महाराष्ट्र के तटीय इलाक़े में डीज़ल तस्करी का जाल एक बार फिर सक्रिय होने की ख़बर सामने आई है। मोरा जेट्टी पर चल रहे इस अवैध कारोबार ने एक बार फिर अपराध, राजनीति और सिस्टम की नाकामी के गहरे रिश्तों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सूत्रों के मुताबिक़, इस धंधे में रोशन गुनिया, नितिन कोहली और राजकिशोर दास उर्फ़ राजू पंडित का नाम सामने आया है। ये वही लोग हैं जिन्हें पहले मुंबई पुलिस ने मकोका (MCOCA) कानून के तहत गिरफ़्तार किया था, लेकिन बाद में येलो गेट पुलिस स्टेशन में दर्ज एक मामले में उन्हें ज़मानत मिल गई।
पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज इन नामों का फिर से सक्रिय होना इस ओर इशारा करता है कि कहीं न कहीं इन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।स्थानीय सूत्रों का कहना है कि इतनी बड़ी तस्करी बिना राजनीतिक मदद और तंत्र के भीतर से मिलीभगत के संभव ही नहीं है। सब्सिडी वाला और ड्यूटी-फ्री डीज़ल, जो असल में मछली पकड़ने वाली नावों और ज़रूरी उद्योगों के लिए होता है, काले बाज़ार में बेचा जा रहा है। इससे केवल स्थानीय तस्करों को ही नहीं बल्कि सियासी सरपरस्तों को भी फ़ायदा पहुँचता है।
जानकार मानते हैं कि चुनावी मौसम में ऐसे धंधे और तेज़ हो जाते हैं, क्योंकि इस काले धन का इस्तेमाल चुनावी चंदे के रूप में होने की आशंका जताई जाती है। हालांकि मौजूदा मामले में किसी दल या नेता का सीधा नाम नहीं लिया गया है, लेकिन सिस्टम की चुप्पी और नाकामी अपने आप में बहुत कुछ कहती है।
एक अधिकारी ने हमारे चैनल से कहा, “जब हर केस में वही लोग सामने आते हैं तो ये केवल पुलिस की नाकामी नहीं होती। इसका मतलब है कि सिस्टम के कई स्तरों पर समझौता हो रहा है – स्थानीय अधिकारियों से लेकर राजनीतिक दफ़्तरों तक, कहीं न कहीं से इन्हें मदद मिल रही है।”
मोरा जेट्टी पर लगातार हो रही डीज़ल तस्करी ने एक बार फिर साफ़ कर दिया है कि तटीय महाराष्ट्र में अपराध और राजनीति का गठजोड़ कितना मज़बूत है। जब तक इसे तोड़ने की राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं दिखाई जाती, तब तक कार्रवाई केवल दिखावा बनकर रह जाएगी और असली गुनहगार बेख़ौफ़ रहेंगे!
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