शाहिद अंसारी , स्पेशल रिपोर्ट मुंबई : मुंबई का मशहूर सैफी हास्पिटल सुरक्षित नहीं यह रिपोर्ट भाभा अटामिक रिसर्च सेंटर की यूनिट अटामिक एनर्जी रिगुलेट्री बोर्ड की है जिसकी कापी bombayleks के पास है | दर असल भारत के सभी हास्पिटल जहां जहां रेडियोलोजी उपकरणों का उपयोग मरीजों पर किया जाता हैं उनकी जांच भाभा अटामिक रिसर्च सेंटर की यूनिट अटामिक एनर्जी रिगुलेट्री बोर्ड द्वारा किया जाता हैं |जिनमे एक्सरे,सीटी स्कैन,एमआरआई जैसे उन सारे उपकरणों की जांच की जाती हैं इन उपकरणों के इस्तेमाल करने से पहले अटामिक एनर्जी रिगुलेट्री बोर्ड से लाएसेंस लेना जरूरी होता है और उसके बाद इसकी जांच भाभा के वैज्ञानिक खुद करते हैं और उसपर अपना रिमार्क देते हुए नोटिस जारी करते हैं और उसके साथ साथ कार्रवाई भी करते हैं | प्रमाणु ऊर्जा अधिनियम 2004 लागू किए जाने के बाद 2008 से इन सारे उपकरणों का जिस हास्पिटल में इस्तेमाल किया जाता हैं वहां की जांच भाभा के वैज्ञानिक कररहे | गलती पाए जाने नोटिस देकर चेतावनी भी देते हैं जरूरत पडने पर उस हास्पिटल या संस्था का लाएसेंस भी रद्द करदेते हैं | 2008 से साल 2013 तक अटामिक एनर्जी रिगुलेट्री बोर्ड द्वारा 1926 लाएसेंस जारी किए गए हैं उसके अलावा अटामिक एनर्जी रिगुलेट्री बोर्ड द्वारा भारत के कोने कोने मे चल रहे गैर लाएसेंसी हास्पिटल और संस्थाओं की गिनती प्रमाणू ऊर्जा अधिनियम 1962 के तहेत कररहे है |
मई 2012 को भाभा के वैज्ञानिक एस.ए हुसैन के जरिए सैफी हास्पिटल का सर्वे किया गया जिसमें सैफी हास्पिटल में कुल 8 रेडियोलोजी इंस्टुमेंट का इस्तेमाल धडल्ले से किया जारहा है | जब भाभा के वैज्ञानिकों ने इनका सर्वे किया तो बहुत सी खामियां पाई गई भाभा ने तुंरत रिमार्क देते हुए सैफी हास्पिटल को नोटिस जारी करदी इस नोटिस में कुल 7 खामियां बताई गई हैं | bombayleks के हाथ लगे दस्तावेजों में पता चला कि सैफी हास्पिटल में जिन रेडियोलोजी उपकरणों का इस्तेमाल धडल्ले से किया जारहा है वह प्रमाणू ऊर्जा अधिनियम 1962 की गाइड लाइंस के अनुसार नहीं है | मतलब गैर कानूनी तरीके से इसका इस्तेमाल मरीजों पर किया जारहा है जिसके बारे में मरीज को कुछ अता पता ही नहीं | वहीं इस मामले में भाभा कै पूर्व डाएरेक्टर और वैज्ञानिक डांक्टर पारथा सारथी ने कहां AERB के नियम मरीजों के हित के लिए बनाए गए हैं हास्पिटल अगर इसका पालन नहीं करते तो इसका खमियाजा मरीजों को ही भुगतना पडता है इसका असर काफी समय बाद मरीजों पर होगा जो कि कैंसर जैसी किसी बडी बीमारी का शिकार होंगे |
AERB ने सैफी हास्पिटल के रेडियोंलोजी डिपार्टमेंट की बडी खामियों को देख नोटिस जारी कर कार्रवाई की चेतावनी भी दी AERB ने जिन खामियों को उजागर किया है वह यह हैं |
हास्पिटल से Computed Tomography और Interventional Radiology की यूनिट को चलाने के लिए AERB से लाएसेंस प्राप्त करें |
सभी डाइग्नोस्टिक एक्सरे रेडियोंग्राफी उपकरणों के लिए रजिस्ट्रेशन AERB से कराऐं |सभी एक्सरे इंस्टालेशन रूम की ले आउट प्लान AERB से मंजूर करवाऐं |रेडियोंलोजी डिपार्टमेंट के अंदर रेडियोलोजिकल सेफ्टी आफीसर की नियुक्ति करें और उनको AERB से सर्टीफीइड कराऐं |OPG , Mammography,BMD इंस्टालेशन के बाहर खतरे का सूचक यानी लालबत्ती और चेतावनी बोर्ड लगाए जाऐं | सैफी हास्पिटल को निर्धारित प्रारूप में डायगोनोसिटिक रेडियोलोजी विभाग की रेडिएशन सेफ्टी स्टेटस रिपोर्ट रखनी होगी | सैफी हास्पिटल के रेडियोलोजी डिपार्टमेंट में दांत/OPG के गुणवत्ता की जांच करनी चाहिए और उनकी रिपोर्ट AERB को भेजें |
अपने इस चेतावनी पत्र में AERB के वैज्ञानिक एस ए हुसैन के मुताबिक जनहित में और मरीजों की भलाई के लिए ऊपर दी गई सारी जरूरतों को जल्द से जल्द लागू करने के लिए कहा गया और ना करने पर सख्त कार्रवाई के निर्देष दिए मरीजों को यहां इलाज कराने से पहले इन सब खामियों पर एक बार नजर जरूर डालनी चाहिए |
सीनीयर वकील एजाज नक्वी ने कहा कि AERB के कानून का पालन ना करने पर कोई भी शख्स स्थानी पुलिस थाने में हास्पिटल के डाएरेक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा सकता है इस तरह से कानून का उल्लघन करने वालों को 5 साल की सजा का प्रावधान है |
इस नोटिस के बारे में जब सैफी हास्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डाक्टर वीपी डेसा से बात की गई तो डेसा ने कहा कि यह नोटिस आपके हाथ कैसे लगी लेकिन AERB के कानून का पालन करने को लेकर जब डाक्टर डेसा से पूछा गया तो उन्होंने फोन काट दिया |
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One Comment
Hasmukhlal j jain
Good work done by the organisation but now what steps safee hospitals authorities
and our government will take.
There should be some guidelines in or oust side the hospitals so that any patient can understand what and where is wrong and right.