
पीड़ित ब्रिजेट परेरा और उनके पति
शाहिद अंसारी
मुंबई:मुंबई हाईकोर्ट के जस्टिस एस.जे. काथावाला और जस्टिस गौतम पटेल ने मुंबई के खार इलाके में रहने वाले सीनियर सिटीज़िन के 6000 स्क्वैर फिट पर स्थित घर की जगह को बीएमसी द्वारा तोड़ने की नाकाम कोशिश के बाद कोर्ट का आदेस नहीं मानने की वजह से कोर्ट ने बीएमसी को आड़े हाथों लेते हुए आदेश जारी किया कि पिछले आदेश का पालन अगर बीएमसी नहीं करेगी तो बीएमसी अधिकारियों को जेल जाना पड़ सकता है।जिसके बाद बीएमसी ने संबंधित जगह पर बिजली,पानी जिसका उन्होंने कनेक्शन काट दिया था उसे दुरुस्त कर दिया।
दरअसल 8 अगस्त 2016 को मुबंई हाईकोर्ट ने बीएमसी को संबंधित जगह को जैसे को तैसा रखने का आदेश दिया था लेकिन बीएमसी ने कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए संबंधित जगह की बुनियादी ज़रूरत जिसमें बिजली,पानी,और ड्रेनेज को पूरी तरह से दादागिरी करते हुए तबाह कर दिया।शिकायतकर्ता महिला ब्रिजेट परेरा और उनके पति लंबे समय से बीएमसी द्वारा सताए जा रहे थे जिसको लेकर उन्होंने मुबंई हाईकोर्ट में दस्तक दी।
पीड़ित ब्रिजेट के पिता नोरोना परेरा को बीएमसी ने 1949 में तकरीबन 6000 स्क्वैर फिट का यह प्लाट दिया था और बीएमसी ने कहा था कि अपने खर्च पर वह इस में अपना घर बना लें।जिसके बाद उन्होंने बीएमसी की शर्तों का पालन करते हुए वहां पर अपना घर बना लिया।मामले मे नया ट्वीस्ट तब आया जब बीएमसी ने साल 2006 में शेट नाम के बिल्डर के साथ मिलीभगत कर परेरा को खदेड़ने की साजिश रची जिसके बाद परेरा ने वह सारे दस्तावेज़ बीएमसी मे जमा किए लेकिन बीएमसी ने मनमानी करते हुए उनके घर की बिजली,पानी का कनेक्शन काटते हुए ड्रेनेज को पूरी तरह से तबाह कर दिया।
मामले को लेकर उन्होंने मुबंई हाईकोर्ट में दस्तक दी।परेरा के वकील भावेश परमार ने कहा कि कोर्ट ने जब बीएमसी को आड़े हाथ लिया तो उसके बाद बीएमसी ने बिजली,पानी का बंदोबस्त तो किया लेकिन ड्रेनेज अभी भी वैसे का वैसा ही है हम अगली सुनवाई में कोर्ट को यह बात बताने वाले हैं कि उनके आदेश के बाद भी बीएमसी और संबंधित बिल्डर पूरी तरह से ढिटाई पर अड़े हुए हैं सोचने वाली बात तो यह है कि प्लाट के अंदर ही एक मंदिर है जिसको लेकर बीएमसी मंदिर के बदले मंदिर देने को तय्यार है और इस परिवार को जो 1949 से यहां है उसे 225 स्कैवैरफिट में ठोसने का लालीपाप दे रहे हैं।
Post View : 17