मुबंई:भाभा ऑटामिक रिसर्च सेंटर की यूनिट ऑटामिक एनर्जी रिगुलेट्री बोर्ड द्वारा जो जांच की गई उनमे नगपुर मे मौजूद हॉस्पिटल ऑटामिक एनर्जी रिगुलेट्री बोर्ड द्वारा बनाए गए कानूनों को ताक पर रख बडे ही ढिटाई से मरीज़ों की ज़िंदगी से खिलवाड़ करते हैं।Bombay Leaks के हाथ लगे दस्तावेजों में उन सारे अस्पतालों को ऑटामिक एनर्जी रिगुलेट्री बोर्ड ने नोटिस भेज उनकी खामियों को बयान किया गया है।2008 से ऑटामिक एनर्जी रिगुलेट्री बोर्ड के ज़रिए देश के कोने कोने में एक्सरे और सीटी स्कैंन जैसे ऐसे उपकरण जो ऑटामिक एनर्जी रिगुलेट्री बोर्ड की गाइड लाइंस में फिट हैं या नहीं।इसकी जांच की गई तो चौंका देने वाले खुलासे हुए ताज्जुब इस बात का इस सर्वे में महाराष्ट्र के बडे शहरों में मोजूद हॉस्पिटल के रेडियोंलॉजी विभाग का जो सर्वे ऑटामिक एनर्जी रिगुलेट्री बोर्ड द्वारा किया गया उनमें कानून का उल्लघन करने में मुंबई नागपुर पूणे जैसे बड़े शहर के बड़े हॉस्पिटल शामिल हैं।मुबंई में जेजे,नाएर, जैसे बडे हॉस्पिटल समेत प्राइवेट हॉस्पिटल की भी संख्या बहुत है।जो धड़ल्ले से अटॉमिक एनर्जी रिगुलेट्री बोर्ड द्वारा बनाए गए नियमों का उल्लघन करते हैं।
साइन हॉस्पिटल पर हुई कार्रवाई
साल 2015 मे मुंबई के साइन हॉस्पिटल (लोकमान्य तिलक म्युन्सिपल मेडिकल कॉलेज एणड हॉस्पटिल ) में भी AERB के ज़रिए रेडियोलोजी डिपार्टमेंट पर भी कार्रवाई हो चुकी है। AERB के सूचना अधिकारी डॉ पंकज टंडन के ज़रिए मिली जानकारी में इस बात का खुलासा हुआ है कि साइन हॉस्पिटल समेत और भी कई प्राइवेट अस्पताल के खिलाफ़ AERB ने कार्रवाई की है।लेकिन सोचने वाली बात तो यह है कि प्राइवेट हॉस्पिटल के साथ साथ सरकारी हॉस्पिटल भी AERB के ज़रिए बनाए गए नियमों का पालन ना करते हुए मरीज़ों की ज़िंदगी से खिलावाड़ करने से बाज़ नहीं आते।जबकि AERB ने कड़े शब्दों में आदेश जारी किया है कि जो भी संस्थाऐं चाहे वह सरकारी हों या प्राइवेट अगर उन्होंने AERB का नियमों का पालन नही किया तो उनपर कार्रवाई करते हुए उनके लाएसेंस भी रद्द कर किए जासकते है।
बावजूद इन सारे नियमों को ताक पर रखकर सरकारी संस्थाऐँ सरे आम कानून का मज़ाक उड़ाते हुए मरीज़ों की जिंदगी से खिलवाड़ करती हैं इनकी अगर जांच हुई तो मुबंई नागपुर पूणे जैसे बड़े शहरो में ना जाने ऐसे कितने सरकारी और गैर सरकारी संस्थाऐँ मिलेंगी जो AERB के कानूनों को ठेंगा दिखात कर मरीज़ों की सेहत और उनकी जिंदगी से खिलवाड़ करती हैं।
नागपुर के हास्पिटल की लिस्ट
AERB की छानबीन में साल 2012 में इंद्रा गांधी मेडिकल कॉलेज,गौरमेंट मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल नागपुर, वी.आर.जे हेल्थकैर प्राइवेट लिमेटेड नागपुर,2013 की सर्वे रिपोर्ट कैर हास्पिटल नागपुर,लता मेंगेश्कर हास्पिटल नागपुर,वॉकहार्डट हास्पिटल नागपुर,महात्मा डाइग्नोस्टिक सेंटर नागपुर,ग्लैक्सी विदर्भ डाइग्नॉस्टिक नागपुर,अशविन इमैजिन सेंटर नागपुर,सीपीएच सेंटर प्वाइंट हॉस्पिटल ऐंड रिसर्च इंस्ट्यूट नागपुर,ऑरेंज सिटी ऐँड रिसर्च हॉस्पटिल नागपुर इसके अलावा भंडारा सांगली समेत महाराष्ट्र के हर ज़िले में AERB द्वारा जांच की गई और इन सब कार्रवाई की गई है।
क्या कमियां थीं और क्या दिए गए निर्देश
AERB द्वारा जो जांच की गई उनमें अधिकतर हॉस्पिटल के पास AERB द्वारा जारी किए लाएसेंस ही नहीं थे जो कि अटॉमिक एनर्जी रिगुलेट्री बोर्ड द्वारा रेडियोलॉजी मशीनों के लिए दिया जाता है।इसके अलावा कई कमिया थीं जो निम्न हैं।
