शाहिद अंसारी
मुंबई:सिंचाई घोटाले की जांच करने वाले रायगढ़ ऐंटी करप्शन ब्युरो के डीवाई एसपी सुनील कलगुटकर ऐंटी करकप्शन ब्युरो की जांच में दोषी पाया गया है लेकिन अब तक ऐंटी करप्शन ब्युरो अपने इस भ्रष्ट अधिकारी पर मेहरबानी करते हुए इस पर किसी तरह की कोई विभागी या क़ानूनी कार्रवाई करने मे कतरा रही है।
दर असल मामला नई मुंबई का है जब कलगुटकर ने एक सरकारी इंजीनियर को ट्रैप के नाम पर अपहरण कर लाखों रूपए के सरकारी पैसे की वसूली की गई और वसूली चेक के ज़रिए हुई।इस मामले में पीड़ित ने इसकी शिकायत ऐंटी करप्शन ब्युरो में की लेकिन दूसरों को 10 रूपए की रिश्वत लेने पर कार्रवाई करने वाला विभाग ऐंटी करप्शन ब्युरो ने अपने अधिकारी को देख कार्रवाई तो नहीं की बल्कि उसे वसूली और फ़र्ज़ी ट्रैप के लिए खुली छूट दे दी।नतीजा यह हुआ कि इसने भ्रष्टाचार की दुकानदारी को बढ़ावा मिल गया।थक हार कर पीड़ित ने इसकी शिकायत ह्युमन राइट्स कमीशन में की जिसके के बाद एसीबी को मजबूरन इसकी जांच कर इसकी रिपोर्ट ह्युमन राइट्स कमीशन को सौंपनी पड़ी।
एसीबी की जांच में चौंकाने वाले ख़ुलासे हुए हैं क्योंकि एसीबी ने कलगुटकर के खिलाफ़ मजबूरी में जो जांच की है उसमें कलगुटकर का भ्रष्टाचार में शामिल पाया गया और जांच में यह खुल कर सामने आगया।इस रिपोर्ट में कलगुटकर के ज़रिए लगाए गए ट्रैप और वसूली के मामले को पूरी तरह से फ़र्ज़ी और गैर कानूनी बताते हुए यह रिपोर्ट ह्युमन राइट्स कमीशन में भेज दी गई जिसके बाद इस पूरे मामले में जांच आगे बढ़ाई जा रही है।
इस बारे में एसीबी डीजी सतीश माथुर से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि हमने अपनी रिपोर्ट जहां भेजनी है वहां भेज दी है उसपर कार्रवाई करना एसीबी का काम नहीं है।
ताज्जुब इस बात का कि इसके विरुद्ध खुद एसीबी की रिपोर्ट है जिसमें स्पष्ट लिखा है कि इसके ज़रिए जो ट्रैप लगाए गए वह गैर कानूनी तरीके से लगाए गए और जो लाखों रूपए की चेक के ज़रिए सरकारी पैसों की वसूली हुई वह भी गैर कानूनी है।जांच मे यह भी पाया गया कि इस अधिकारी के पास किसी तरह का कोई सुबूत भी नहीं है जिस से इसके ज़रिए इंजीनियर पर लगाए गए फ़र्ज़ी ट्रैप को सही बताया जासके।बावजूद इसके इसे एसीबी हर तरीके से बचाने की कोशिश कर रही है ताकि इस भ्रष्टचार की आंड़ से जांच करने वाला यह भ्रष्ट अधिकारी एसीबी में रहकर ही अपनी दुकानदारी चलाते रहे।एसीबी की तरफ़ से इसको जिस तरह की ढील दी गई है उससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि कलगुटकर के साथ साथ और भी कई वरिष्ठ अधिकारी इस फ़र्ज़ी ट्रैप और वसूली में शामिल हो सकते हैं या एसीबी के वरिष्ठ अधिकारियों की इसे शह मिल रही है जिसकी वजह से इसके ज़रिए वसूली और भ्रष्टाचार की दुकानदारी फलफूल रही है।
कलगुटकर के भ्रष्टाचार में शामिल होने के सुबूत भी एसीबी को मिले लेकिन आजतक इसके खिलाफ़ कार्रवाई करने में एसीबी लाचार और बेबस नज़र आ रही है।और इस समय यह सिंचाई घोटाले की जांच कर रहा हैं लेकिन सोचने वाली बात यह है कि जो अधिकारी खुद भ्रष्टाचार में शामिल हो और एसीबी अपनी रिपोर्ट में यह कहती है कि इसके ज़रिए जो ट्रैप और वसूली दोनों गैर कानूनी है और यह ऐंटी करप्शन ब्युरो के किसी भी क़ानून से सही नहीं है।बावजूद इसके इस अधिकारी से घोटोलों की जांच कराने का मतलब है कि शेर से बकरी की रखवाली करवाई जा रही है।अब ऐसे में जब एसीबी डीजी खुद इसके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में लाचारी ज़हिर कर रहे हैं तो सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसे भ्रष्टाचारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई कौन करेगा।
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