शाहिद अंसारी
मुंबई : मुंबई पुलिस महिलाओं को लेकर बहुत ही सतर्क रहने का दावा करती है लेकिन जब इसकी ज़मीनी हकीकत की जाचं की जाए तो पता चलता है कि यह केवल कागज़ पर ही रहता है असल में इसका मतलब कुछ और है।
कुछ ऐसी ही एक मामला एक ऐसी महिला के साथ पेश आया है जिसको सुनने के बाद आप यह अंदाज़ा लगा सकते हैं कि मुंबई पुलिस के नज़दीक महिला पुरुष यह माने नही रखते बल्कि टार्चर करने के लिए बस कोई भी मिल जाए वहां नियम कायदे कानून सब रद्दी की टोकरी में धरे रह जाते हैं। बस पुलिस जो करती है असल में वही नियम है वही कानून है।
नाजिया अब्दुल कादर ( 32 साल ) अपने परिवार की एकमात्र सदस्य हैं जिन्होंने 5 साल पहले अपने पती से अलग होने के बाद अपने परिवार को संभालने के लिए स्कूल के बच्चों को खुद कार ड्राइव कर के छोड़ने की नौकरी करनी शुरु कर दी। परिवार में उनकी मां बड़ी बहेन और उनके 2 बच्चे और उनकी बहेन के 2 बच्चों को वह इसके ज़रिए पाल रही हैं। लेकिन पिछले एक महीने से भांडुप ट्राफिक पुलिस थाने के उन्हें चक्कर काटने पड़ रहे हैं। Bombay Leaks से बात करते हुए उन्होंने बताया कि मैं अपनी गाड़ी अपने घर के पास ही पार्क करती हूं लेकिन मैं जब भी स्कूल के बच्चों को छोड़ने के लिए जाती हूं मुझे रास्ते में सिगनल पर भांडुप ट्राफिक पुलिस थाने के दिगंबर खरे नाम के एक आफीसर हैं वह सिगनल पर रोक कर कहते हैं आपकी कंप्लेन है ट्राफ़िक पुलिस थाने में आना होगा उसके बाद उन्होंने फोन कर के आने के लिए कहा। आज उन्होंने दोपहेर के वक्त पास में ही मौजूद भांडुप ट्रैफिक थाने की चौकी में बुलाया जब मैं पहुंची तो उन्होंने कहा कि अब शाम में 6 बजे आ के मिलो तुम्हारी कंप्लेन हैं।
हमने जब दिगंबर खरे के मुबाइल पर फोन कर के वजह पूछी तो उन्होंने बताया कि वह शाम में 6 बजे महिला को इसलिए बुला रहे हैं कि कुछ न कुछ वजह होगी और उनके साथ साथ आप भी आइए यह सब नियम कानून के तहेत है। उनसे पूछा गया कि किसी महिला को इस तरह आप कैसे बुला सकते हैं उसके जवाब में उन्होंने कहा कि क्यों नहीं बुला सकते नियम कानून के अनुसार किसी भी महिला को हम किसी भी वक्त बुला सकते हैं इसमें कुछ भी गलत नहीं है। खैरे ने यह भी कहा कि इस बारे में सीपी को बता सकते हैं यह सब नियम कानून के हिसाब से होता है। उन्होंने बताया कि नाजिया की गाड़ी जहां खड़ी करती है उसकी कंप्लेन आई है।
नाजिया ने बताया कि उनके पड़ोसी में जावेद हुसैन शाह नाम का शख्स कभी रहता था उसने अपने घर को दुकान में बदल कर उसे किराए पर दे चुका है और खुद कर्जत में रहता है और जब वह कर्जत से आता है तो उनके खिलाफ़ शिकायत करता है जिसके बाद पुलिस उन्हें ट्रैफिक पुलिस थाने तलब करती है। उन्होंने कहा कि इस तरह से पुलिस का जब चाहे काल कर के ट्राफिक पुलिस थाने बुलाना मैं खुद परेशान हो चुकी हूं। एक आदमी जो यहां रहता ही नहीं वह झूटी शिकायत करता है और पुलिस उसकी शिकायत पर मुझे बुलाती है जबकि गाड़ी मैं मेरे घर के पास पार्क करती हूं और वह जगह नो पार्किंग नहीं है।
वीरा कैब्स की मैनेजिंग डायरेक्टर और आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रीती शर्मी मेनन ने इस बारे में कहा कि महिलाऐं इस तरह नौकरी या कारोबार करती हैं तो हमारे बच्चों को लेकर उनके अभिवावक बेफिक्र हो जाते हैं कि एक महिला उनके बच्चे या बच्चियों को सुरक्षित छोड़ सकती है और एक महिला ड्राइविंग करती है तो यह बहुत ही बड़ी बात है और खुशी की बात है इसे हर विभाग को प्रोत्साहित करना चाहिए। मुंबई पुलिस को शर्म आनी चाहिए कि एक महिला को वह पार्किंग के नाम पर परेशान कर रहे हैं और उसे ट्राफिक पुलसि थाने बुला रहे हैं। अगर उस महिला को इसी तरह पुलिस वालों ने परेशान किया तो हम इस मामले को लेकर जल्द ही पुलिस थाने का का घिराव करेंगे और मुंबई सीपी और राज्य के मुख्यमंत्री और महिला आयोग से उन पुलिस वालों के खिलाफ़ कार्रवाई की मांग करेंगे जो किसी की भी झूटी शिकायत पर किसी महिला को पुलिस थाने तलब करने की जुर्रत करते हैं। पहले पुलिस को यह सोचना चाहिए की वह एक महिला है उसका जुर्म क्या है और क्या उसे इस जुर्म के लिए नियम कानून के नाम पर पुलिस थाने के चक्कर काटने होंगे कि वह महिला हो कर गाड़ी चला कर अपने घर वालों का पेट पालती है। किसी महिला को वहां बुलाने के मतलब है कि अब उनका हफ्ता चालू करो।
इस मामले की जानकारी जब जॉइंट सीपी ट्राफिक अमितेश कुमार कुमार को दी गयी तो उन्होंने कहा कि वह इस मामले को जल्द ही देखेंगे।
Post View : 56