Bombay Leaks Desk
मुंबई : बाबा बंगाली के घपले को लेकर ख़बर लिखना यह संगीन अपराध की श्रेणी में आता है और ऐसी ख़बर लिखने वाले पत्रकार को गिरफ्तार करना बहुत ज़रूरी है। यह शब्द लिखित रूप से मुंबई पुलिस के नागपाड़ा पुलिस थाने में कार्यरत दबंग सीनियर पीआई संजय बसवत ने कहा है। दरअसल Bombay Leaks के हाथ लगे एक दस्तावेज़ जिसमें बसवत ने एक ऐसा पत्र मुंबई हाई कोर्ट में देने की तय्यारी बनाई थी जब बसवत ने अपने गुरु आज़ाद मैदान दंगों और हत्या के आरोपी तोड़ु-ए-नागपाड़ा भूमाफिया तथाकथित स्वघोषित धर्म धुरंधर श्री मुईन अशरफ़ उर्फ़ बाबा बंगाली को खुश करने के लिए पत्रकार शाहिद अंसारी के विरुद्ध झूटा मामला दर्ज कर के हिरासत में हत्या की प्लानिंग बनाई थी। जिसमें वह पूरी तरह से नाकाम साबित हुए।
इधर बसवत की इस प्लानिंग को नाकाम बनाते हुए शाहिद अंसारी ने बसवत समेत बाबा बंगाली के भक्त शिकायतकर्ता फहद शाहिद नियाज़ी के विरुद्ध मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए बसवत ऐंड कंपनी के खिलाफ़ जांच की मांग करते हुए बसवत के द्वारा दर्ज की गई झूटी एफआईआर को खारिज करने की गुहार लगाई। मामले की गंभीरत को देखते हुए मुंबई हाईकोर्ट ने बसवत के मिशन को मात देते हुए कहा कि अंसारी के विरुद्ध मामला ही नहीं दर्ज हो सकता जिसके बाद बसवत का प्लान फेल हो गया।
बसवत ने हाईकोर्ट में पत्रकार शाहिद अंसारी को गिरफ्तार करने के लिए शाहिद अंसारी को विलन और बंगाली बाबा को हीरो बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हाईकोर्ट में बसवत अपने द्वारा लिखे गए चाटुकरिता से भरे पत्र को कोर्ट में देते उससे पहले ही बसवत को मुंह की खानी पड़ी। इसलिए वह लेटर हाईकोर्ट में जमा न कर सके लेकिन Bombay Leaks के हाथ लग गया। इस पत्र मे बसवत खुद को किसी जज से कम नहीं समझ़ रहे।
बसवत ने हाईकोर्ट से गुहार लगाते हुए बंगाली की वकालत करते हुए बंगाली को बहुत बड़ा धर्मगुरु बना डाला और कहा कि अंसारी ने बंगाली बाबा को लेकर जो ख़बर लिखी उस से बंगाली की बदनामी हुई है। आरोपी पत्रकार को गिरफ्तार करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों तक उन्होंने पत्र लिख कर इजाज़त भी मांगी है। बसवत यहीं शांत नहीं हुए वह लगातार बंगाली बाबा की चाटुकारिता की सारी हदें पार करते हुए कोर्ट को लिखा कि बंगाली बाबा के सम्बंध में जो ख़बर लिखी गई है उसके दस्तावेज़ , अखबार यह सब ज़ब्त करना बाकी है। बसवत ने अपने पत्र में लिखा की अगर पत्रकार अंसारी को गिरफ्तार नही किया गया तो वह इस तरह के गंभीर गुनाह ( बंगाली के घपले ) की ख़बर लिख कर और भी संगीन जुर्म कर सकता है।
हालांकि नागपाड़ा पुलिस थाने जहां बसवत की दबंगई चलती है उनसे सवाल पूछा गया कि पत्रकार को कैसी ख़बर लिखनी चाहिए और बाबा बनने के लिए उनके पुलिस थाने से क्या किसी तरह के सर्टिफिकेट दिए जाते हैं। इस सवाल पर उनके पुलिस थाने ने जवाब देने के बजाे चुप्पी साध ली है।
मुंबई पुलिस के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि एक सीनियर पीआई वर्दी की नहीं बल्कि एक बाबा बंगाली की वफादारी कर रहा है और उसकी आड़ में आरोपी बाबा के समर्थन में एक पत्रकार के विरुद्ध अभियान छेड़ रखा है। उसने एक पाखंडी बाबा को हीरो और एक सच्चे पत्रकार को विलन के रूप में पेश करने में कोई कसर नही छोड़ी। यही नहीं उसने पत्रकार शाहिद अंसारी को गिरफ्तार करने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगाया लेकिन लाचार साबित हुआ क्योंकि एक सच्चे पत्रकार के खिलाफ़ एक भ्रष्ट वर्दीधारी पुलिसकर्मी वर्दी और पावर के नशे में झूटा मामला दर्ज कर सकता है लेकिन सच्चाई लिखने से नहीं रोक सकता।
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