शाहिद अंसारी
मुबंई: आम आदमी जब अपनी गाड़ी चलाता है तो उसे नियम कायदे के नाम पर साहिबा (वर्दी धारी गुंडे) नियम कानून के नाम पर जम कर लूटते हैं कई बार तो हवालात की हवा भी खिला देते हैं। लेकिन सरकारी गाड़ियों की जांच करने की वह कभी मेहरबानी या हिम्मत नहीं दिखाते क्योंकि वहां से मलाई खाना मुश्किल होता है।
मुंबई में बेस्ट के अंतर्गत 3830 गाड़ियां है जिनमें 411 की पीयूसी ही नहीं है ऐसी जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता शकील शेख को बेस्ट ने दी है।
जानकारी में पता चला है कि बेस्ट के अंतर्गत 6 (दो पहिया वाहन), 15 (दो पहिया ऑयल फिल्टर मशीन ट्राली), 8 चार पहिया (मैनेजमेंट कार), 145 चार पहिया (जीप), 57 चार पहिया (डिलिवरी और कैश वैन), 9 चार पहिया (फाल्ट फाइंडिंग वैन), 7 चार पहिया (फॉर्क लिफ्ट), 2087 (बस सीएनजी), 1337 (बस डीज़ल), 4 (बस एलेक्ट्रिक), 164 अन्यवाहन हैं जिनमें टैंकर, ट्री ट्रीमिंग, मुबाइल कैंटीन शामिल हैं। इस तरह से सारे वाहनों को देखा जाए तो इनकी संख्या 3830 तक पहुंचती है। बेस्ट ने 2016 से 2017 तक केवल बस की ही पीयूसी हासिल की है और इसके लिए उन्होंने 484560 रूपए की रकम खर्च की है और साल 2017 में 437760 रूपए की रकम खर्च की है। साल 2016 और 2017 में केवल बस की ही पीयूसी हासिल की गई है। जबकि दूसरी गाड़ियों की पीयूसी नहीं हासिल की गई ।
शकील शेख ने राज्य सरकार से इस बात की मांग की है कि जिन गाड़ियों की पीयूसी बेस्ट ने नहीं हासिल की उन्होंने नियम का उल्लघन किया है और आम आदमियों के जैसे उन के खिलाफ भी कार्रावाई होनी चाहिए।
RTI की कॉपी
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