शाहिद अंसारी
मुंबई : मुंबई में साल 2013 के मुकाबले में 2017 में बच्चियों के अपहरण की वारदात में इज़ाफा हुआ है ऐसी जानकारी मुंबई पुलिस के जन सूचना अधिकारी सुरेश निर्मल ने आरटीआई के माध्यम से आरटीआई कार्यकर्ता शकील शेख को दी है। जानकारी में पता चला कि साल 2013 के मुकाबले में 2017 में लड़कियों के अपहरण की वारदात में 1500 % इज़ाफ़ा हुआ है।
जानकारी में यह भी पता चला कि साल 2013 से लेकर 2017 तक 3390 बच्चों का अपहरण हुआ है जिनमें 3131 मिल चुके हैं जबकि 259 का आज तक कोई अता पता नहीं है। जबकि साल 2013 से लेकर 2017 तक 5056 बच्चियों का अपहरण हुआ है जिनमें 4668 मिल चुकी हैं जबकि 370 बच्चियों का आज तक कोई अता पता नहीं है। वहीं साल साल 2013 से लेकर 2017 तक 6510 पुरुषों गायब हुए हैं जिनमें 5322 मिल चुके हैं जबकि 1188 का आज तक कोई अता पता नहीं है तो वहीं साल 2013 से लेकर 2017 तक 2839 महिलाऐं गायब हुई हैं जिनमें 2309 मिल चुकी हैं जबकि 530 का आज तक कोई अता पता नहीं है।
इनमें से कई गुमशुदा या अपहरण किए हुए लोग घर भी आये होंगे और पोलीस को पता भी नही होगा इसलिए उनके घर घर जा के पता करना होगा। क्योंकि साल 2012 में ऐसी ही मूहिम मुंबई पुलिस ने निकाली थी। जिसके बाद कई लोग मिले भी थे और यह भी पता चला था की कई लड़कियों ने शादी करके कही और जिंदगी गुजार रही हैं लेकिन माँ बाप पोलीस को बताना नही चाहते थे जबकि उनके पडोसियों ने पुलसि को इस तरह की जानकारी दी।
आरटीआई कार्यकर्ता शकील शेख ने ऐसी आशंका जाहिर करते हुए कि महिलाऐं और छोटी बच्चियों के अपहरण मानव तस्करी का समावेश है जिसके लिए मुंबई पुलिस को गंभीरता से विचार कर के मामले की तफ्तीश करन ज़रूरी है।
इस जानकारी को देखने के बाद यह पता चलता है कि मुबंई पुलिस बच्चियों को लेकर कितनी गंभीर है क्यों वहीं हाल ही में इस बार यह भी पता चला है कि मुबंई पुलिस कमिश्नर की ओर से मुबंई ज्वाइंट सीपी रैंक के अधिकारियों की annual confidential report (ACR) में पूरे के पूरे मार्क्स दिए गए हैं। अब अगर मुंबई पुलिस की यह जानकारी दुरुस्त है तो सवाल उठना लाज़्मी है कि क्या वरिष्ठ अधिकारी इस योग्य हैं जिनकी annual confidential report (ACR) मे ंउन्हें फुल मार्क्स देकर आखिर मुंबई पुलिस क्या जाहिर करना चाहती है।
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