शाहिद अंसारी
मुबंई:325 करोड़ के सड़क घोटाले में मुंबई पुलिस ने जिन 10 लोगों को गिरफ्तार किया है वह दरअसल छोटी मछलियां हैं जिनको गिरफ्तार करने के बाद उम्मीद जताई जारही है कि मुंबई पुलिस मामले में शामिल बड़े घोटाले बाज़ों को बचाने में कामयाब हो जाएगी।यह सड़कों के निर्माण और मरम्मत को प्रमाणित करने के लिए नियुक्त किए गए प्राइवेट एजेंसी के मात्र कर्मचारी हैं।बीएमसी ने FIR दर्ज करने के समय ही अपनी शिकायत में इन दो कंपनियों के मालिकों और पार्टनरों और संचालकों के खिलाफ़ कार्रवाई की मांग की थी।
डीसीपी अशोक दुधे ने बताया कि ये लोग ठेकेदार नहीं हैं बल्कि ठेकेदारों के हर रोज़ का सर्टिफेकेशन देते हैं इसीलिए इन्हें आरोपी माना गया है।27 अप्रेल को सड़क विभाग के पूर्व प्रमुख मनोहर पवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए मांग की थी कि यह देखा जाए कि बीएमसी की सड़कों की जो मरम्मत हुई है उसमें कहां अनियमितता हुई है।दुधे ने कहा बीएमसी की शिकायत के आधार पर और अंदरुनी रिपोर्ट के आधार पर जिसे एएमसी संजय देशमुख ने बनाई थी उसपर कार्रवाई की गई है।लेकिन मुंबई पुलिस के ज़रिए मात्र उन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया है जो मामूली कर्मचारी थे जबकि शिकायतकर्ता ने जिन कंपनियों के मालिक या जिन लोगों ने इस काम को अंजाम दिया है उनके खिलाफ़ कार्वाई की मांग की थी।जो कंपनियां इस रोड घोटाले में शामिल हैं उनके नाम मे.रेलकान-आर के मधानी जेव्ही,में. आर.के.मधानी,मे.रेलकान इन्फ्रा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड,मे. महावीर रोड इन्फ्रास्ट्रक्टर प्राइवेट लिमिटेड,मे. जे कुमार-के आर कंस्ट्रक्शन (जे.व्ही),मे. आर पी एस-के.आर.कंस्ट्रक्शन (जे.व्ही) हैं।जबकि बीएमसी ने इन दो ऑडिटिंग कंपनियों को इंडियन रजिस्टर ऑफ़ शिपिंग (इंडस्टीयल सर्विस),एस.जी.एस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (टीपीक्युए) को नियुक्त किया था।इसके साथ साथ रिपोर्ट में बीएमसी अधिकारियों पर भी कार्रवाई की मांग की गई है जिनसे अब तक पुलिस ने पूछताछ तक नहीं की है।इस से साफ़ ज़ाहिर होता है कि पुलिस उंगली कटाकर शहीदों में नाम लिखवाने की कोशिश कर रही है।ज़ाहिर सी बात है कि इस तरह की छुटपुटिया कार्रवाई से मुंबई पुलिस के खिलाफ़ भी विरोध से स्वर गूंजेंगे।क्योंकि सत्यम घोटाले में सब से पहले कंपनी के मालिकों पर कार्रवाई हुई थी उसके बाद ऑडीटरों के खिलाफ़ कार्रवाई हुई थी।तो भला यहां 325 करोड़ के मामले में पहले ऑडीटरों को ही क्यों गिरफ्तार किया गया।हालांकि इतना बड़ा मामला था जो कि EOW के अतंर्गत आना चाहिए लेकिन पुलिस ने खुद ही जांच कर बड़े घोटाले बाज़ों को बचाने की कोशिश कर रही है।हाल ही में किसी भी मामले की जांच करने के लिए EOW भेजने के लिए मुबंई पुलिस ने घोटाले की राशि 50 लाख से बढ़ाकर 3 करोड़ कर दी है और यह मामला अब तक 10 करोड़ रूपए तक का बताया जा रहा है।बीएमसी की रिपोर्ट में यह ज़ाहिर हो गया था कि सड़क के ठेकेदारों ने जो 10 करोड़ से ज़्यादा के झूटे बिल और दस्तावेज़ देकर बीएमसी से पैसे ले चुके थे उसमें काम 0 से 30 % तक ही काम हुआ था और इन में से कुल 34 सड़कें थीं।इस बारे में अशोक दुधे ने कहा कि वह अभी सोच विचार कर रहे हैं कि मामले को EOW को दिया जाए या नहीं।
