मुंबई:महाराष्ट्र सरकार कभी सरकारी खज़ाने को डांस टीम पर खाली करती है कभी सरकारी ज़मीन को कोड़ियों को भाव हेमा मालिनी को बेच देती हैं अभी यह मामला ठंडा नहीं हो पाया कि एक और नया मामला सामने आया।जो कि महाराष्ट्र के इतिहास मे पहली बार सामने आया।
पिछली सरकार के रहते सरकारी काम काज के लिए सरकारी अधिकारियों की ही मदद ली जाती थी लेकिन लेकिन इस सरकार के आने के बाद मामला बिलकुल उलटा होगया अब सरकारी अधिकारी आराम कर रहे हैं और बाहर के भाड़े के टट्टू काम कररहे हैं और सराकार उनपर लाखों रूपए खर्च कर रही है।ऐसा खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने किया है।गलगली ने जो जानकारी प्राप्त की है उसमें राज्य सरकार प्रति महीना 7,69,108 लाख रूपए करीब 8 बाहरी अधिकारियों पर खर्च कररही है।
इनके नाम यह हैं इसमें सभी विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) हैं जिन्हें वेतन सहित एकमुश्त रकम दी जा रही है।कौस्तुभ धवसे को रु 1,30,401/-, केतन पाठक को रु 1,16,154/-, रविकिरण देशमुख को रु 1,16,154/-, सुमित वानखेडे को रु 88,848/-,प्रिया खान को 88,848/-, निधी कामदार को रु 79,731/-, अभिमन्यू पवार को रु 61,072/- और श्रीकांत भारतीय को रु 87,900/- इतनी रकम दी जा रही हैं।8 में से सिर्फ भारतीय को हर महीने एकमुश्त रकम दी नहीं जा रही हैं।
अनिल गलगली के अनुसार मुख्यमंत्री कार्यालय में बाहरी उम्मीदवार लेने की परंपरा नई है जो कि महाराष्ट्र के इतिहास में पहली बार हुआ है जिसके ज़रिए सरकारी तिजोरी को सत्ताधारी सरकार खाली करने की कोशिश कररही है।इससे राज्य के खजाने से प्रति महीना 7,69,108 रुपए का खर्च होने के बाद भी प्रशासकीय अनुभव नहीं होने से किसी भी तरह का लाभ होने का उम्मीद नहीं हैं।इन लोगों को हटाने के लिए गलगली ने राज्य के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।
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