मुबंई : वेस्ट्रेन रेलवे के एक ड्राइवर की एक महीने की सैलरी 246202 रूपए है आपको सुन कर हैरानी होगी लेकिन यह सच है आरटीआई से मिली जानकारी मे इस बात खुलासा हुआ है ।आरटीआई कार्यकर्ता अनीस खान ने साल 2012 में तत्कालीन वेस्ट्रेन रेलवे जीएम महेश कुमार के ड्राइवर चपरासी और उनके बंगले पर काम करने वालों की सैलरी को लेकर आरटीआई आवेदन किया था । लेकिन खान को यह जानकारी देने मे वेस्ट्रेन रेलवे ने 3 साल का लंबा समय लगा दिया । 3 साल में जीएम के ड्राइवर की जो सैलरी स्लिप रेलवे नें प्रदान की उसको देख कर आपके भी होश उड जाऐंगे क्योंकि ड्राइवर ए.एस.गुसैन की सितंबर 2014 में जो सैलरी रेलवे ने दी वह हजारों में नहीं बल्कि लाखों में है । वहीं साल 2014 मे नवंबर के महीने में 101227 रूपए तक इनकी सैलरी पहुंच गई । सैलरी स्लिप में इतना ज्यादा पैसा देखने के बाद पता चला कि यह पैसा ओवर टाइम के लिए दिया गया है जबकि इसकी बेसिक सैलरी 20000 रूपए के आसपास है ।
महेश कुमार वही हैं जो साल 2012 में जीएम वेस्ट्रेन रेलवे थे और बाद में रेल्वे बोर्ड के मेंबर बने और रेल मंत्रालय ने मेंबर महेश कुमार को निलंबित कर दिया था । सीबीआई ने महेश कुमार को रेल मंत्री के भांजे विजय सिंगला को रिश्वत देने के आरोप में गिरफ़्तार किया था । इससे पहले विजय सिंगला को भी सीबीआई ने गिरफ़्तार कर लिया था । महेश कुमार ने ये रिश्वत रेलवे बोर्ड में ऊंचा ओहदा पाने के लिए दी थी।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मास्टर क्राफ्टमैन (ड्राइवर) ए.एस.गुसैन तत्कालीन जीएम वेस्ट्रेन रेलवे महेश कुमार के पास बतौर ड्राइवर काम किया करता था। ऐसे मे सवाल यह उठता है कि आखिर वेस्ट्रेन रेल्वे मे काम करने वाला एक ड्राइवर लाखों रूपए बतौर सैलरी कैसे पा सकता है जिसकी बेसिक सैलरी सिर्फ 20000 रूपए ही हो ।
रेलवे यात्री संघ मुंबई के अध्यक्ष सुभाष गुप्ता ने कहा कि एक तरफ रेलवे हमेशा घाटे की बात करती है और दूसरी तरफ अपने कर्मचारियों को दोनों हाथों से पैसा लुटाती है इसमें कहीं ना कहीं वरिष्ठ अधिकारियों की मिली भगत है जिसमें ओवरटाइम के नाम पर भारी रकम ड्राइवर को दी गई है इसकी जांच होना चाहिए। ताकि वह चेहरे बेनकाब होसकें जिनकी मिलीभगत से ड्राइवर को सैलरी के नाम पर बडी रकम दीजाती है।
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