मुंबई : अंडरवर्ल्ड डान अरूण गावली के भाई प्रदीप गावली का पास्पोर्ट बन चुका है साल 2010 में ही प्रदीप गावली ने पास्पोर्ट की अर्जी दी थी लेकिन पुलिस जांच में प्रदीप की रिपोर्ट के बाद पास्पोर्ट आवेदन कैंसल होजाता था क्योंकि प्रदीप खुद कई केसों में विलीन है जिसके बाद पुलिस वेरीफिकेशन में प्रदीप गावली का आवेदन खारिज करदिया जाता था | लेकिन अब उसी प्रदीप गावली का पास पास्पोर्ट बन चुका है मुंबई के अग्रीपाडा पुलिस थाने से उसका वेरीफिकेशन हुआ और बहुत ही गुप्त तरीके से पुलिस नें उसे क्लीन चिट देकर उसकी फाइल एसबी 2 को भेज दी जिसके बाद उसका पास्पोर्ट बन गया | अब यह सोचने वीली बात है कि आखिर अंडरवर्ल्ड डान अरूण गावली के भाई प्रदीप गावली का पास्पोर्ट बना कैसे लंबे समय से उसका पास्पोर्ट आवेदन रिजेक्ट करदिया जाता था आखिर क्यों रिजेक्ट करदिया जाता था एक साल तक उसका पास्पोर्ट आवेदन रिजेक्ट करने के बाद ठीक उसी दिन उसके क्लीनचिट कागजात पर साइन होती है जिस दिन सीनियर पीआई प्रवीन गोसावी छुट्टी पर होते हैं | उनकी जगह एडिश्नल चार्ज लेने वाले दूसरे पुलिस कर्मी ने उसके वेरीफिकेशन कागजात पर क्लीन चिट देते हुए साइन की है और उस समय पास्पोर्ट वेरीफिकेशन डिपार्टमेंट के इंचार्ज राजेंद्र मोहिते थे जो कि इस समय मुंबई के EOW में तैनात हैं पुलिस की मेहरबानी से उसे क्लीन चिट दे दी जाती हैं | कुछ ऐसे ही खुलासे जिसे सुनकर आप भी हैरान होजाऐंगें और यह सोचने पर मजबूर होजाऐंगें कि मुंबई पुलिस में मौजूद पुलिस की वर्दी पहेनकर काली भेडें काम कररही हैं जिनका अंडरवर्ल्ड का साथ चोली दामन का है |
प्रदीप गावली नें साल 2010 में पास्पोर्ट आवेदन दिया लेकिन उसकी रिपोर्ट जैस ही अग्रीपाडा से भेजी जाती उसके चरित्र और बैक ग्राउंड को देख उसका पास्पोर्ट आवेदन रिजेक्ट करदिया जाता था | साल 2011 में प्रदीप को कामयाबी मिली जब प्रदीप पुलिस वालों को सेट करने में कामयाब हुआ उसकी रिपोर्ट स्पेशल ब्रांच स्पेशल ब्रांच को इस तरह से भेजी गई जैसे वह एक सीधा और शरीफ नागरिक है और उसने पास्पोर्ट के लिए आवेदन किया है और पुलिस को उसके वेरीफिकेशन के लिए कोई दिक्कत नहीं इस बात का दूर दूर तक की जिक्र नहीं की वह अंडरवर्ल्ड डान अरूण गावली का भाई है वह भी की केसों में विलीन है |
मुबंई की अग्रीपाडा पुलिस थाने में मौजूद प्रदीप गावली की फाइल नंबर BOM-A020175-10 है अग्रीपाडा की रजिस्टर में आज भी यही लिखा है कि आवेदन की स्तिथि सिफारिश आहे लिखी हुई है |
दर असल प्रदीप की फाइल पर कोई पुलिस कर्मी दस्तेखत इसलिए नहीं कररहा था कि वह डरते थे कि अगर इसकी जांच होगई और यह पता चल गया कि किसनें प्रदीप का वेरीफिकेशन किया है और किसनें पासिटिव रिपोर्ट बनाई है तो उस पुलिस कर्मी पर कार्रवाई होसकती है |
