Bombay leaks Desk
मुंबई:मुंबई मनपा चुनाव के दौरान BJP के मुंह बोले भाई AIMIM पार्टी का इस बार मुंबई से तो पत्ता साफ़ हो गया लेकिन इस बार की राजनीती में AIMIM ने न सिर्फ़ हार का तमगा हासिल किया बल्कि इस बार मुबंई में जिन उम्मीदवारों ने 5 लाख रूपए दे कर टिकट हासिल किया था और अपनी पार्टी छोड़कर AIMIM का लालीपॉप थामा था उनका कैरियर पूरी तरह से तबाह हो गया अब वह कहीं भी मुंह दिखाने लाएक नही हैं।मुंबई में अगर बात की जाए वकारुन्निसा जो कि 20 साल से कांग्रेस का दामन थामे हुए थीं उन्हें इस बात की गलत फहमी थी कि लोग उन्हें इस बार भी चुनावी मैदान में पसंद करेंगे लेकिन यह उनकी भूल थी इधर उन्होंने AIMIM का दामन जैसे ही थामा जनता ने उनका दामन छोड़ दिया और नतीजा बुरी तरह से शिकस्त हाथ लगी।कुछ ऐसा ही हाल रहा कांग्रेस के छुटभय्या नेता निज़मुद्दीन राईन का राईन ने भी अपने बेटे को AIMIM की ओर से मैदान में उतारा और उन्हें भी जिल्लत भरी शिकस्त हाथ लगी बिल्कुल इसी तरह से मदनपूरा में अपना उल्लू सीधा करने वाले मुबीन कुरैशी ने एनसीपी की जी हुजूरी की लेकिन बेटे को टिकट न मिलने पर AIMIM का लॉलीपॉप थामा और शिकस्त का सामना करना पड़ा।
अब जाहिर सी बात है कि जिन लोगों ने बड़ी पार्टियों को छोड़ AIMIM का लॉलीपॉप चूसा है अब उनकी घर वापसी तो मुमकिन नहीं क्योंकि उनके लिए पार्टी के दरवाज़े हमेशा के लिए बंद होगए हैं हालांकि उनके रहने न रहने से किसी भी पार्टी को कोई फर्क ही नहीं पड़ता बल्कि बोझ बन कर ही पार्टी के बैनर तले अपनी दुकानदारी चमकाते हैं।अंटाप हिल से इस बार बतौर AIMIM उम्मदीवार वाहिद का कहना है कि हमने चुनाव से पहले 5 लाख रूपए एक उम्मीदवार की हैसियत से AIMIM के उन लोगों ने लिए जो हैद्राबाद से आए थे उनमें 3 लाख के चेक बाकी के 2 लाख कैश लिए उसके बाद टिकट दिया गया।वाहिद हार गए और इस सोच में डूबे कि इसमें नुकसान उनका हुआ और पार्टी का तो 5 लाख मिल ही गए।
भिवंडी मनपा चुनाव से ऐन पहले कथित तौर से BJP की B टीम के तौर पर मशहूर AIMIM पार्टी के स्थानीय अध्यक्ष समेत लगभग पूरी टीम के इस्तीफा देने से कौम-मिल्लत की दुकानदारी करने वाली पार्टी को ज़बर्दस्त झटका लगा है। इस सामूहिक इस्तीफा से AIMIM ही नहीं इनकी वोट कटवा राजनीति से फायदा उठाने वाली सियासी पार्टी को भी गहरा झटका लगा है। इनकी हर सियासी बिसात पर नज़र लगाए बैठे कुछ कथित सांप्रदायिक दलों के नेता इस इस्तीफे से परेशान होने के साथ-साथ इसका विकल्प भी तलाश करने में जुट गए हैं। वही मनपा चुनाव लड़ने वाले कुछ संभावित प्रत्याशी इस टीम के त्याग पत्र से ख़ुश नज़र आ रहे है। तो कुछ वोट कटवा प्रत्याशियों की होने वाले अभाव की आशंका से मायूस हो गए हैं।
वैसे पार्टी मे मची इस अफरा तफरी को लेकर AIMIM की ओर से अभी तक कोई भी अधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। जबकि स्थानीय अध्यक्ष अबरार अंसारी और उनके द्वारा तैयार की गई पूरी टीम ने पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया है। AIMIM की इस दुर्गति के लिए पार्टी में मची गुट बाजी और आरोप प्रत्यारोप को जिम्मेदार माना जा रहा है। महानगरपालिका का चुनावी दंगल शुरु होने से पहले संभावित प्रत्याशी कल, बल, छल में पूरी तरह रमे नज़र आरहे हैं। जिसकी झलक प्रत्याशी और वार्डो में बनते नित नए पैनल के तौर पर देखने को मिल भी रहा है। देश और प्रदेश की सत्ता से बेदखल और हालिया चुनाव मे चारो खाने चित होने वाली एक राष्ट्रीय पार्टी के स्थानीय नेतृत्व की कमान संभालने वालों ने प्रदेश अध्यक्ष को ही इमोशनल ब्लैक मेल करना शुरू कर दिया है। लेकिन सूत्रों की माने तो वहां पर इन लोगो की दाल गलती नहीं नज़र आ रही है। जो कुछ हो यहां का चुनावी दंगल काफी दिलचस्प होने की अटकलें लगाई जा रही है। शहर में पल-पल बनते-बिगड़ते सियासी समीकरण ने सबका गणित के साथ-साथ भूगोल भी बिगाड़कर रख दिया है। फिलहाल वक्ती तौर पर एमआईएम में मची भगदड़ से लोग भले ही खुश हो। मगर यह राजनीतिक अस्थिरता ज़्यादा दिन कायम रहेगी इसकी संभावनाएं काफी कम है। क्योंकि भिवंडी शहर अघाडियों की राजनीति का हमेशा एक बड़ा अखाड़ा रहा है। इस चुनावी अखाड़े से निकलकर महानगरपालिका की सत्ता पर काबिज होने के जोड़-तोड़ के कई बेमेल उदाहरण मिल जाएंगे। जिसने मेल-बेमेल जोड़ तोड़ के दम पर कई महापौर बनाए और बिगाड़े हैं। एक राष्ट्रीय दल की राजनीति और वहां मची टिकट के मार-काट की धार को कुंद करके एक वैकल्पिक प्रेशर ग्रूप के तौर पर इस बार के इलेक्शन में अघाड़ी के नाम पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की जुगत में है। चर्चा यह भी है कि इस बार वोटो के ध्रुवीकरण के लिए कई नए दल व संगठन चुनाव मैदान में होंगे। इस तरह शहर के सियासी ताने-बाने को ध्वस्त करने की फिर एक बार कोशिश कम साजिश ज्यादा हो रही है। सत्ता के सिंहासन सूख को लेकर लालायित दलों का बेमेल गठजोड़ किसी से छुपा नहीं है। जिसके चलते टिकटबंदी की मैराथन से शहर की भविष्य की राजनीति अभी से आइने की तरह साफ दिखाई देने लगी है।
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