शाहिद अंसारी
मुंबई:एशिया के सब से बड़े स्टॉक एक्सचेंज में शेयर को लेकर अब तक का सब से बड़ा खुलासा BSE के मुताबिक उन्होंने IPO को लेकर जो नोटिस भेजी गई थी उसके जवाब में BSE ने कहा कि उन्हें SEBI की ओर से 2007 में ही इजाज़त मिल गई थी जिसके द्वारा उन्होंने 51% शेयर होलडिंग पब्लिक को बेच दी थी जिसका उल्लेख उन लोग ने ड्राफ्ट हेयरिगं प्रॉस्पेक्टस में पेज नंबर 161 पर उल्लेख किया है।पेज नंबर 161 पर जो जानकारी दी गई उसके बाद जब पूरे मामले की पड़ताल की गई तो चौंका देने वाले खुलासे हुए जो हम आपके सामने बयान करेंगे।
मामले में कानूनी लड़ाई लड़ने वाले एडोकेट भावेश परमार ने कहा कि ड्राफ्ट हेयरिगं प्रॉस्पेक्टस में पेज नंबर 81,82 और 83 पर BSE ने बताया कि 9 मई 2007 को उन्होंने 772222 शेयर्स को 5200 रूपए के रेट से डाइशबोर्से नाम की जर्मन की और सिंगापुर एक्सचेंज नाम की सिंगापुर की कंपनी को बेचा गया।जबकि 22 फ़रवरी 2007 को और 5 दिसंबर 2007 को जब शेयर बेचे गए थे तो उसकी कीमत मात्र 1 रूपया थी।
पेज नंबर 81,82 और 83 पर BSE ने बताया कि 9 अप्रेल 2008 को उन्होंने 12222 शेयर्स को 5200 रूपए के रेट से डाइशबोर्से नाम की जर्मनी की और सिंगापुर एक्सचेंज नाम की सिंगापुर की कंपनी को बेचा गया।जबकि 9 अप्रेल 2008 को और 15 मई 2008 को जब शेयर बेचे गए थे तो उसकी कीमत 1 रूपया थी।
सिंगापुर एक्सचेंज ने इस ट्रांज्केशन के तहेत 2007.8 मिलियन दिए जबकि डाइशबोर्से ने इस ट्रांज्केशन के तहेत 2007.8 मिलियन दिए खास बात तो यह है कि कंपनी रेलवे कंपनी है।और जिन 10 कंपनियां
सोचने वाली बात यह है कि इस कंपनी के पास यह पैसे कहां से आए और किसने इसकी अनुमति दी है।सबसे खास बात तो यह है कि शेयर की खरीदारी को को लेकर SEBI की ओर से भारतियों के लिए स्वीधा मुहय्या कराई गई थी तो ऐसे में विदेशी कंपनियों के दखल यह साबित करती है कि इस मामले में बहुत बड़े स्तर का घपला है।क्योंकि सिंगापुर एक्सचेंज ने इस ट्रांज्केशन के तहेत 2007.8 मिलियन दिए।डाइशबोर्से ने इस ट्रांज्केशन के तहेत 2007.8 मिलियन दिए खास बात तो यह है कि IPO द्वारा जिन 10 कंपनियों के शेयर बेचने की बात कही गई है उनमें यह दोनों कंपनिया पहले नंबर पर हैं।इनके लिए BSE ने SEBI से इजाज़त की हुकारी भरी थी।
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