प्रदीप का आवेदन लगातार रिजेक्ट किया जारहा था स्पेशवल ब्रांच के अधिकारियों ने अग्रीपाडा पुलिस थाने को कहा कि अगर आप लोगों नें इसके वेरिफिकेशन में क्लीन चिट देंगें तो उसके बाद ही हम अपनी रिपोर्ट उसी आधार पर भेजेंगें | तत्कालीन सीनियर पीआई प्रवीन गोसावी नें उस दौरान 2 दिन की छुट्टी ली और उनकी जगह एडिश्नल चार्ज संभालने के लिए पुलिस अधिकारी चंद्रकांत खांडीलकर ने चार्ज संभाला और पास्पोर्ट डिपार्टमेंट ने प्रदीप गावली की फाइल पर पास्पोर्ट मंजूरी के लिए खांडीलकर ने दस्तेखत करदिए जबकि खांडीलकर को इस बात का पता आज भी नहीं है कि प्रदीप गावली के पास्पोर्ट के लिए क्लीन चिट की रिपोर्ट पर उनकी दस्तेखत हैं |
अब इसी से जुडा दूसरा पहलू अंडरवर्ल्ड डान दाऊद इब्राहिम के भाई इक्बाल कास्कर का है | कास्कर ने पास्पोर्ट बनवाने के लिए आवेदन किया जिसकी जांच के लिए कास्कर को मुबंई के जेजे मार्ग पुलिस थाने तलब किया गया कास्कर के वेरीफिकेशन और क्लीन चिट के लिए जेजे मार्ग पुलिस थाने का कोई भी पुलिस कर्मी तय्यार नहीं हुआ क्योंकि हर एक को अपनी नौकरी प्यारी थी इसलिए आज भी इक्बाल कास्कर का पास्पोर्ट नहीं बना इक्बाल कास्कर ने पास्पोर्ट बनवाने के लिए कई कानूनी प्रक्रियाओं का सहारा लिया और कोर्ट भी गया लेकिन कास्कर का पास्पोर्ट आज भी नहीं बना पुलिस के मुताबिक वह खुद कई केसों मे विलीन हैं इसलिए जेजे मार्ग के किसी भी पुलिस कर्मी की हिम्मत नहीं हुई की वह इक्बाल कास्कर की पाजिटिव वेरीफिकेशन रिपोर्ट भेजे।जबकि पासपोर्ट न बनने के लिए केस किस किस प्रकार के हैं यह माने रखता है।क्योंकि इक़बाल पर दाऊद के भाई होने का ठप्पा लगा है और यही पासपोर्ट बनने में रोड़ा पैदा कर रहा है।
इस मामले को लेकर अग्रीपाडा सीपीआई अशोक सारमबालकर ने कहा कि यह 5 साल पुराना केस है हम इस मामले में पहले यह देखेंगें कि आखिर पुलिस ने क्या रिपोर्ट स्पेशल ब्रांच को भेजी ही उसके बाद ही कुछ कहा जासकता हैं।
वहीं पूर्व आईपीएस अधिकारी और वकील वाई पी सिंह नें कहा कि इस तरह के संवेदनशील मामलों में एडिश्नल चार्ज लेने वाले अधिकारी को दस्तेखत ही नहीं करना चाहिए एडिश्नल चार्ज लेने वाले पुलिस अधिकारी को सिर्फ रोजमर्रा के कागजात पर दस्तेखत करना होता है ताक किसी तरह से रोजमर्रा के कामों में रुकावट ना पैदा हो | अगर इस तरह से प्रदीप गावली के पास्पोर्ट बनाने मे पुलिस की मिलीभगत से पुलिस वेरीफिकेशन कर पास्पोर्ट बनवाने में मदद करती है तो उनके खिलाफ कानूनी जांच कर उनपर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए प्रदीप गावली का पास्पोर्ट आवेदन यह एक संवेदनशील विषय है इसपर किसी भी पुलिस कर्मी को दस्तेखत करने से पहले सोचना चाहिए।
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