शाहिद अंसारी
मुंबई : हाल ही में दुबई से मुंबई स्मगलिंग किए गए एक किलो गोल्ड को लेकर जिस तरह से सलीम महाराज और तारिक परवीन ने उसे डकाराने की भूमिका मिभाई थी वास्तव में यह गोल्ड उनका भी नहीं था यह गोल्ड किसी और का था जिसने दुबई से स्मगलिंग कर के मुंबई मंगाया था लेकिन चोर पर मोर वाली कहावत सच साबित होने के बाद एक किलो गोल्ड की बंदर बांट शुरु हुई और इस बंदर बाट में डोंगरी पुलिस थाने के कुछ पुलिस वाले शामिल हैं।
क्योंकि गोल्ड स्मगलिंग गैंग से एक किलो गोल्ड लेने के बाद सलीम महाराज की नियत खराब हो गई और महाराज ने इसे हड़पने के लिए तय्यार किया मास्टर प्लान इस मास्टर प्लान के मास्टर माइंड और कमांडर तारिक परवीन को बनाया गया और मुंबई पुलिस के डोंगरी पुलिस को बिचौलिया की भूमिका के जैसे थी जो कि फर्ज़ी और पुलिसिया कार्रवाई करने के लिए गोल्ड स्मगलिंग गैंग के कई लोगों के बयान भी दर्ज किए जाहिर सी बात है यह सब ऐसे ही नहीं किया गया बल्कि उस एक किलो गोल्ड में उनका भी हिस्सा रहा होगा।
लेकिन मामला उस वक्त पेचीदा हो गया जब पायधूनी पुलिस थाने में मामला दर्ज हो गया तब महाराज और तारिक परवीन को एक किलो गोल्ड हाथ से सरकते दिखाई दिया इसलिए तुरंत इस मामले को लेकर भारत के सब से बड़े ईमानदार, जाबाज़, फर्ज़शनास अधिकारी साउथ रीज़न के एडिश्नल कमिश्नर प्रवीण पटवल ने इस केस को तुरंत एमआरए मार्ग पुलिस थाने में ट्रांस्फर कर दिया। और इनको बचाने का ठेका उस थने के सीनियर पीआई सुखलाल वर्पे को दिया गया।
एमआरए मार्ग पुलिस थाने में केस ट्रांस्फर करने के पीछे का लक्ष्य यह था कि इस एफआईआर से तारिक परवीन और सलीम महाराज का नाम निकाल दिया जाए ताकि वह स्गलिंग का एक किलो गोल्ड डकार जाऐं। और इस काम की जिम्मेदारी अपने आप को मुंबई पुलिस के सब से डेरिंग बाज़ अधिकारी कहने वाले सुखलाल वर्पे को। लेकिन वर्पे के तबादेल के बाद से ही इन दोनों का नाम निकालने का फंडा कामयाब नही हुआ हालांकि वर्पे ने स्मगलिंग का गोल्ड बरामद नहीं किया था।
उसके बाद थाने कमिश्नर परमबीर सिंह को लेकर महाराज और तारिक परवीन फिर से संकट के बादल नज़र आए क्योंकि उन्हें इस बात का अंदाजा था कि मुंबई पुलिस उनको जितना बचा सकती है थाने पुलिस उतना ही बजा सकती है। और यही नहीं थाने पुलिस उनके मास्टर प्लान पर पानी फेर देती और न केवल इनको गिरफ्तार कर के गोल्ड बरामद करती बल्कि गोल्ड स्मगलिंग करने वाली गैंग के सारे सदस्यों को गिरफ्तार कर के उनको हवालात पहुंचा देती। लेकिन परमबीर के न आने की वजह से इस गैंग ने फिर से हाथ पैर मारने शुरु कर दिए ताकि स्मगलिंग का एक किलो गोल्ड वह पचा जाऐं।
अब चूंकि वर्पे के जाने के बाद दूसरे सीनियर पीआई कांबले की एंट्री हुई है जिसके बाद से महाराज बिन पानी के मछली के जैसे छटपटा रहा है क्योंकि एफआईआर से नाम निकालने का जो ठेका वर्पे ने लिया था उसमें कामयाबी हाथ नहीं लगी और स्मगलिंग का छीना हुआ गोल्ड भी उसके हाथ से सरकते हुए दिखाई दे रहा है और उस से भी अहम यह कि कांबले को खुद इसकी जांच सौंपी गई है और वह सख्त आफीसर हैं इसलिए अब एक किलो गोल्ड जब्त होना तय है। अब मुंबई पुलिस पर यह निर्भर करता है कि वह दुबई से मुंबई स्म्गलिंग किया गया गोल्ड बरामद कर के स्मगलिंग गैंग को बेनकाब करते हैं या इन दोनों को सहयोग करके एक किलो गोल्ड के हिस्सेदार बनते हैं।
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