शाहिद अंसारी
थाने : मुंबई से सटे थाने ज़िले भिवंडी इलाके का रजा अकादमी अध्यक्ष उल्मा क्राइम मौलाना शकील रजा उर्फ़ बाहुबली मौलाना को आपराधिक गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर पुलिस उपायुक्त मनोज पाटिल के आदेश पर भिवंडी शहर की सीमा से 2 वर्षों के लिए तड़ीपार कर दिया गया है। बाहुबली मौलाना शकील रजा पर तड़ीपार की कार्यवाही से समर्थकों मैं असंतोष व मायूसी व्याप्त है लेकिन जो लोग शान्तीपसंद हैं और उससे तंग थे वह बहुत खुश हैं और वह पुलिस को दुआऐं दे रहे हैं।
बाहुबली मौलाना को थाने पुलिस ने मुंबई के मदनपूरा में ला कर छोड़ते हुए ताकीद की है कि अगर अब थाने क्षेत्र में कहीं दिखाई दिया तो पहले पिटाई होगी फिर हवालात का रुख करना पड़ेगा। मदनपूरा में छोड़ने के बाद कयास लगाया जा रहा है कि बाहुबली मौलाना यहां भी अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आएगा इसलिए अब मुंबई पुलिस इस पर पैनी नज़र बनाए रखे है। मदनपूरा इलाके जिसे बाबा बंगाली का गढ़ माना जाता है इसी लिए बाहुबली मौलाना ने इस इलाके को चुना है क्योंकि यह मुंबई का धार्मिक भावना स्पेशलिस्ट पुलिस थाने नागपाड़ा के अंतर्गत आता है। जहां बंगाली बाबा अपनी बकैती का दावा करता है। अब ऐसे मे लोगों की निगाहें जमी हुई हैं कि दंगाई को दंगाई का साथ मिला तो आने वाला समय मनदपूरा की जनता के लिए कैसा होगा कुछ कहा नहीं जा सकता। ध्यान रहे रज़ा अकादमी वही संगठन है जिसने 6 साल पहले इसी रमज़ान के पवित्र महीने में मुस्लिम युवकों को बहका कर दंगा करवाया और खुद मुख्य आरोपी होते हुए भी आज तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं हैरान करदेने वाली बात यह है कि 6 साल मे आज तक 2.75 करोड़ की जो सरकारी संपत्ती का नुकसान हुआ है उसकी आज तक रज़ा अकादमी ने भरपाई नहीं की।
गौरतलब हो कि विगत वर्षों क्वार्टर गेट मस्जिद के सामने स्थित निर्माण होने वाले पुलिस क्वार्टर को लेकर क्षेत्रवासियों एवं पुलिस में विवाद हुआ था। उक्त विवाद में पुलिस उपायुक्त शिंदे को गंभीर चोटें लगी थी पुलिस विभाग द्वारा हादसे की जांच कराए जाने के बाद खुलासा हुआ कि, क्षेत्रवासियों को पुलिस के खिलाफ भड़काने में इसी बाहुबली मौलाना शकील रजा की अहम भूमिका थी। मौलाना शकील रजा पर कई आपराधिक मामले भी पुलिस स्टेशन में दर्ज हैं पुलिस विभाग द्वारा लंबी तहकीकात के बाद शहर पुलिस स्टेशन वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक दिनेश कटके की रिपोर्ट पर भिवंडी पुलिस उपायुक्त मनोज पाटिल ने मौलाना शकील रजा को 2 वर्षों के लिए मुंबई सीमा से तड़ीपार किए जाने का आदेश दिया जिसके बाद पुलिस ने मौलाना शकील रजा को थाने की सीमा से बाहर निकाल दिया और चेतावनी दी है कि, तडीपार सीमा के अंदर अगर मुंबई सीमा में मौलाना शकील रजा दिखाई पड़ा तो कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी जिसकी जिम्मेदारी उसकी होगी।
इससे पहले रज़ा अकादमी के दो गुटों में मारा-मारी, पांच घायल 23 के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। शहर के प्रसिद्ध कोटरगेट सुन्नी जामा मस्जिद में इशा की नमाज के समय में परिवर्तन करने को लेकर ट्रस्टियो में वाद विवाद होने के कारण दो गुटों में हुआ विवाद और मारपीट का मामला प्रकाश में आया था। जिसमें पांच लोग गंभीर रूप से जखमी हुए हैं। मस्जिद में हुई इस मारपीट के मामले में दोनों गुटों के 23 लोगों के खिलाफ शहर पुलिस स्टेशन ने मामला दर्ज हुआ है।
