
आईएएस अधिकारी डॉ. संजय मुखर्जी
मुंबई: कोई सरकारी अधिकारी अपने बंगले के लिए सरकारी ख़ज़ाने से करोड़ों रुपये खिसका लेगा इस बात पर पर हैरानी ज़रूर होगी लेकिन सच्चाई यही है।बीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मुंबई के पॉश इलाके मालाबार हिल्स में अपने सरकारी बंगले के नवीकरण और मरम्मत पर एक करोड़ रूपये से ज्यादा खर्च कर दिए।और यह पैसे सरकारी तिजोरी से लिए गए।एक आरटीआई के जवाब में यह जानकारी मिली।बीएमसी के जलापूर्ति विभाग द्वारा आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दिए गए जवाब के मुताबिक बीएमसी में अतिरिक्त निगम आयुक्त के पद पर तैनात आईएएस अधिकारी डॉ. संजय मुखर्जी ने जनवरी 2015 के बाद से बंगले पर 1.0044 करोड़ रूपये खर्च किये।खर्चे में रख-रखाव शुल्क, मरम्मत पर खर्चा और बिजली शुल्क आदि शामिल है। गलगली ने दावा किया कि मुखर्जी ने इस सूचना को छिपाने की कोशिश की। गलगली ने कहा, आरंभ में आईएएस अधिकारी ने मांगी गयी सूचना नहीं देने के लिए विभाग को मौखिक निर्देश दिया। लेकिन आरटीआई कानून में ऐसा प्रावधान नहीं है कि जन सूचना अधिकारी मौखिक आदेश पर सूचना को छिपाए इसलिए विभाग के पीआईओ ने मुखर्जी को आवंटित बंगले का विवरण दिया। जवाब में बताया गया, बंगला 2682 वर्गफुट इलाके में बना है और मुखर्जी को आवास के रूप में आवंटित किए जाने से पहले यह एक गैस्ट हाउस था। उन्होंने कहा, मैंने निगम आयुक्त अजय मेहता को एक पत्र लिखा है और अधिकारी की शाही जिंदगी की जांच कराने की मांग की है।
मुख्यमंत्री से आर्शीवाद प्राप्त पल्लवी दराडे ने बंगला मरम्मत की जानकारी व्यक्तिगत होने का दावा कर उसे न देने के लिए जल अभियंता को पत्र लिखा है।आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने जल अभियंता कार्यालय से अतिरिक्त मनपा आयुक्त डॉ संजय मुखर्जी और पल्लवी दराडे के बंगले पर हुए विभिन्न खर्च की जानकारी मांगी थी। पहले तो दोनों अधिकारियों ने सूचना न देने का मौखिक आदेश तो दिया लेकिन जन सूचना अधिकारी के अधिकार की कक्षा में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं होने से जल विभाग ने डॉ मुखर्जी के बंगले की जानकारी देते हुए बताया कि मुखर्जी जिस निवासस्थान में रहते हैं वह गेस्ट हाऊस था और मनपा आयुक्त की अनुमति से उन्हें जनवरी 2015 में दिया गया है।कुल 2682 वर्ग फुट के इस बंगले पर जनवरी 2015 से अबतक 1 करोड़ 44 हजार 679 रुपए और 30 पैसा मरम्मत पर खर्च हुए हैं वहीं वर्ष 2015-16 के दौरान 92 हजार 234 रुपए बिजली खर्च किया गया हैं।डॉ मुखर्जी के आने से पहले वर्ष 2011 से वर्ष 2014 इन 4 वर्ष के दौरान सिर्फ 89 हजार 705 रुपए खर्च हुए थे।ताज्जुब की बात यह हैं कि बंगले को पानी का बिल नहीं है।पती-पत्नी की पोल खुलेगी इस डर से पल्लवी दराडे जिन्हें मुख्यमंत्री ने प्रमोट करते हुए मुंबईवासियों की भलाई के लिए मनपा भेजा था उन्होंने दिनांक 10 जून 2016 को पत्र लिखकर अनिल गलगली को उनके बंगले पर हुए खर्च की कोई भी जानकारी देने पर आपत्ति जताई।विकास खारगे के तबादले के बाद दराडे के पती प्रवीण दराडे जो मुख्यमंत्री कार्यालय में सचिव हैं उन्हें दिनांक 2 जनवरी 2015 को 4830 वर्ग फूट का बंगला दिया गया। दराडे ने बंगला लेने के पहले गत 4 वर्ष में सिर्फ 2 लाख 20 हजार 544 रुपए और 93 पैसे खर्च किए गए हैं।इस बंगले को भी पानी का चार्ज नहीं लिया जाता और जनवरी 2015 से बिजली का बिल मनपा ने अदा करना बंद कर दिया है।पल्लवी दराडे ने दावा किया हैं कि यह जानकारी व्यक्तिगत व्यक्ति से जुड़ी हुई है और इसलिए उनकी जानकारी नहीं दी जाए। जिसके खिलाफ अनिल गलगली ने उप जल अभियंता के पास अपील दायर की है।
अनिल गलगली ने इसतरह निवासस्थान पर होनेवाले करोड़ों रुपए के खर्च पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए मनपा आयुक्त से मांग की हैं कि जल अभियंत का बंगला अतिरिक्त आयुक्त को देने की परंपरा को बंद करे और करोड़ों रुपए का खर्च जिस जलापूर्ति प्रोजेक्ट से किया गया हैं उसके जिम्मेदार अधिकारीयों पर कारवाई करे। मनपा का निवासस्थान खुद की निजी प्रॉपर्टी समझने वाले अधिकारीयों को वार्निंग देते हुए सभी खर्चे की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करने की मांग की है।जितका वेतन पिछले 18 महीने में डॉ मुखर्जी ने लिया हैं उसके 5 गुना यानी 1 करोड़ से ज्यादा रकम बंगले की मरम्मत पर उड़ाई है जो सबसे बड़ा दर्द होने का अफ़सोस गलगली ने जताया हैं।कई प्रयासों के बावजूद इस संबंध में मुखर्जी की प्रतिक्रिया मालूम नहीं हो पाई।
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