकिन क्या ओवैसी की एंट्री से राजस्थान के समीकरण बदलेंगे। फिलहाल सप्सेंप बरकरार है क्योंकि बिहार और महाराष्ट्र में कमाल दिखा चुके ओवैसी को पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में झटका लगा था।
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