बॉम्बे लीक्स , मुंबई
मुंबई : अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने चल रहे एक मुकदमे में 38 साल बाद बरी कर दिया। यह मुकदमा अंडरवर्ल्ड में डॉन दाऊद इब्राहिम के सबसे बड़े दुश्मन छोटा राजन की क्रिमिनल लाइफ में अपराध से जुड़ी पहली एफआईआर का था। इस मामले में छोटा राजन के खिलाफ साल 1983 में एक पुलिस अधिकारी पर जानलेवा हमला करने का आरोप लगाया गया था। भारत में छोटा राजन के खिलाफ यह पहला बड़ा मामला दर्ज किया गया था।
दरअसल मुंबई की एक स्पेशल सीबीआई अदालत ने गुरुवार को गैंगस्टर छोटा राजन को हत्या की कोशिश के एक मामले में बरी कर दिया। इस मामले में छोटा राजन पर दो पुलिसवालों से बुरा बर्ताव करने और उनपर हमला का आरोप लगा था। छोटा राजन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या की कोशिश) और धारा 353 के तहत केस दर्ज किया गया था।सीबीआई की अदालत में मौजूद स्पेशल जज एटी वानखेड़े ने इस मामले में छोटा राजन को बरी किया। इस केस से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि इस केस के ज्यादातर गवाह लापता थे और यहां तक कि केस से जुड़े रिकॉर्ड भी गुम हो गए थे।इस मुकदमे में छोटा राजन की पैरवी कर रहे वकील तुषार खंडारे ने बताया कि यह मामला 1983 में तब दर्ज किया गया था, जब एक टैक्सी में स्मगलिंग की शराब ला रहे छोटा राजन को तिलक नगर पुलिस स्टेशन की एक टीम ने रोकने की कोशिश की थी। इस पुलिस टीम में दो अफसर और 4 कॉन्स्टेबल थे, जबकि राजन के साथ कार में दो अन्य साथी भी मौजूद थे। पुलिस के टैक्सी रोकने पर छोटा राजन ने चाकू निकालकर एक पुलिस अफसर को घायल कर दिया था।
पुलिस ने छोटा राजन और उसके एक साथी को गिरफ्तार कर लिया था, जबकि एक साथी फरार हो गया था। छोटा राजन के साथ गिरफ्तार हुए उसके साथी को बाद में कोर्ट ने बरी कर दिया था, लेकिन राजन के खिलाफ मुकदमा अब तक चल रहा था।छोटा राजन को अक्तूबर, 2015 में इंडोनेशिया में गिरफ्तार करने के बाद भारत लाया गया था। इस दौरान मुंबई पुलिस ने छोटा राजन का मुकदमा सीबीआई के हवाले कर दिया था। सीबीआई ने फाइनल क्लोजर रिपोर्ट लगाते हुए कहा था कि केस बेहद पुराना होने के चलते उन्हें कोई गवाह और सबूत नहीं मिल पा रहे हैं। यहां तक कि हमले में इस्तेमाल किया चाकू भी गायब हो चुका है।मुंबई की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने एजेंसी की इस क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए केस को बंद करने से इनकार कर दिया था। CBI की तरफ से वकील प्रदीप घराट ने कोर्ट के सामने दलील रखी थी कि घटना के समय मौजूद तीन पुलिस कांस्टेबलों ने छोटा राजन की पहचान अच्छी तरह की थी और बचाव पक्ष इसे नकार नहीं सकता।
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