शाहिद अंसारी
मुंबई: 6 मामले भुगतने वाले अधिकारी एलए विभाग में जाने के बजाए अब तक पुलिस थाने के थानेदार बने बैठे हैं और इस वजह से मुंबई पुलिस समेत मुंबई भर की जनता यह सोचने पर मजबूर हो गई है कि आखिर इनके पास ऐसा कौन सा जैकपॉट है जिसके दम पर क्रीम पोस्ट यानी सीनियर पीआई की पोस्ट पर अपने कदम जमाए बैठे हैं और मुंबई पुलिस कमिश्नर इस अधिकारी के तबादले से डरते हैं।इतनी सज़ा भुगतने वाले अधिकारी को नियम के अनुसार एल.ए. विभाग में भेजना चाहिए लेकिन इस अधिकारी के तबादले से वरिष्ठ अधिकारी थर थर कांपते हैं।
6 मामले भुगतने वाले कोई और नहीं बल्कि मुबंई पुलिस के सब से दबंग सीनियर पीआई संजय बसवत हैं जिन्होंने नियम और कानून के मामले में अपने से वरिष्ठ अधिकारी आर.डी.शिंदे को भी नहीं बख्शा और उनके नाम स्टेशन डायरी में लिख कर साबित कर दिया कि थानेदार तो थानेदार ही होता है और नागपाड़ा पुलिस थाने का थानेदार होना कोई आम बात नहीं।लेकिन उससे भी चौंका देने वाली बात यह है कि इस दबंग सीनियर पीआई के खिलाफ़ 6 मामले चल रहे हैं और यह उनकी सज़ा भुगत रहे हैं।
यह सारे मामले विभागी जांच का हिस्सा हैं।इनमें सारे मामलों में हर मामलों में कार्रवाई जारी है और कई मामलों में यह वेतन काटने की सज़ा भुगत रहे और किसी में वेतन वृद्धि से वंचित किए गए हैं।जिन मामलों को लेकर सीनियर पीआई संजय बसवत सज़ा भुगत रहे हैं उनकी कुछ जानकारी Bombay Leaks के हाथ लगी है उनकी तफ्सील पेश है।
एडिशनल कमिश्नर सेंट्रल रीज़न की ओर से भेजे गए पत्र संख्या 8281/पुप्रावि/कक्ष-3/16 जो कि दिनांक 30.11.2016 को भेजा गया इस मामले में दो साल की वेतन वृद्धि पर रोक लगाई गई है इसके बाद दूसरी कार्रवाई जिसमें सज़ा भुगत रहे हैं जो कि 16.12.2016 को भेजा गया जिसकी पत्र संख्या 8354/2016 है इसमें भी ताकीद की गई है और सज़ा जारी है तीसरी 17.10.2016 को भी दी गई सज़ा जिसमें दो साल की वेतन वृद्धि पर रोक लगाई गई और यह मामला भी चल रहा है चौथआ मामला दिनांक 17.10.2016 को 1 साल की वेतनवृद्धि पर रोक और मामला चल रहा है जबकि पांचवां मामला भी इसी तरह है और इसी तारीख को छटवां मामला जिसमें 1 साल की वेतनवृद्धि पर रोक लगाई गए है और सारे मामले अभी तक चल रहे हैं।
साल 2016-17 में केवल यही नहीं बल्कि सज़ा भुगतने वालों की फहरिस्त में सीनियर पीआई की पोस्ट पर तैनात सिद्धार्थ कसबे,सुधीर महाडिक,नरेश कसले,सुदाम बेलदार,राजेंद्र जुवेकर,दिलीप सावंत, राजेंद्र कुमार मोरे समते कुल 8 सीनियर पीआई हैं जो कि सज़ा भुगत रहें लेकिन असल बात यह है कि सज़ा के नाम पर जमकर मज़ा लूट रहे हैं।अब यह मज़ा कैसा लूटा जाता है यह भी बहुत ही दिलचस्प खेल है जिसे जानने के बाद आपको हैरानी होगी कि और आप यह पूरे यकीन के साथ कहेंगे कि यह सज़ा जानबूझ कर ली जा रही है और सज़ा के नाम पर सीनियर पीआई की पोस्ट का मज़ा लूटा जा रहा है।
पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार के नए नए तरीके सामने आरहे हैं और उस बारे में सभी को जानकारी होते हुए भी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से भ्रष्टाचारी को सहायता पहुंचा कर उसे एक एक ऊंचा मुकाम दिया जाता है जिसकी सब से बड़ी मिसाल मुंबई पुलिस विभाग में सीनियर पीआई की नियुक्ति।इस नियुक्ति को लेकर जो रास्ता अपनाया जा रहा है वह सवालों के घेरे में है।
यह सच है कि पिछले कई सालों से सीनियर पीआई के इस पद पर रहने वाले पुलिस अधिकारी एक साज़िश के तहेत उसी पद पर रहने के लिए प्रमोशन मिलने के बाद एसीपी की पोस्ट को ठुकरा देते थे और उनकी आसानी के हिसाब से फिर विनती कर तुरंत एसीपी पोस्ट को स्वीकार भी कर लेते थे।सरकार के संज्ञान में यह बात आते ही साल 2015-16 में यह फैसला लिया गया कि एक बार प्रमोशन पोस्ट को ठुकारने वाले पुलिस अधिकारी को अगले दो सालों तक उसके बारे में प्रमोशन के किसी भी पद के लिए विचार नहीं किया जाएगा और उसे तैनात सीनियर पीआई की पोस्ट से हटा कर साइड पोस्टिंग पर तैनात कर दिया जाएगा।
भ्रष्टाचारी पुलिसकर्मियों के शातिर दिमाग ने इसका भी तोड़ निकाला और सीधे सीधे प्रमोशन ठुकराने के बजाए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से साठगाँठ कर खुद पर छोटे मोटे कारणों को लेकर सैलेरी में कटौती की सज़ा खुद से ही भुगतने लगते हैं और इस तरह से जो उनकी मंशा होती है वह पूरी हो जाती है।वह प्रमोशन की लिस्ट से खुद ब खुद बाहर हो जाते हैं।ऐसी हालत में प्रमोशन से इंकार किया यह आसानी से सिद्ध न होने के कारण वह साइड पोस्टिंग की नियुक्ति से भी बच जाते हैं।यहां सवाल यह उठता है कि संबंधित सज़ा पाने वाला वरिष्ठ अधिकारी यह किस काबलियत के आधार पर सीनियर पीआई पद पर कार्यरत रह कर आम जनता और अपने सहकारियों को न्याय दे सकता है जबकि वह खुद सज़ा भुगत रहा है।
ज्वाइंट सीपी लॉ ऐंड ऑर्डर के आदेश के मुताबिक किसी भी पुलिस अधिकारी के ऊपर विभागी और न्यायलीन आदेश के तहेत वह सजा काट रहा हो तो ऐसी हालत में संबंधित वरिष्ठ अधिकारी इस बात की तफ्सीली जानकारी पुलिस कमिश्नर और ज्वाइंट कमिश्नर लॉ ऐंड आर्डर को भेज कर उसे साइड पोस्टिंग पद पर नियुक्त करने के लिए पत्र व्यवहार करना जरूरीर है या उसकी उस साइड पोस्टिंग पर बदली हो जानी चाहिए।लेकिन सच्चाई इस आदेश से बिल्कुल अलग है जिसका सबसे बड़ा प्रमाण खुद पुलिस की नोटिस के अनुसार साल 2016-17 में सज़ा पाने वाले पुलिस अधिकारी साइड पोस्टिंग के बजाए मेन स्ट्रीम में बतौर सीनियर पीआई पद पर नियुक्त हैं यह वही लोग हैं जिनके बारे में ऊपर बताया जा चुका है।
पूर्व आईपीएस अधिकारी वाई.पी. सिंह का कहना है कि यह बहुत ही चौंका देने वाली बात है कि भ्रष्ट अधिकारी मलाई खाने के चक्कर में कौन कौन से हरबे अपनाते हैं और सीनियर पीआई की पोस्ट पर रहने के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं मुबंई पुलिस कमिश्नर को चाहिए कि यह अधिकारी जो कि सज़ा भुगत रहे हैं और किसी जांच का सामना कर रहे हैं तो वह तुरंत इन्हें एल.ए विभाग भेजें ताकि यह जनता के संपर्क से दूर रहें।
सज़ा भुगतने वाले सीनियर पीआई की लिस्ट
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