औरंगाबाद : सुन्नी मुस्लिम छोटा सोनापुर मैदान पर आज़ाद मैदान दंगों और हत्या का आरोपी तुड़ु-ए-नागपाड़ा तथाकथित धर्मधुरंध मांडवाली जगत का बेताज बादशाह मुईन अशरफ उर्फ़ बाबा बंगाली द्वारा अवैध कबज़े को लेकर औरंगाबाद न्यायालय ने अपनी अंतरिम रोक के बाद स्थाई तौर पर रोक लगादी। इस आदेश के बाद से बाबा बंगाली गैंग मे खलबली मची हुई है उसकी गैंग के लोग अब यह मानने लगे हैं बंगाली सिर्फ़ लंबी लंबी छोड़ता है और चमत्कार की बात करता है लेकिन यहां तो उसके चमत्कार का ब्लत्कार होते देख बंगाली गैंग के कई गुर्गे उसकी गैंग छोड़ने की फिराक मे हैं।
इस मामले की 2 फरवरी को ठाणे जिले में हुई सुनवाई के बाद वक़्फ़ न्यालाय ने चेंज रिपॉर्ट पर अंतरिम रोक लगा दी थी इस आदेश के बाद बंगाली बाबा के पैरों तले ज़मीन खिसक गई थी और तुरंत बंगाली गैंग हरकत में आगई और सचाई को छोड़ बे बुनियादी मुद्दों पर बहस करके न्यायालय को गुमराह करने की कोशिश जारी रखी लेकिन बंगाली बाबा गैंग की एक भी झूटी दलील कोर्ट ने नहीं मानी और उसे फिर एक बार मुंह की खानी पड़ी।
सुन्नी मुस्लिम छोटा सोनापुर मैदान पर आज़ाद मैदान दंगों और हत्या का आरोपी तुड़ु-ए-नागपाड़ा तथाकथित धर्मधुरंधर मांडवाली जगत के बेताज बादशाह मुईन अशरफ उर्फ़ बाबा बंगाली ने अपनी हेरफेर फरेब और चालबाज़ी से चेंज रिपोर्ट (change report) हासिल करके अपने आप को नागपाड़ा का बाहुबली के साथ साथ छोटा सोनापुर के ट्रस्टी के रुप में खुद की घोषणा कर डाली थी इस चेंज रिपोर्ट को अंजुमन ए इस्लाम ने औरंगाबाद स्थित वक़्फ़ न्यालाय के सामने बंगाली बाबा के कुकर्मों के खिलाफ़ गुहार लगाई थी।
2014 में चौकीदार A. K. Chorwardwala ने अपने करीबी सहयोगियों के साथ कई लोगों को लेकर अपने आप को स्वंय घोषित ट्रस्टी बता कर चैरिटी कमिश्नर में चेंज रिपोर्ट दाखिल करवाई इसकी खबर जैसे ही बंगाली गैंग को हुई तो उन्होंने तत्कालीन वक़्फ़ सदस्य मौलाना सय्यद जमील की निगरानी में झुटे दस्तावेज़ और हलफनामे देकर छोटा सोनापुर की मिलकियत जो के सरकारी जमीन है उसको वक़्फ़ की मिलकियत घोषित करदी साथ ही साथ अनौपचारिक रूप से अपने घरवालों अपने सगे भाइयों और नामचीन बिल्डरों को लेकर कमेटी बना डाली।
जब इसकी जानकारी चोरवार्डवाला को हुई तो चोरवार्डवाला ने ऑब्जेक्शन फाइल करके उसपर वक़्फ़ बोर्ड द्वारा रोक लगादी दर असल चोरवार्डवाला जो की अकबर पीरभाई कॉलेज के प्रिंसिपल रह चुके है छोटा सोनापुर की स्थिति को लेकर उन्हों ने कई पत्र अंजुमन को लिखे जिस के बाद अंजुमन (जो 1957 से (जब बाबा बंगाली पैदा भी नहीं हुआ था) छोटा सोनपुर की जायदाद पर काबिज है और सारा खर्च उठा रही है। चोरवार्डवाला को 7 मई 1995 में बतौर केअर टेकर नियुक्त किया गया जिनका वेतन 2500 तय थी थी और वो देख भाल में लगे थे।
इसी बात का वह फ़ायदा उठा कर पहले एक कमेटी का गठन किया फिर बंगाली बाबा के साथ दूसरी कमेटी का गठन किया क्योंकि सब की नज़र और छोटा सोनपुर की जगह को रिडेव्लप करने में थी वक़्त के रहते अंजुमन ने उन सब के खिलाफ़ कानूनी कार्रवाई शुरु की जिस की वजह से बंगाली गैंग, चोरवार्डवाला गैंग मुश्किल में फंसते नज़र आए।
दर असल अंजुमन का दावा है के चोरवार्डवाला जो अंजुमन इस्लाम में नौकरी करते थे वो कभी भी छोटा सोनपुर के ट्रस्टी थे ही नहीं चोरवार्डवाला के पास इस बात का कोई सबूत नहीं है के वो ट्रस्टी हैं। सारी बहस के दौरान वह केवल इधर उधर की बातें करते रहे मगर कोई पुख्ता सबूत नहीं दे पाए बंगाली गैंग ने बतौर रणनीति एक ही खानदान के चार वकील नियुक्त किये थे और हर तरीके से कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की मगर नाकाम रहे, दूसरी तरफ अंजुमन ने जितने भी दस्तावेज़ कोर्ट में पेश किये उन दस्तावेजों पर कोर्ट ने गौर किया और इस नतीजे पर पहुँच कर चेंज रिपोर्ट पर रोक लगादी अब आगे देखना है के बंगाली व चोरवार्डवाला गैंग अपनी सफाई में क्या नया ड्रामा करते हैं।
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