शाहिद अंसारी
दिल्ली: देश की आम जनता के मानव अधिकार भंग होने को लेकर राज्य और केंद्र दोनों जगह ह्युमन राइट्स कमीशन का गठन किया गया है लेकिन सरकार के अतंर्गत चलने वाला यह विभाग भी आम सरकारी दफ्तरों के जैसे जनता के लिए हो कर रह गया।हाल ही में नेशनल ह्युमन राइट्स कमीशन ने रेप के मामलों में पीड़िता को 25000 का हर्जाना देने का फैसला सुनाया है।
मामला उत्तर प्रदेश से जुड़ा हुआ है जब सेंट्रल ह्युमन राइट्स कमीशन ने मार्च महीने में अपने न्युज़ लेटर में 31 केसों की जानकारी देते हुए बताया है इन सारे मामलों में कमीशन ने 53.3 लाख रूपए ऐसे पीड़ितों को देने के लिए सरकार को आदेश जारी किए जिनका ह्युमन राइट्स भंग हुआ है।इन्ही मामलों में एक मामला उत्तर प्रदेश का है ( केस संख्या 4559/24/17/2015-WC ) इस मामले में कमीशन ने रेप पीड़िता के लिए सरकार से मात्र 25000 रूपए के मुआवज़ा देने की आदेश जारी किया है।जबकि केस संख्या 2679/18/2/2014 ) जो कि उड़ीसा राज्य का है जिसमें एक व्यक्ति को पीड़ित को पुलिस हिरासत में टॉर्चर किया गया और इसकी शिकायत नेशनल ह्युमन राइट्स कमीशन में गई कमीशन ने इस पर अपना फैसला सुनाते हुए उड़ीसा सरकार को पीड़ित को 5 लाख का मुआवज़ा देने का आदेश जारी किया लेकिन उससे भी हारन कर देने वाला एक फैसला कमीशन ने सुनाया है कि केस (संख्या 246/8/11/2015-PCD ) इस मामले में हिमाचल प्रदेश में एक व्यक्ति की पुलिस हिरासत मे मौत हो जाती है और मामला कमीशन के निकट पहुंचता है और कमीशन ने इस मौत को लेकर सरकार को मात्र 1 लाख का मुआवज़ा देने का आदेश पारित किया है।लेकिन एक मामला ऐसा है जिसमें (केस संख्या 3380/4/26/14) शिकायतकर्ता को स्थानी गुंडे ने परेशान किया जिसके बाद आयोग ने उसे बिहार सरकार को 8 लाख का मुआवज़ा देने का आदेश जारी किया।जबकि महाराष्ट्र मे न्यायिक हिरासत मे मरने वाले दो मामलों में पीड़ित परिवार को कमीशन की ओर से एक एक लाख रूपए का मुआवज़ा देने का एलान किया गया है।
दरअसल हिरासत में हुई मौत को लेकर पीड़ित की ओर से चश्मदीद गवाह नहीं होता इसलिए इस मामले को लेकर कमीशन गंभीर नहीं जबकि बाकी मामले जिनमें पुलि हिरासत में टॉर्चर करने का मुआवज़ा तो इस मामले में चूंकि खुद पीड़ित ही चश्मदीद गवाह होता है इसलिए उसकी गवाही माने रखती है इसी लिए पुलिस हिरासत की मौत के मामले में मात्र 1 लाख जबकि पुलिस हिरासत में टॉर्चर करने का मुआवज़ा 5 लाख तक दिया गया।
ह्युमन राइट्स को लेकर लंबे समय तक लड़ाई लड़ने वाले एडोकेट भावेश परमार ने कहा कि मुआवज़ा की जो रकम है वह चौंका देने वाली है अगर यूपी में रेप के मामले में नेशनल ह्युमन राइट्स कमीशन मात्र 25000 रूपए के मावज़े का आदेश देता है और पुलिस हिरासत में टॉर्चर करने की वजह से 5 लाख तो यह शर्म की बात है इसका मतलब यह हुआ कि आज भी भारत में रेप के मामलों से कहीं ज़्यादा पुलिस हिरासत में टॉर्चर करने और पुलिस हिरासत मे हो रही मौत माने रखती हैं इसी लिए उन मामलो को लेकर कमीशन ने लाखों रूपए के मुआवज़े की रकम देने के लिए सरकार को आदेश दिया है।
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