शाहिद अंसारी
मुंबई: महानायक अमिताभ बच्चन के बंगले के बाहर घोसालकर गैंग सक्रीय है चोर गैंग के बारे में हम आपको बाद में बताऐंगे लेकिन उससे पहले यह चेतावनी आपके लिए कि अगर कभी गलती से भी आप अमिताभ बच्चन के बंगले के बाहर उनका का दीदार करने जाते हैं तो सब से पहले आप अपने मुबाइल फोन और पर्स पर ज़रूर ध्यान दें या इन दोनों वस्तुओं के बिना ही बच्चन के बंगले के बाहर से बच्चन का दीदार करने जाऐं।क्योंकि हो सकता है कि आप बच्चन के बंगले के पास मौजूद चोर गैंग का शिकार होजाऐं।
हर रविवार महानायक अमिताभ बच्चन को देखने के लिए जूहू स्तिथ उनके बंगले के पास हज़ारों की संख्यां में लोग पहुंचते हैं और यहां बड़ी भीड़ होती है इस भीड़ में पुलिस भी मौजूद होती है ताकि किसी तरह की कोई गड़बड़ी न हो क्योंकि मेन रोड की तरफ के मुख्य द्वार से बच्चन हर रविवार अपने दर्शकों के लिए कुछ पल के लिए बाहर आते हैं और उनके प्रशंसक उन्हें देख कर तालियां बजाते हैं।लेकिन इस दौरान पुलिस की मौजूदगी मे घोसालकर गैंग भी अपना काम तब कर जाती है जब लोग महानायक को देख कर मारे खुशी के अपने होश हवास खो बैठते हैं इस दौरान लोगों के हाथ अपनी जेब से ऊपर हवा में होते हैं और चोर गैंग के लुटेरों के हाथ लोगों की जेब में होते हैं और पल भर में वह उनकी जेब पर अपना हाथ साफ़ कर जाते हैं।
इधर बच्चन बंगले के अंदर गए बंगले का दरवाज़ा बंद हुआ इधर उनके प्रशंसक वापस जैसे ही अपने घर की तरह निकलने के लिए लौटते हैं तब तक पता चलता है है कि किसी के फोन किसी के पर्स पर चोर गैंग ने हाथ साफ़ कर दिया।
क्या होता है जूहू पुलिस थाने में
इस बात की शिकायत जब अमिताभ बच्चन के प्रशंसक स्थानी पुलिस थाने जूहू पहुंचते हैं उस दौरान पुलिस का रवय्या बहुत ही खतरनाक होता है पहली बात तो जूहू पुलिस थाने में इस मामले को लेकर FIR दर्ज करने जाते हैं तो FIR दूर की बात पुलिस उलटा पीड़ित को ही धमकाना शुरू कर देती है क्योंकि अधिकतर लोग यूपी बिहार से आते है और जो यहां मज़दूर तबका होता है वही बच्चन को देखने के लिए आता है ऐसे में पुलिस उसे इस कदर डरवा धमका देती है कि वह अपनी चोरी की शिकायत छोड़ पुलिस थाने से जान बचा कर भागने की कोशिश करता है और अगर शिकायतकर्ता ने बहुत ज़्यादा कोशिश की तो उसे मिसिंग रिपोर्ट की कापी पकड़ा कर चलता बनते हैं। FIR न दर्ज करने के पीछे की बड़ी वजह यह मानी जाती है कि FIR दर्ज करने के बाद उसे बहुत सी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है और उसके साथ साथ चोरी की यह वारदात रिकार्ड पर आजाएगी और इसको लेकर वरिष्ठ अधिकारियों के सामने जवाबदेह होना पड़ेगा और चोरी के बाद पूरे मामले की छानबीन कर उसमें कार्रवाई करनी पड़ेगी जबकि मिसिंग में इन सब से पुलिस वाले बच जाते हैं।
पुलिस वालो की मौजूदगी में होती है चोरी
बच्चन के बंगले के बाहर पुलिस वालों की मौजूदगी में चोरी होती है क्योंकि हर बार जब बच्चन अपने प्रशंसकों के बीच बंगले के दरवाज़े पर आते हैं तो उस दौरान वहां पर पुलिस का तगड़ा बंदोबस्त रहता है यह बंदोबस्त इसलिए रहता है कि प्रशंसक उनके बंगले में न दाखिल हों और किसी तरह की कोई घटना न घटे बावजूद इसके चोरी करने वाली चोर गैंग पुलिस की मौजूदगी में इस तरह की वारदात को बड़े ही शातिराना तरीके से अंजाम देती है।जानकारी में इस बात का पता चला है कि हर रविवार हज़ारों की संख्या में लोग आते हैं और हर बार कम से कम 10 लोग इस चोर गैंग का शिकार हो जाते हैं।
क्यों नही दर्ज किया जाता
दर असल जो गैंग बच्चन के बंगले के बाहर सक्रीय है इस गैंग का और सीनियर पीआई जूहू सुनील घोसालकर का साथ चोली दामन का है इसी लिए यहां हर उस मौके पर बड़े पैमाने पर चोरी की वारदात होती है जब जब बच्चन अपने प्रशंसकों के बीच आते हैं और यही वजह है कि सीनियर पीआई घोसालकर इस तरह हुई चोरी को लेकर मामला दर्ज करने से हाथ खड़े कर लेते हैं क्योंकि अगर चोरी का मामला दर्ज किया गया तो जांच होगी और जांच में चोर गैंग के बारे में पता चलेगा इसलिए उन्हें बचाने के लिए मामला दर्ज करने से इंकार किया जाता है और चोर गैंग के तार सीधे सीधे सीनियर पीआई घोसालकर से जुड़े हैं जो इस तरह की वारदात या जानकारी देने से सीधे सीधे इंकार किया जाता है और इसके लिए तथाकथित नियम और कानून का नाटक भी किया जाता है।
क्या कहते हैं वरिष्ठ अधिकारी
इस बारे में सीनियर पीआई सुनील घोसालकर से जब बात की गई उनसे जानकारी मांगी गई तो उन्होंने कहा कि मेरे पास यह जानकारी देने के लिए समय नहीं है और उनके पास इस तरह की चोरी मिसिंग मामले की जानकारी ही नहीं है इस तरह की जानकारी मिडिया को न देने का खुद प्रावधान मुंबई कमिश्नर ने बनाया है और यह जानकारी देने का अधिकार केवल ज़ोनल डीसपी के पास है मुझे उनसे परमीशन लेनी पड़ेगी लेकिन मैं परमीशन नहीं लूंगा।इस बारे में जब डीसीपी मनोज डहिया से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह जानकारी वह नहीं दे सकते इसकी जानकारी मुंबई पुलिस प्रवक्ता को देने का अधिकार है जब इस बारे में मुबंई पुलिस प्रवक्ता रशमी करंदीकर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह यह जानकारी नहीं दे सकते उसके लिए एक आवेदन देना होता है फिर उसके बाद उसपर फैसला किया जाएगा कि जानकारी दी जाए या नहीं।
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