
पीड़ित धर्मेश सोलंकी
मुंबई:हाल ही में मुंबई के मजगाँव इलाके में मेघकी बिल्डिंग सोसायटी के सेक्रेट्री धर्मेश सोलंकी ने मुंबई के भायखला पुलिस थाने में एक और आवेदन दे कर शिंदे सेना के लीडर यशवंत जाधव के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है अपने आवेदन में पीड़ित ने मेघजी सोसायटी में यशवंत जाधव के जरिए हुई घुसपैठ का खुलासा किया है।

यशवंत जाधव
सोलंकी ने अपने आवेदन में बताया की बिल्डिंग के रि डेवलपमेंट के लिए हम ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया में अखबार में टेंडर जारी किया जिसके बाद बिमल अग्रवाल बिल्डर की समर्थ कंपनी के जरिए इसकी जिम्मेदारी उन्हों ने ली लेकिन जब एक करोड़ रुपए बैंक गारंटी मांगी गई तो उनका की अता पता नहीं था।जिसके बाद उसके बारे में पता किया गया तो पता चला की बिमल अग्रवाल चीटर है और उस पर कई मामले दर्ज हैं और उसका कोई रिकॉर्ड भी नहीं है जिसकी बुनियाद पर हम उस से अपनी सोसायटी रिडेवलपमेंट कराएं।
हालाँकि डेवलपर की ओर से कोई जानकारी नहीं मिली थी और जैसे-जैसे सदस्यों और सोसायटी का शक बढ़ता गया डेवलपर से जानकारी की मांग करते हुए कई दस्तावेज मांगें गए इसी दौरान सोसायटी के हाथ डेवलपर की बैलेंस शीट लगी और यह पता चला की डेवलपर पर 88 करोड़ का बकाया बाकी है और यतिन जाधव पुत्र यशवंत जाधव और विधायक यामिनी जाधव समर्थ इरेक्टर्स एंड डेवलपर्स में 33% भागीदार थे।
इसके बाद यशवन्त जाधव ने हमें इसके लिए अपने आवास पर मीटिंग के लिए बुलाया और हर बार उन्होंने कहा कि वे ही इस परियोजना में निवेश करने जा रहे हैं क्योंकि वे अपने बेटे यतिन को इस व्यवसाय में आगे बढ़ाना चाहते हैं और बदले में वह चुनाव के दौरान हमारा वोट चाहते है साथ ही हमें धमकी भी दी कि अगर उसे ठेका नहीं दिया गया तो वह हमारी पुनर्विकास परियोजना को कम से कम 15- 20 साल के लिए रोक देगा. इसलिए, हमने बिल्डर को आगे आने और चीजों को आगे बढ़ाने के कई मौके दिए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।इसके बाद जब हम ने अपनी सोसायटी के रिडेवलपमेंट के लिए दूसरा टेंडर जारी किया तो उनके ऊपर मजगांव में जानलेवा हमला हुआ हमला करने वाला कह रहा था यशवंत से पंगा लेगा ले कहकर हमला कर रहे थे।
पीड़ित ने अपने आवेदन में कहा की पुलिस अधिकारी ज्ञानदेव कोलेकर 7 अक्टूबर 2023 को सुबह 2.30 बजे दो कांस्टेबलों की उपस्थिति में मुझसे मिलने आए। जांच अधिकारी को यह स्पष्ट रूप से सूचित किया गया था कि यशवन्त जाधव का नाम है और साथ ही हमलावर यशवन्त जाधव का नाम ले रहे थे और मुझे धमकी दे रहे थे और फिर भी एफआईआर में यशवन्त जाधव का नाम नहीं है।
पीड़ित ने कहा की 307 आईपीसी जो कि हत्या के प्रयास का आरोप है वह नहीं लगाया गया हालाँकि एफआईआर में केवल आईपीसी की धारा 326 और 34 के तहत अपराध दर्ज है। जांच अधिकारी के साथ-साथ दो कांस्टेबलों ने भी गंभीर चोट और तेज वस्तु से किए गए वघाव को स्पष्ट रूप से देखा सभी विवरण दिए गए थे लेकिन जांच अधिकारी ने मुझे लगी गंभीर चोटों की तस्वीरें लेने से इनकार कर दिया और मेरा तफसीली बयान और मुख्य आरोपी का नाम नहीं लिखा ।
उन्होंने कहा की मुझे लगता है कि मुझे इसलिए भी निशाना बनाया गया है क्योंकि मैं अनुसूचित जाति से हूं और अपने समाज के पुनर्विकास को प्रभावी ढंग से और कानूनी रूप से संभाल रहा हूं इसलिए, मैं विनम्रतापूर्वक यह अनुरोध करता हूं की इस मामले में आईपीसी की धारा 307 और अन्य लागू धाराएं एफआईआर में जोड़ी जाएंगी और यशवन्त जाधव का नाम एफआईआर में जोड़ा जाए,मुझे और मेरे परिवार के सदस्यों को हमारी सुरक्षा के लिए तत्काल पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जाए, मुझे और मेरे परिवार को कानूनी रूप से काम करने और हमारे समाज की संपत्ति की रक्षा करने के लिए सभी दर्द, पीड़ा, तनाव के लिए पर्याप्त मुआवजा दिया जाना चाहिए,वास्तविक अपराधियों पर मामला दर्ज करके मुझे न्याय दिलाना,हमारी संपत्ति की रक्षा करना और हमारी सोसायटी की भूमि के बेहतर पुनर्विकास में हमारी मदद करना ताकि हम गरीब लोग, जो बेघर हो गए हैं, अपने नए घर में आ सकें।
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