उदाहरण तौर पर एक ठेकेदार ने पवनेल इलाके में एक साइट पर सारे मटेरियल डाल कर उसके पैसे लिए थे लेकिन जब उसकी जांच हुई तो पता चला कि वह एक मैदान है जिस पर ठेकेदार ने बड़ी सफाई से कह दिया कि वह दर असल एक तालाब था जिसे हम ने मटेरियल डालकर उसका स्तर बाराबर कर उसे मैदान बना दिया।लेकिन बीएमसी की जांच में गूगल मैप का सहारा लोकर 2010 से 2016 तक के फोटो से जांच किया तो पता चला कि वहां कोई तालाब ही नहीं था बल्कि वह खुद पहले से ही मैदान था।
मुंबई पुलिस ने इन दो कंपनियों के बोगस रिपोर्ट के आधार पर इन लोगों को गिरफ्तार किया लेकिन जिन लोगों ने बोगस काम को अंजाम दिया वह अभी भी पुलिस की पहुंच से बाहर हैं।अब मुबंई पुलिस इनको लेकर जांच का लॉली पॉप दे रही है जबकि यह सब भ्रष्टाचार में शामिल हैं यह तो आइने की तरह साफ है।बावजूद इसके पुलिस ने अब तक इन लोगों के खिलाफ़ कार्रवाई नहीं की।
यह पहला अवसर है जब बीएमसी सड़कों की मरम्मत को लेकर इतनी धरपकड़ हुई है।अभी तक इस तरह की अनियमितताओं, धोखाधड़ी और छल-कपट के लिए ठेकेदारों को केवल काली सूची में डाला जाता रहा है या उन पर जुर्माना लगाया जाता रहा है।इस अनियमितता के लिए बीएमसी ने अपने दो वरिष्ठ अधिकारियों चीफ इंजिनियर (रोड) अशोक पवार और चीफ इंजिनियर(सतर्कता) यू मुरुडकर को भी निलंबित कर दिया है इन दोनों को भी इस सड़क घोटाले में आरोपी माना गया है।गौरतलब है कि सितंबर 2015 में मेयर स्नेहल अंबेकर ने बीएमसी कमिश्नर को एक पत्र लिखकर कहा था कि सड़कों की मरम्मत में बहुत अनियमितताएं हुई हैं। इस पर बीएमसी ने एक जांच बिठाई थी।जांच के बाद प्रारंभिक रिपोर्ट में जांच दल ने सड़कों के 34 नमूने जनवरी और फरवरी में एकत्र किए थे।इनमें से अधिकांश नमूनों में मालूम हुआ कि सड़क मरम्मत का काम ठीक नहीं हुआ है।सभी नमूनों में इस अनियमितता की मात्रा 38 से 100 प्रतिशत मिली।औसतन 53 प्रतिशत काम बेकार क्वालिटी का मिला। बीएमसी कमिश्नर अजय मेहता ने कहा कि जिन 34 सड़कों की मरम्मत का काम हाथ में लिया गया था उनमें गंभीर अनियमितताएं पाई गई थीं।मेहता ने ही इन दो बीएमसी अधिकारियों के निलंबन का आदेश दिया है क्योंकि जांच दल ने जो प्रारंभिक रिपोर्ट पेश की थी उसमें ही इन अधिकारियों के कार्य-कलापों पर नकारात्मक टिप्पणी की गई थी।इन्हें किया गया गिरफ्तार पुलिस ने आईपीसी की धारा 420, 197 और 120(बी) के तहत संतोष कदम (46), अशफाक सैय्यद (26), मिलिंद कुमावत(26), राकेश मेरवाड(34), पवन कुमार शुक्ल(26), प्रेमचंद धनवड़े(27), मंगेश तरलेकर(33), धीरज फुलझेले(40), राहुल शिंदे(29) और धैर्यशील पाटील (33) को गिरफ्तार किया है।
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