हॉस्पिटल से ComputedTomography और Interventional Radiology की यूनिट को चलाने के लिए AERB से लाएसेंस का ना होना।सभी डाइग्नोस्टिक एक्सरे रेडियोंग्राफी उपकरणों के लिए रजिस्ट्रेशन AERB ना होना।एक्सरे इंस्टालेशन रूम की ले आउट प्लान AERB से मंजूरी ना होना।रेडियोंलॉजी डिपार्टमेंट के अंदर रेडियोलॉजिकल सेफ्टी ऑफीसर की नियुक्ति ना होना और उनको AERB से सर्टीफीइड ना होना।OPG , Mammography,BMD इंस्टॉलेशन के बाहर खतरे का सूचक यानी लालबत्ती और चेतावनी बोर्ड ना होना।हॉस्पिटल को निर्धारित प्रारूप में डायगॉनोस्टिक रेडियोलॉजी विभाग की रेडिएशन सेफ्टी स्टेटस रिपोर्ट ना होना।हॉस्पिटल के रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट में दांत/OPG के गुणवत्ता की जांच करनी चाहिए और उनकी रिपोर्ट AERB को भेजने के निर्देश।
अपने इस चेतावनी पत्र में AERB के वैज्ञानिकों के मुताबिक जनहित में और मरीजों की भलाई के लिए ऊपर दी गई सारी जरूरतों को जल्द से जल्द लागू करने के लिए कहा और ना करने पर सख्त कार्रवाई के निर्देष दिए मरीजों को यहां इलाज कराने से पहले इन सब खामियों पर एक बार नजर जरूर डालनी चाहिए।
लेकिन हैरान करदेने वाली बात यह कि कमियां पाए जाने के बाद भी साइन हॉस्पिटल ने उसे दूर नहीं की यही वजह है कि AERB ने साइन हॉस्पिटल के खिलाफ़ कार्रवाई की।
क्या है ऑटामिक एनर्जी रिगुलेट्री बोर्ड का नियम
दर असल भारत के सभी हॉस्पिटल जहां जहां रेडियोलॉजी उपकरणों का उपयोग मरीजों पर किया जाता हैं उनकी जांच भाभा ऑटामिक रिसर्च सेंटर की यूनिट अटॉमिक एनर्जी रिगुलेट्री बोर्ड द्वारा किया जाता हैं ।जिनमें एक्सरे,सीटी स्कैन,एमआरआई जैसे उन सारे उपकरणों की जांच की जाती हैं इन उपकरणों के इस्तेमाल करने से पहले AERB से लाएसेंस लेना जरूरी होता है और उसके बाद इसकी जांच भाभा के वैज्ञानिक खुद करते हैं।और उसपर अपना रिमार्क देते हुए नोटिस जारी करते हैं उसके साथ साथ कार्रवाई भी करते हैं। प्रमाणु ऊर्जा अधिनियम 2004 लागू किए जाने के बाद2008 से इन सारे उपकरणों का जिस हॉस्पिटल में इस्तेमाल किया जाता हैं वहां की जांच भाभा के वैज्ञानिक कर रहे हैं।गलती पाए जाने नोटिस देकर चेतावनी भी देते हैं जरूरत पड़ने पर उस हॉस्पिटल या संस्था का लाएसेंस भी रद्द करदेते हैं।
2008 से साल 2013 तक AERB द्वारा 1926 लाएसेंस जारी किए गए हैं उसके अलावा AERB द्वारा भारत के कोने कोने मे चल रहे गैर लाएसेंसी हॉस्पिटल और संस्थाओं की गिनती प्रमाणू ऊर्जा अधिनियम1962 के तहेत कररहे है ।
नागपुर में मौजूद हास्पिटल प्रमाणू ऊर्जा अधिनियम 1962 की गाइड लाइंस पालन नहीं करते मतलब गैर कानूनी तरीके से इसका इस्तेमाल मरीजों पर किया जारहा है जिसके बारे में मरीज को कुछ अता पता ही नहीं ।वहीं इस मामले में भाभा कै पूर्व डाएरेक्टर और वैज्ञानिक डांक्टर पारथा सारथी ने कहा कि AERB के नियम मरीजों के हित के लिए बनाए गए हैं हॉस्पिटल अगर इसका पालन नहीं करते तो इसका खमियाजा मरीजों को ही भुगतना पडता है इसका असर काफी समय बाद मरीजों पर होगा जो कि कैंसर जैसी किसी बडी बीमारी का शिकार होसकते हैं।
क्या है कार्रवाई का प्रावधान
सीनियर वकील एजाज नक्वी ने कहा कि AERB के कानून का पालन ना करने पर कोई भी शख्स स्थानी पुलिस थाने में हास्पिटल के डाएरेक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा सकता है इस तरह से कानून का उल्लघन करने वालों को 5 साल की सजा का प्रावधान है |
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