शाहिद अंसारी
मुंबई:बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज बिल्डिंग के अवैध निर्माण को लेकर एडोकेट भावेश परमार ने मुंबई हाई कोर्ट में कोर्ट की अवमानना करने की शिकायत की है। दरअसल शिकायतकर्ता योगेश मेहता ने साल 2013 में मुंबई हाईकोर्ट में बीएमसी और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के खिलाफ़ बिल्डिंग के अवैध निर्माण के साथ साथ कई गैर कानूनी गतिविधियों को लेकर लेकर याचिका दाखिल की थी।जिसके बाद 9 जून 2016 को हाईकोर्ट ने बीएमसी को 4 महीनों का समय देते हुए कार्रवाई करने का आदेश जारी किया था।लेकिन 4 महीने बीत जाने के बाद भी बीएमसी और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के सर पर जूं तक नहीं रेंगी।मामले की गंभीरता को देखते हुए शिकायतकर्ता ने फिर से हाईकोर्ट में गुहार लगाते हुए कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाने को लेकर लेकर कोर्ट की अवमानना करने पर हाईकोर्ट में शिकायत की है।
पिछले कुछ दिनों में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने ड्राफ रेड हेयरिंग प्रॉस्पेक्टस जारी किया जहां पर वह खुद इस बात को कुबूल करते हैं कि जिस जगह पर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की भव्य इमारत का निर्माण किया गया है वह जगह न तो उनकी मिलकियत है और न तो उनके नाम पर है बल्कि उस जगह के मालिक कोई और हैं। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के मुताबिक उनके खिलाफ़ बीएमसी ने कुछ नोटिस जारी की थी जिसके बाद बिल्डिंग का कुछ हिस्सा उनको तोड़ना पड़ेगा उसके कारण बिल्डिंग का पूरा या तो कुछ हिस्सा उपयोग नहीं कर पाऐंगे।अवैध निर्माण का आलम यह है कि बिल्डिंग निर्माण को लेकर कई नियमों का पालन न करने की वजह से अब तक ओसी तक नहीं मिली।याचिकाकर्ता की शिकायत के बाद बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने अवैध निर्माण को रेगुलराइज़ करने के लिए बीएमसी में आवेदन किया जिसके बाद पता चला कि जिस जगह को लेकर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज रेगुलराइज़ करने की बात कर रहे हैं वह जगह पर मालिकाना हक उनका है ही नहीं।याचिकाकर्ता ने इस बात को देख पलटवार करते हुए बीएमसी को शिकायत की शिकायत में उन्होंने कहा कि जिस जगह पर उनका मालिकाना हक ही नहीं है उस जगह को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज खुद कैसे रेगुलराइज़ करने का आवेदन कर सकते हैं और बीएमसी कैसे सोच सकती है कि उसे रेगुलराइज़ किया जाए।
एशिया के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज BSE (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) को IPO (इनिशियल पब्लिक ऑफर) लाने की मंजूरी मिल गई है।शेयर बाजार रेगूलेटर SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने मंगलवार को इसकी मंजूरी दी।BSE की IPO के जरिए 1200 करोड़ रुपए जुटाने की योजना है। आपको बता दें कि BSE ने सितंबर 2016 के शुरू में SEBI के पास इस संबंध में ड्राफ्ट प्रस्ताव सौंपा था।
दर असल बीएमसी की ढिलाई की असल वजह यह मानी जाती है कि इस तरह से बीएमसी द्वारा नरम रवय्या अपनाने की वजह से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को जल्द ही IPO मिल जाए और करोड़ों रूपए के वारे नियारे कर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज उसका फाएदा उठा ले।यही वजह है कि कोर्ट के ज़रिेए कार्रवाई का आदेश देने के बाद भी बीएमसी ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के खिलाफ़ आज तक कार्रवाई नहीं की क्योंकि कार्रवाई अगर हुई तो इसका असर सीधे सीधे IPO पर पड़ेगा और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को नुकसान भी हो सकता है।
Post View : 3