मालूम हो कि कोटरगेट सुन्नी जामा मस्जिद के व्यवस्थापन की देख-रेख रज़ा अकादमी की तरफ से की जाती है। कुछ दिन पहले तक मस्जिद का कार्यभार मौलाना यूसुफ रजा एवं शकील रजा दोनो का ग्रुप देखता था। लेकिन मौलाना यूसुफ रजा ने किसी कारण वश पांच पूर्व मुख्य विश्वस्त पद से इस्तीफा दे दिया है। लेकिन नमाज पढाने के लिए इमाममत के पद पर अभी वही है। बताया जाता है कि पिछले साल 16 दिसंबर शनिवार की रात के कोटरगेट मस्जिद व मदरसा में मस्जिद प्रबंधन समिति के लोगों की एक बैठक आयोजित की गई थी। उस समय यूसुफ रजा गैंग ने इशा की नमाज का समय आठ बजे को बदल कर रात 10 बजे कर दिया। इस समय बदलाव के संदर्भ में शकील रजा गैंग द्वारा पूछताछ करने पर दोनों गुटों में वाद-विवाद हो गया और दोनों गुटों में जमकर मारा-मारी हुई। जिसमें मौलाना यूसुफ रजा गुट के अब्दुल रहीम मुहम्मद शेख, यूसुफ मोमिन, अब्दुल मोमिन तथा शकील रजा गुट के हाशिम अंसारी व कासिम अंसारी गंभीर रूप से ज़ख़्मी हो गए। उक्त मारपीट प्रकरण में दोनों गैंग के 23 लोगों के खिलाफ शहर पुलिस स्टेशन ने मामला दर्ज किया गया था।
एक पुलिस अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया था कि कभी हम प्याला और हम निवाला रहे युसूफ रज़ा और शकील रज़ा में मस्जिद की पांच दुकानों सहित आर्थिक लेन-देन को लेकर पिछले छह माह से मच-मच चालू थी। ईद मिलादुन्नबी के जलूस से पहले भी दोनों गैंग के लोगों ने शहर पुलिस स्टेशन में एक दूसरे के खिलाफ क्रास एनसी दर्ज़ कराई थी। जिसके चलते ईद मिलादुन्नबी के जलूस से युसूफ रज़ा ने अपने को दूर कर लिया था। कुछ दिन पहले ही सोशल मीडिया के वाट्स एप्प ग्रुप पर युसूफ रज़ा को टार्गेट करते हुए एक मैसेज बहुत तेजी से वायरल हो रहा था कि क्या आर्थिक गड़बड़ी और झोल-झाल करने वाले के पीछे नमाज़ पढ़ना जायज़ है। दिनों दिन बढ़ती तनातनी को ख़त्म करने के लिए ही दोनों गैंग में समझौते के लिए बैठक रखी गई थी। जिसमें बीच-बचाव हेतु मुंबई से सैय्यद मौलाना नूरी आए थे उनकी मौजूदगी में ही ये सारा बखेड़ा हुआ। क्योंकि इस मीटिंग में शकील रज़ा ने युसूफ रज़ा के संबंध में कुछ जोर से बात किया। जिस पर तमतमाए युसूफ रज़ा ने शकील रज़ा को तीन झन्नाटेदार थप्पड़ रशीद कर दिया। इसके बाद दोनों गैंग में जमकर बमचक और मारा-मारी होने लगी। अगर पुलिस अधिकारी की बात को सच माना जाए तो मार-पीट के दौरान कुरआन का पारा रखने वाले टिन के डिब्बों का भी मारा-मारी में प्रयोग हुआ है। सबसे मज़ेदार बात तो यह है कि दोनों गैंग फरार हो गई थी और दोनों गैंग ने अपने-अपने मोबाईल स्वीच ऑफ़ कर रखा था ताकि पुलिस इनको पकड़े न पाए।
इबादतगाह कही जाने वाली मस्जिद के अंदर दोनों गैंग में हुई इस मारा-मारी को लेकर आम सुन्नी मुसलमानों में जबरदस्त रोष था। जिसके चलते कुछ अमन पसंद लोग वक्फ बोर्ड का सहारा लेकर इन दोनों को हटाने की तैयारी में जुट गए थे। युसूफ रजा पर 15 और शकील रज़ा पर 17 मामले दर्ज हैं। मालूम हो कि युसूफ रज़ा पर शहर के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में छोट-बड़े कुल 15 मामले दर्ज़ हैं। जिसमें अभी कुछ चल रहे हैं और कुछ में कोर्ट द्वारा बरी हो गए हैं और कुछ पेंडिंग हैं। इसी तरह शकील रज़ा पर भी शहर के पुलिस स्टेशनों में कुल छोटे-बड़े 17 आपराधिक मामले दर्ज़ हैं। जिसमे कुछ मामले छूट गए तो कुछ कोर्ट में पेंडिंग हैं।
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