शाहिद अंसारी
बिहार : 26 नवम्बर की काली रात को आतंकी हमलों के शिकार अफरोज के परिवार के 8 लोगों को आतंकियो ने मौत के घाट उतार दिया अफरोज उस हादसे से काफी सहम गया क्योंकि परिवार से वह मात्र अकेला बचा था इस हादसे के बाद से अफरोज ने मुंबई को अलविदा कह दिया और अपने गांव बिहार चला गया। अफरोज अपने माता पिता के साथ बिहार अपने गांव बिहार जा रहा था लेकिन उसे नहीं पता था कि ट्रेन का यह सफर शुरू होने से पहले ही जिंदगी का सफर खत्म हो जाएगा। अफरोज का परिवार गाडी के इंतजार में बैठा था तभी आतंकी वहां आगए और अंधाधुन गोली में अफरोज के घर के 8 लोगों को मार दिया। आतंक के इस खेल में अफ़रोज के माता पिता समेत उसके परिवार के 8 लोग मौत के मुहं में चले गए।
अफरोज का अरमान था कि वह बडा होकर इंजीनियर बने उस की इस आरजू को पूरी करने के लिए जे जे अस्पताल मे मदद केन्द्र ने कहा था कि यह जब तक पढना चाहता है हम इसकी सहायता करेंगें अफ़रोज को तब तक नहीं पता था कि उसके माता पिता इस दुनिया मे नहीं रहे वह आतंक की भेट चढ़ गए हैं। लेकिन जैसे ही अफरोज़ को पता चला अफरोज ने अपना इरादा बदल दिया और अब वह एक पुलिस आफीसर बन कर देश से आतंकवाद को खतम करना चाहता है ताकि फिर किसी के परिवार को आतंकी इस तरह से अपने नापाक मकसद की भेट न चढाऐं।
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