शाहिद अंसारी
मुंबई: मुंबई में SBUT के प्रोजेक्ट के अंदर शरफ़ अली मामूजी चाल को लेकर मुंबई हाईकोर्ट ने खाली करने के लिए 15 दिनों की मोहलत दी है जबकि शरफ़ अली मामूजी चाल में मौजूद 75 वर्षी सुगरा बेगम ( साजिद रजा खान और अशरफ़ शेख पॉवर ऑफ एटॉर्नी होल्डर ) ने कहा कि इसके लिए सुप्रीम कोर्ट जाऐंगे और लड़ाई जारी रखेंगे।वक्फ़ की प्रॉपर्टी को लेकर बड़े पैमाने पर महाराष्ट्र भर में गोल माल चल रहा है इनमें बिल्डर और खुद वक्फ़ के रखवाले बहती गंगा मे हाथ धो रहे हैं।ऐसा ही गोल माल करने का मामला मुबंई के भेंडी बाज़ार स्थित सैफी बुरहानी एपलिफ्टमेंट ट्रस्ट ( SBUT ) के ज़रिए सामने आया है करोड़ों अरबों रूपए के इस ट्रस्ट के ज़रिए पूरे इलाके को डेव्लप करने का जो सपना इस ट्रस्ट ने देखा है उसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार सामने आया है।यहां छल बल धन हर एक का उपयोग कर SBUT के अंतर्गत प्रोजेक्ट को तय्यार किया जा रहा है।
मामला है इसी SBUT के प्रोजेक्ट के अंदर शरफ़ अली मामूजी चाल का जहां पर तकरीबन 300 साल पुरानी कबरें मौजूद हैं और उसी चाल में 75 वर्षी सुगरा बेगम का परिवार आज भी रह रहा है।सुगरा बेगम को इस बात की जानकारी नहीं थी कि उन्हें सैफी बुरहानी एपलिफ्टमेंट ट्रस्ट के ज़रिए क्या गुल खिलाने वाले हैं इसका अंदाज़ा उन्हें तब हुआ जब ट्रस्ट के कुछ लोग 3 सितंबर 2016 को उनके घर आए जिनमें एडोकेट मुतवल्ली जीएम और एस.एम.एन नक्वी नाम के किसी वकील के ज़रिए उनके घर में घुस कर जबरन उनके अंगूठे की दस्तेखत ली गई।इस बात को देख उन्होंने स्थानी पुलिस थाने जेजे मार्ग मे शिकायत की लेकिन पुलिस ने किसी तरह का कोई ध्यान नहीं दिया।
इधर ट्रस्ट वालों ने इस अंगूठे की दस्तेखत के सहारे महाडा में यह आवेदन दिया कि उन्होंने सुगरा बेगम की इस जगह को अपने नियंत्रण में ले लिया है।लेकिन मामला में नया ट्वीस्ट तब आया कि ट्रस्ट की ओर से जिस वकील ने नोटरी की थी उसकी नोटरी की वैधता 8 अगस्त 2010 से ही कैंसल कर दी गई थी।और इस धोखाधड़ी को लेकर उन्होंने स्थानी पुलिस थाने जेजे मार्ग में दस्तक दी लेकिन कार्रवाई न होने की वजह से उन्होंने शिवड़ी कोर्ट में दस्तक दी है।
दर असल 6 सितबंर 1950 को इस जगह के मालिक मुहम्मद बेग मुहम्मद ने शरफ अली मामूजी चाल को बाकायदा रजिस्टर कर वक्फ़ कर दिया था जिसका सीरियल नंबर है 4215 है।लेकिन SBUT ने 5 नवंबर 2009 को डीड ऑफ़ कनवेंस बनाते हुए वक्फ़ की हुई इस जगह को हथिया लिया जबकि इस मामले में वक्फ़ की प्रापर्टी को हथियाने में वक्फ़ की ओर से किसी भी तरह की कोई अनुमति ली और न ही उन्हें इस जगह से संबंधित किसी तरह की जानकारी वक्फ़ बोर्ड में दी।इसी डीड ऑफ़ कनवेंस में यह साफ़ साफ़ लिखा हुआ है कि इस चाल में मौजूद जो चार कबरें हैं वह एरिया तकरीबन 14/25 फुट की जगह को लेकर किसी भी तरह का मालिकाना हक SBUT को नही दिया गया।बावजूद इसके SBUT अपने असर-व-रुसूख और पावर के दम पर 75 वर्षी सुगरा बेगम को वहां से निकाल बाहर करने की फिराक़ में लगे हुए हैं और कबरों पर कब्जा जमाने की कोशिश कर रहे हैं।सुनवाई के दौरान SBUT के लोगों को जैसे ही शरफ़ अली मामूजी चाल के बारे में पता चला कि यह जगह वक्फ़ की उसके बाद से SBUT के लोग मुंबई ओल्ड कस्टम हाउस के चक्कर काटने शुरू कर दिए।
SBUT के अंतर्गत कुल 257 बिल्डिंगे हैं जिनको खाली करने के लिए इन्होंने क्या क्या हथकंडे अपनाए यह जग ज़ाहिर है विशेष रूप से SBUT के इस प्रोजेक्ट को अंजाम तक पहुंचाने के लिए सब से पहले इस इलाके में मौजूद बोहरा समुदाय के लोगों को अपनी अपनी जगहें छोड़ कर जाने के लिए कहा गया और SBUT के ज़रिए दी गई कीमत पर खाली न करने की सूरत में उन्हें बोहरा कम्युनिटी से बेदखल करने का हथकंडा अपनाया गया उसके बाद दूसरी कम्युनिटी के जो किराएदार और बिल्डिंगों के मालिक थे उन्हें खाली कराने के लिए अंडरवर्ल्ड और पुलिस दोनों का सहारे डरवा धमका कर खाली करवाया गया और इस अवैध कार्य में तत्कालीन सत्ताधारी पक्ष के मंत्री और खुद सत्ताधारी सरकार शामिल थी।यही वजह है कि इलाके के लोगों ने सदियों से मौजूद अपनी जायदाद को SBUT के ज़रिए दिए गए ऑफ़र के की वजह से स्वीकार करने में ही अपनी भलाई समझते हुए अपनी जगहें उनके हवाले कर दी।लेकिन अब मामला है ऐसी जगह का जहां कबरें मौजूद हैं और वह भी वक्फ़ की जगह पर जिसे खाली करने के लिए मुंबई हाईकोर्ट ने 15 दिनों का समय दिया है हमने SBUT ट्रस्ट के एक सदस्य याचिकाकर्ता शब्बीर मोरबीवाला से इस बारे में बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने किसी तरह का जवाब नहीं दिया।
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