मुंबई. सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुजरात के पूर्व एटीएस चीफ समेत सभी 5 पुलिसकर्मियों को आरोपों से बरी कर दिया। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा।
दो हफ्तों तक रोजाना हुई सुनवाई : जस्टिस बदर ने जुलाई में करीब दो हफ्तों तक रोजाना इस मामले की सुनवाई की। हाईकोर्ट में आरोप मुक्त किए जाने के फैसले के खिलाफ 5 पुनर्विचार याचिकाएं लगाई गई थीं। इसके अलावा विपुल अग्रवाल की ओर से भी आरोप मुक्त किए जाने की अपील की गई थी। वंजारा और पांडियन को आरोपों से बरी किए जाने के निचली अदालत के फैसले को सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन ने बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। अमीन और राठौड़ को आरोप मुक्त किए जाने के खिलाफ सीबीआई ने याचिका दायर की थी।
अग्रवाल को भी हाईकोर्ट से राहत : बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोहराबुद्दीन एकनाउंटर मामले में गुजरात पुलिस के वंजारा के अलावा राजकुमार पांडियन, एनके अमीन और राजस्थान पुलिस के दिनेश एमएन, दलपत सिंह राठौर को आरोप मुक्त किया। जस्टिस एएम बदर ने गुजरात के पुलिस अधिकारी विपुल अग्रवाल को भी 2005-06 में हुए सोहराबुद्दीन, उसकी पत्नी कौसर बी और सहयोगी तुलसी राम प्रजापति के एनकाउंटर के मामले में आरोपों से बरी कर दिया। हालांकि, निचली अदालत ने अग्रवाल की याचिका को खारिज कर दिया था।
मुंबई की विशेष अदालत में शिफ्ट की गई थी सुनवाई : सीबीआई ने इस मामले में 38 लोगों को आरोपी बनाया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस केस की सुनवाई गुजरात से मुंबई की विशेष अदाल
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